भारत-कनाडा कूटनीतिक जंग -कच्च्े प्रवासियों की बढ़ रही हैं मुश्किलें 

भारत तथा कनाडा के बीच कूटनीतिक जंग अक्तूबर के दूसरे सप्ताह उस समय शिखर पर पहुंच गई, जब दोनों देशों द्वारा अग्रणी कतार के 6-6 दूतावास के अधिकारियों को देश छोड़ने के आदेश दिए गए थे। इससे दोनों देशों के उच्चायुक्त अपने-अपने देशों को लौट गये। इस कार्रवाई से दोनों देशों में बातचीत बंद हो गई दिखाई देती है। फौरी तौर पर यह विवाद कनाडा निवासी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद पैदा हुआ था। यह हत्या जून 2023 में हुई थी। इसके बाद सितम्बर 2023 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार के एजेंटों पर इस हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था। इससे दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों में दरारें आ गईं और रिश्तों में खटास आ गई थी। इस कारण दोनों देशों के कई अधिकारी वापिस बुला लिए गए थे, परन्तु विगत दिवस जिस बात ने दोनों देशों में कूटनीतिक जंग और तेज़ कर दी है, वह हरदीप सिंह निज्जर की हत्या संबंधी प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा दिए बयान के अनुसार कैनेडियन पुलिस के पास इस किस्म के मानने योग्य सुबूत हैं कि ओटावा स्थित भारत के अधिकारियों के उच्चायुक्त सहित निज्जर की हत्या से तार जुड़ते हैं। इसी कारण यह मांग की गई कि इन अधिकारियों की कूटनीतिक छूट को रद्द करके पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ करने की भारत सरकार अनुमति दे। इस संबंध में अमरीका से प्रकाशित वाशिंगटन पोस्ट समाचार पत्र में यह विस्तार से समाचार दिया गया है कि भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के नेतृत्व में उच्च अधिकारियों की एक टीम की बैठक कनाडा के सुरक्षा सलाहकार के नेतृत्व वाली टीम से सिंगापुर में 12 अक्तूबर, 2024 को हुई थी। इस बैठक में कनाडा की टीम ने भारत की खुफिया एजैंसियों के इस हत्या में शामिल होने बारे सुबूत पेश किए थे। इसमें देश के गृह मंत्रालय तथा जेल में बंद गैंगस्टर, लारैंस बिश्नोई का नाम भी लिया गया था। यह भी आरोप लगाया गया कि इसमें भारत की खुफिया एजेंसियों द्वारा हत्या करने, फिरौतियां मांगने तथा कैनेडियन नागरिकों को डराने के लिए गैंगस्टरों को शामिल किया गया है। इस पर भारत सरकार द्वारा कड़ी आपत्ति व्यक्त की गई है। भारत के अधिकारियों ने इस मामले में अपनी शमूलियत से इन्कार ही नहीं किया, अपितु कनाडा की सरकार पर खालिस्तानियों को शह देकर भारत की एकता एवं अखंडता पर वार करने का आरोप भी लगाया है। खालिस्तानियों द्वारा भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को धमकियां तथा हिन्दुओं को कनाडा छोड़ने बारे कहे जाने संबंधी बयान मीडिया में प्रकाशित हो चुके हैं। भारत सरकार को यह भी आपत्ति है कि कनाडा में रहते हुए भारतीय मूल के कैनेडियन जिनके खिलाफ भारत में संगीन अपराधों के अधीन केस दर्ज हैं, उन्हें कनाडा सरकार ने शरण दी हुई है। इस प्रकार कनाडा तथा भारत के संबंध बिगाड़ने में कनाडा में रहते कुछ तत्वों की भूमिका को दृष्टिविगत नहीं किया जा सकता।
