उत्तर प्रदेश में सीटों को लेकर कांग्रेस-सपा में नहीं बनी सहमति

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार तथा जम्मू-कश्मीर चुनावों में भी खराब प्रदर्शन के बाद अब उत्तर प्रदेश उप-चुनाव में सीटों के वितरण को लेकर कांग्रेस द्वारा बातचीत की ज़िम्मेदारी अविनाश पांडे तथा अजय राय ने सम्भाली। कांग्रेस 9 में से 3 सीटों की मांग कर रही है, परन्तु समाजवादी पार्टी (सपा) संबंधों को बचाने के लिए गाज़ियाबाद तथा खैर जैसी 2 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं। 
दोनों पार्टियां मुस्लिम तथा दलित वोटरों विशेष कर फूलपुर, मीरापुर तथा माझवां जैसी सीटों को अपने पक्ष में करने के लिए भिड़ रही हैं। दोनों पार्टियों के बीच सीटों के विभाजन में बहुत अधिक अंतर नहीं है, परन्तु वास्तव में दिक्कत सीटों के चयन में हो रही है। हालांकि विपक्ष के नेता राहुल गांधी तथा सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मदभेदों को दूर करने के लिए दो बार बात की, परन्तु बातचीत बेनतीजा रही। आखिर अविनाश पांडे ने सपा नेताओं को फोन करके बताया कि पार्टी ने चुनाव न लड़ने तथा सपा सहित ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवारों का समर्थन करने का फैसला किया है। इन उप-चुनावों के परिणामों से 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक तस्वीर साफ हो सकती है। 
बंगाल में कांग्रेस ने बदली रणनीति
कांग्रेस तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाले वामपंथी मोर्चे ने पश्चिम बंगाल की 6 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप-चुनावों के लिए अलग-अलग उम्मीदवार खड़े किए हैं, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि राज्य में दोनों के बीच लम्बे समय से बात चली आ चुनावी साझ शायद खत्म हो गई है। यह दृश्य प्रदेश इकाई के नेतृत्व में बदलाव के बाद देखने को मिला है, जब ममता बनर्जी के प्रमुख आलोचक अधीर रंजन चौधरी के स्थान पर शुभंकर सरकार को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। दरअसल कांग्रेस तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टी.एम.सी.) के प्रति बहुत अधिक विरोधी के रूप में दिखाई नहीं देना चाहती। वामपंथियों के साथ कांग्रेस के पिछले गठबंधन ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को परेशान किया था, जिनकी तृणमूल कांग्रेस (टी.एम.सी.), जो कि ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा है, ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के साथ सीटों के विभाजन संबंधी समझौता करने से इन्कार कर दिया था। उल्लेखनीय है कि 2021 के विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने 5 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा ने उत्तर बंगाल में मदारीहाट सीट जीती थी। इस वर्ष की शुरुआत में कुछ विधायकों के लोकसभा के लिए सदस्य चुने जाने के बाद पश्चिम बंगाल में यह उप-चुनाव करवाने की ज़रूरत पड़ी है। 
अजित पवार को बड़ा झटका
महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार बारामती से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और पवार परिवार पर अपनी पकड़ सिद्ध करने के लिए परिवार के भीतर दूसरी राजनीतिक जंग में एनसीपी (एस.पी.) के अपने भतीजे युगेन्द्र पवार की चुनौती का सामना करेंगे। एनसीपी (एस.पी.) लोकसभा क्षेत्र के बाद में ही बारामती विधानसभा क्षेत्र में युगेन्द्र पवार का प्रचार कर रही है, जहां उसने सुप्रिया सूले के चुनाव अभियान में मुख्य भूमिका निभाई थी और अपनी चाची सुनेत्रा के खिलाफ उस (सुप्रिया) के लिए 48000 से अधिक वोट की लीड सुनिश्चित बनाने में सफलता हासिल की थी। 
हालांकि महायुति गठबंधन की पूरी सीट विभाजन व्यवस्था का औपचाकि तौर पर ऐलान होना शेष है, परन्तु फिर भी एनसीपी गुट के 52-54 सीटों पर चुनाव लड़ने की उम्मीद की जा रही है। अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में शगन भुजबल शामिल हैं, जो येओला से चुनाव लड़ेंगे, जबकि दिलीप वाल्से पाटिल अम्बेगाओं से चुनाव लड़ेंगे। हालांकि अजित पवार ने सिद्दिकी के मुम्बई गढ़ में कांग्रेस के कुछ वोट काटने की उम्मीद में बाबा सिद्दिकी तथा अन्य को अपनी पार्टी में शामिल किया था, परन्तु मुस्लिम नेता की अचानक मौत से महाराष्ट्र की राजनीति ने अचानक नया मोड़ लिया है। सिद्दिकी के पूर्व कांग्रेसी साथी अजित पवार से बहुत ज़्यादा नाराज़ हैं। साफ है कि सिद्दिकी की हत्या के बाद अजित पवार कमज़ोर स्थिति में आ गए हैं। उनकी बेबसी दर्शाती है कि महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर साम्प्रदायिक राह पर ध्रुवीकरण को तीव्र करने के पुराने खेल की ओर मुड़ रही है।  
पुन: सक्रिय हुए सुनील जाखड़
पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ जो पिछले दो माह से राजनीति से गायब थे, अब प्रदेश में चार सीटों पर होने वाले विधानसभा उप-चुनावों के लिए भगवा पार्टी के ‘पोस्टर ब्वाय’ के रूप में वापिस आ गए हैं। पार्टी ने पहला प्रचार वीडियो जारी किया, जिसमें सुनील जाखड़ तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पार्टी वर्करों तथा समर्थकों के साथ अलग-अलग दृश्यों में दिखाई दिए। 28 सैकेंड के इस वीडियो की ‘टैगलाइन’ है ‘बाकी गल्लां छड्डो, पंजाब दी गल्ल ज़रूरी है।’ 
(आई.पी.ए.)