विमानों में बम की बोगस धमकियां

भारतीय विमानन कम्पनियों के अनेक देशी और विदेशी यात्रा-मार्गों पर आवागमन करने वाले यात्री विमानों को बमों से उड़ाने अथवा विमानों में बम रखे होने की धमकियां दिये जाने की घटनाएं विगत कुछ समय से दिन-प्रतिदिन निरन्तर बढ़ती गई है। स्थिति यह भी हो गई है कि एक ही दिन में विभिन्न कम्पनियों के 25 विमानों में बम रखे होने की चेतावनियां जारी की गईं। इस कारण एक ओर जहां देश भर की तमाम विमानन कम्पनियां एक अजीब प्रकार के सहम और सनसनीपूर्ण माहौल का सामना करने को विवश हुई हैं, वहीं इस कारण उन्हें  भी भारी घाटा उठाने पर विवश होना पड़ रहा है। वित्तीय धरातल पर विमानों को बम से उड़ाने अथवा विमानों में बम रखे होने की धमकी मिलने पर नि:संदेह रूप से विमानों को आकाश यात्रा-मार्ग से बीच में ही वापिस बुलाना पड़ जाता है। इससे एक ओर विमान ईंधन यानि पेट्रोल बड़ी मात्रा में व्यर्थ चला जाता है, वहीं विमान-यात्रा हेतु टिकटें पंजीकृत करा चुके यात्रियों को दूसरी उड़ानों से भेजने, और इस दौरान उनके आवास-प्रवास और खान-पान के लिए अतिरिक्त व्यवस्था किये जाने से विमानन कम्पनियों को बड़े स्तर पर आर्थिक नुक्सान भी सहन करना पड़ता है। ऐसे अवसरों पर कई बार विमानन कम्पनियों को टिकटें वापिस भी करनी पड़ती हैं जिससे कार्यालयों की व्यवस्था पर अतिरिक्त कार्य बोझ भी पड़ता है। इस कारण उपजने वाली दहशत और अफरी-तफरी के माहौल के चलते जन-साधारण को मानसिक और मनोवैज्ञानिक  दबाव के तले भी गुजरना पड़ता है। .... इस माहौल में कई यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाने का ़खतरा भी बढ़ता है। एक और बड़ी बात यह, कि इस प्रकार की स्थितियों में व्यवसायी और औद्योगिक क्षेत्र के यात्रियों को समय की हानि का कठोर दंश भी सहन करना पड़ता है क्योंकि  कार्पोरेट जगत में समय की शिनाख्त को बहुत महत्त्व दिया जाता है। इस प्रकार की धमकियों की खबरें बेशक अधिकतर अफवाहें सिद्ध होती हैं, किन्तु देश-समाज की नैतिक कद्र-ओ-कीमतों और देश की संवैधानिक मान्यताओं के दृष्टिगत देश में मानवीय जीवन को दरपेश होने वाले ़खतरे की रत्ती भर आशंका को भी सहन न करने की भावना निहित रहती है। देश में खाड़कूवाद के दौरान कनिष्क यात्री विमान को बीच आकाश में बम से उड़ा दिये जाने की घटना भय के माहौल को बनाये रखने के लिए सटीक उदाहरण है। इस दुर्घटना में सैंकड़ों यात्री आकाश में ही काल-कवलित हो गये थे। ऐसी धमकियों की खबरें पहले भी कभी-कभार सुनने को मिल जाती थीं, किन्तु विगत कुछ दिनों से तो जैसे ऐसी घटनाओं की भरमार हो गई है। विगत 13 अक्तूबर के बाद केवल सात दिनों में ही विमानों में बम रखे होने की लगभग सवा सौ घटनाएं हो चुकी हैं, और कि ये सभी बोगस सिद्ध हुई हैं, किन्तु इनके कारण देश की अनेक विमानन कम्पनियों को समय और धन की भारी हानि उठानी पड़ी है। जन-साधारण को इस कारण पारिवारिक, निजी एवं व्यवसायिक धरातल पर जो परेशानी झेलनी पड़ी, वो इस सबसे अलग है। इस प्रकार की घटनाओं की ज़द में इंडिगो, विस्तारा, अकासा, एयर इंडियन, डेल्टा एवं एयर इंडिया एक्स प्रैस जैसी कम्पनियां विशेष रूप से आई हैं। इन धमकियों के कारण राजधानी दिल्ली से फ्रैंकफर्ट, सिंगापुर और देश के भीतर मुम्बई, गोवा, हैदराबाद, कोच्चि, लखनऊ आदि की उड़ानें बार-बार प्रभावित हुईं। इस कारण देश का पर्यटन क्षेत्र भी प्रभावित हुआ है, और कालांतर में इन घटनाओं के परिणाम स्वरूप विदेशी मुद्रा का घाटा भी सहन करना पड़ सकता है। 
प्राथमिक जांच के अनुसार ये सभी धमकियां एक  जैसी थीं, और एक ही ढंग से दी गईं। इससे ऐसा आभास भी मिलता है कि कोई एक गुट अथवा समाज-विरोधी पक्ष इस हेतु सक्रिय है। इसमें कोई संदेह नहीं कि ऐसी घटनाओं के पीछे अन्त-राज्यीय आतंकवादी तत्वों और विदेशी शक्तियों का भी हाथ रहा हो सकता है। यह भी सम्भव है कि सिर्फ सनसनी पैदा करने के लिए विदेशी शह पर कोई समाज-विरोधी तत्व ऐसी घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार हो। नि:संदेह इस प्रकार की घटनाओं से आर्थिक धरातल पर भारी हानि होती है, और देश का सामाजिक ताना-बाना भी प्रभावित होता है। विदेश में देश की बदनामी भी होती है। भारत आज एक बड़ी वैश्विक शक्ति है। 
देश में इस हेतु सक्षम एवं कड़े कानून भी हैं। आवश्यकता इन कानूनों को प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ लागू करने और फिर दोषियों को तलाश करके उन्हें कानून के शिकंजे में लाये जाने की है। यह तो सम्भव प्रतीत नहीं होता कि देश की गुप्तचर और सुरक्षा एजेंसियों की सूंघने की क्षमता चुक गई हो। यह भी कदापि सम्भव नहीं हो सकता कि इतने बड़े देश की सत्ता व्यवस्था कुछ छिटपुट असामाजिक तत्वों को नकेल डालने में असमर्थ सिद्ध हो रही हो। विमानों में बम रखे होने की अफवाहें और रेलगाड़ियों को दुर्घटनाग्रस्त करने की साजिशें केन्द्र सरकार की सत्ता को चुनौती देने जैसी हैं। यकीन जानिये, यह एक तरह के डिजिटल आतंक जैसा है। इनसे राष्ट्र-द्रोह एवं आतंक-रोधी कानूनों के तहत ही निपटा जाना चाहिए। केन्द्रीय विमानन मंत्री ने स्वयं भी ऐसे दोषियों को उम्र कैद दिये जाने का सुझाव दिया है। आज आवश्यकता इन कानूनों को सख्ती, दृढ़ इच्छा-शक्ति और प्रतिबद्धता के साथ लागू करने की है।