बिगड़ते संबंधों से दोनों देशों को अर्थिक एवं कूटनीतिक नुकसान सहन करना पड़ेगा। आर्थिक धरातल पर व्यापारियों को वीज़ा लेने में मुश्किलें आने से व्यापार का मौजूदा स्तर कम हो सकता है। पूंजी के आदान-प्रदान में कटौती हो सकती है। वीज़ा में मुश्किलों के कारण भारतीय मूल के कैनेडियन नागरिकों को अपने रिश्तेदारों को मिलने, विवाह-शादियों, अन्य खुशी-गमी के समारोहों में शामिल होना मुश्किल हो जाएगा। इससे विमान कम्पनियों के कारोबार को भी नुकसान हो सकता है। यह अनुमान है कि दोनों देशों में मौजूदा व्यापार को और 50 प्रतिशत बढ़ाने की संभावनाएं हैं। इसको प्राप्त करने की बजाय व्यापार कम हो जाने की संभावना है लेकिन इस कूटनीतिक जंग के कारण सबसे अधिक मुश्किलें कनाडा में भारत के लाखों नौजवानों को पेश आने का खतरा काफी बढ़ गया है। वे वो नौजवान हैं, जिनको कनाडा में अस्थायी कच्चे निवास की स्वीकृति मिली हुई है। ये नौजवान पक्के तौर पर प्रवास की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
अस्थायी निवास वाले नौजवान वे हैं, जो पक्के तौर पर रहने की शर्तें पूरी करने की प्रतीक्षा में हैं। इन नौजवानों को तीन भागों में बांटा जा सकता है। (1) इनमें से काफी विद्यार्थी वे हैं, जिनके द्वारा कनाडा में आकर अपनी डिग्री/डिप्लोमा हासिल कर लिया गया है। इनमें से कई विद्यार्थी चार-पांच सालों से कनाडा में रह रहे हैं। इनको पुराने नियमों के तहत अस्थायी निवास की स्वीकृति मिली हुई है। और कइयों की स्वीकृति खत्म होने वाली है इन विद्यार्थियों द्वारा कनाडा में पक्के तौर पर रहने के लिए लाखों रुपये अपनी फीसों और रहने के लिए खर्च किए हुए हैं। (2) दूसरे वे अस्थायी निवासी नौजवान हैं, जिनकी किसी कारोबारी या कम्पनी द्वारा रोज़गार के लिए कनाडा बुलाया गया था परन्तु उनके रोज़गार की सीमा खत्म हो गई है। इन नौजवानों को कनाडा द्वारा और या पक्का रोज़गार ढूंढने के लिए अस्थायी निवास की स्वीकृति मिली हुई है। (3) तीसरी किस्म के वे नौजवान है, जिन्होंने विज़िटर वीज़ा पर पहुंच कर शरण लेने के लिए अर्जी लगाई हुई है। उनको अस्थायी निवास की स्वीकृति मिली हुई है। चाहे इस तरह के नौजवानों की संख्या काफी कम है।
अमरीका से प्रकाशित होते ‘न्यूयार्क टाईम्ज़’ अखबार में ब्रैम्पटन से एक रिपोर्ट 13 अक्तूबर 2024 को छापी गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में इस समय 28 लाख के करीब नौजवान अस्थायी निवास की स्वीकृति के साथ रह रहे हैं। इनमें से 22 लाख के करीब 2020-22 के दो सालों में कनाडा पहुंचे हैं। अस्थायी निवास वाले नौजवान कनाडा की कुल जनसंख्या का 6.8 प्रतिशत बनते हैं। ये नौजवान दुनिया के कई देशों से आए हुए हैं। इनमें से दो देशों से आए व्यक्तियों का खास ज़िक्र किया गया है। एक देश का नाम यूक्रेन है, जो रूस के साथ जंग में फंसा हुआ है। कनाडा द्वारा यहां के 10 लाख व्यक्तियों को अस्थायी निवास की स्वीकृति दी हुई है लेकिन अब तक यहां 1.85 लाख व्यक्ति ही कनाडा आ सके हैं। इसी कारण यूक्रेनी अस्थायी  निवास वालों को कनाडा से बाहर निकाले जाने का कोई खतरा नहीं है। दूसरा भारत देश का ज़िक्र किया गया है। हमारे देश खास तौर पर पंजाब, हरियाणा से बड़ी संख्या में पिछले सालों से विद्यार्थी कनाडा पढ़ने और वहां रहने के उद्देश्य से गये हुए हैं। इनमें से कइयों के पास अस्थायी निवास की स्वीकृति है। इनमें से लाखों की संख्या उन नौजवानों की है, जिन्होंने पढ़ाई खत्म करके डिग्री या डिप्लोमा पास किया हुआ है। कनाडा के पुराने नियमों के तहत इनको अस्थायी तौर पर रहने की स्वीकृति मिली हुई है और कइयों की स्वीकृति खत्म होने वाली है। अब कनाडा द्वारा नये नियम लागू किये जा रहे हैं। इन नियमों के अनुसार विद्यार्थियों को पढ़ाई खत्म करके वापिस अपने देश जाना पड़ेगा। ज़रूरतों के अनुसार कुछ नौजवानों का अस्थायी निवास बढ़ाया जाएगा। कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जौली का विचार है कि प्रवासियों के काफी बड़ी संख्या में आने के साथ देश में कई समस्याएं पैदा हो गई हैं। इसी कारण रिहायशी घरों की कमी पैदा हो गई है, स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ बढ़ गया है और बेरोज़गारी बढ़ गई है। इसी कारण सरकार द्वारा 2024 के शुरू में फैसला किया गया है कि प्रवास को सीमित किया जाए। जिन प्रवासियों की अस्थायी निवास की समयावधि खत्म हो गई है या खत्म हो रही है, उसका नवीकरण नहीं किया जाएगा। इसी कारण इन विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसे नौजवानों की स्थिति हवा में लटके त्रिशंकु की तरह है। यही कारण है कि इन विद्यार्थियों और नौजवानों द्वारा कनाडा की इस नीति के खिलाफ धरने और प्रदर्शन भी किये जा रहे हैं।
भारत और कनाडा के बिगड़ते संबंधों का सबसे बुरा प्रभाव अस्थायी निवास वाले नौजवानों पर पड़ने वाला है। कनाडा सरकार इनमें से कइयों को भारतीय नौजवान होने के कारण वापिस भेजने को तैयार बैठी है। भारत सरकार कनाडा सरकार के साथ इस मौके पर बातचीत का रास्ता त्याग कर कनाडा के खिलाफ ब्यानबाज़ी कर रही है। इसी कारण इन लाखों भारतीय नौजवानों का कार्य भारत के एजेंट का हाथ थामने से फिसल गया है। इन नौजवानों का खालिस्तान के साथ कोई वास्ता नहीं है और न ही इनका निज्जर कत्ल के साथ कोई संबंध है। ये सरकारों के आपसी टकराव का शिकार बन रहे हैं।
इस प्रकार लगता है कि कनाडा सरकार और भारत सरकार दोनों अपना झगड़ा बातचीत से हल करने की बजाय इसको बढ़ाने की ओर चल रही हैं और झगड़े को अंदरूनी राजनीति के साथ जोड़ने की प्रवृत्ति भारी हो रही है। दोनों देशों के बार्डर साझे न होने के कारण इनमें जमीन के विभाजन का कोई झगड़ा नहीं है। दोनों देश विश्व संस्थाओं के प्रभावशाली सदस्य है। यू.एन.ओ., विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, जी-20 देशों के सम्मेलन और अन्य संगठनों में इकट्ठे रहने का अनुभव और तजुर्बा इन दोनों देशों के पास है। दोनों देश लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों देशों में बहु-धर्मों और बहु-संस्कृति का मिश्रण है। मौजूदा हालात में दोनों देशों की सरकारें मामले के हल के लिए बातचीत का रास्ता छोड़कर अहं की लड़ाई लड़ रही हैं। यह रास्ता अनावश्यक विरोध पैदा कर रहा है। भारतीय मूल के लगभग 21 लाख कनाडाई नागरिकों और कनाडा में रह रहे कई लाख अस्थायी निवासी भारतीय नौजवानों के भविष्य को दोनों देश बातचीत द्वारा आपसी मतभेद हल करें तथा आर्थिक और सांस्कृतिक संभावनाओं के विकास की ओर अपना ध्यान केन्द्रित करें।