भारत में बढ़ता कैंसर का ग्राफ
लोगों को कैंसर होने के संभावित कारणों के प्रति जागरूक करनेए प्राथमिक स्तर पर कैंसर की पहचान करने और इसके शीघ्र निदान तथा रोकथाम के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 19 सितम्बर 2014 को निर्णय लिया गया था कि प्रतिवर्ष 7 नवम्बर को ‘कैंसर जागरूकता दिवस’ मनाया जाएगा, तभी से इस दिन राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। दरअसल कैंसर भारत सहित विकासशील देशों में होने वाली कुल मौतों का अब दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुका है। हृदय रोगों से होने वाली मौतों के बाद इन देशों में सर्वाधिक मौतें अब कैंसर से ही हो रही हैं। आधुनिक जीवनशैली ने हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हुए हमें आसानी से ऐसे रोगों का शिकार बनाना शुरू कर दिया है, जो अक्सर मौत का बड़ा कारण साबित होते हैं। इन्हीं जानलेवा रोगों में से कैंसर मौतों की एक बहुत बड़ी वजह साबित हो रहा है। कैंसर को लेकर पहले माना जाता था कि यह बीमारी केवल अधिक उम्र के लोगों को ही प्रभावित करती है लेकिन अब युवाओं में भी कैंसर के मामले देखे जा रहे हैं। चिंता की बात है कि हर आयु वर्ग के लोग अब कैंसर की गिरफ्त में आ रहे हैं, जिनमें महिलाएं और कम आयु के बच्चे भी शामिल हैं। यह बीमारी पूरी दुनिया में नासूर की भांति फैल रही है और विश्वभर में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कैंसर डेटा के मुताबिक 2022 में विश्वभर में कैंसर के अनुमानित दो करोड़ नए मामलों का निदान किया गया और 97 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 2050 तक कैंसर के रोगियों की संख्या प्रतिवर्ष 3.5 करोड़ तक पहुंच सकती है। ‘कैंसर, पिडेमियोलॉजी’ में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक ब्रिक्स देशों में वैश्विक कैंसर से संबंधित मौतों का 42 प्रतिशत हिस्सा है। चीन ने कैंसर के कारण 28 बिलियन डॉलर के साथ सर्वाधिक उत्पादकता हानि का सामना किया जबकि दक्षिण अफ्रीका ने प्रति कैंसर मृत्यु पर सर्वाधिक 1.01 लाख डॉलर का नुकसान उठाया। ‘वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड इंटरनेशनल’ की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कैंसर के सर्वाधिक मामले चीन में हैं, जहां करीब 48 लाख लोगों को कैंसर है, दूसरे स्थान पर अमरीका है, जहां लगभग 23 लाख लोग कैंसर के शिकार हैं, तीसरे नंबर पर भारत में 14 लाख से ज्यादा लोग कैंसर का शिकार हैं। पिछले एक दशक के आंकड़े बताते हैं कि भारत में भी कैंसर के मामले वर्ष दर वर्ष तेजी से बढ़ रहे हैं। नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) को लेकर हाल ही में जारी डेटा से पता चलता है कि देश में कैंसर के मामलों में चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है।
कैंसर आधुनिक विश्व में ऐसी भयानक बीमारी बन चुका है, जिसके चलते हर साल लाखों लोग मौत के मुंह में समा रहे हैं। यह भारत में भी दूसरी सबसे बड़ी प्राण घातक बीमारी के रूप में उभर रहा है। ‘ग्लोबल कैंसर इंसीडेंस, मोरालिटी एंड प्रीविलेंस’ (ग्लोबोकोन) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है और यह बीमारी दिनों-दिन और घातक बनती जा रही है, जिससे प्रतिवर्ष देश में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। कैंसर के मामलों में वैश्विक दरों को पार करते हुए भारत ‘विश्व की कैंसर राजधानी’ बन गया है। इसी वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर पेश हुई रिपोर्ट में भारत को दुनिया की कैंसर कैपिटल कहा गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि 2020 में भारत में कैंसर के 14 लाख नए मरीज मिले थे और 2025 तक यह आंकड़ा 15 लाख 70 हजार मामलों तक पहुंचने का है तथा 2040 तक यह अनुमान 20 लाख नए कैंसर मामलों तक पहुंचने का है। द लांसेट रीजनल हैल्थ साउथ-ईस्ट एशिया जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 2020 में कैंसर के करीब 12 लाख नए मामले और 9.3 लाख मौतें दर्ज की गई थी और उस वर्ष एशिया में कैंसर की बीमारी के बोझ वाला भारत दूसरा सबसे बड़ा देश बन गया था। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस दशक के अंत तक भारत में कैंसर के मामलों में 12 प्रतिशत तक की वृद्धि की आशंका है, जिससे कैंसर का बोझ और बढ़ सकता है। ब्रिटिश मैडीकल जर्नल में 2023 में प्रकाशित एक शोध में कहा गया था कि भारत में स्तन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर जैसे कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं और केवल 30 वर्षों में ही वैश्विक स्तर पर 50 से कम उम्र के लोगों में कैंसर के नए मामलों में 79 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में कैंसर के मामलों की दर सर्वाधिक पाई गई है, जिनमें विशेष रूप से मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड शामिल हैं। इन राज्यों में तंबाकू के अधिक इस्तेमाल और अनुवांशिक कारणों से कैंसर के मामलों में बढ़ोतरी हुई है।
दुनियाभर में कैंसर के बढ़ते मामलों के लिए बढ़ता प्रदूषण और पोषक खानपान का अभाव अहम कारण हैं। अधिक मात्रा में तम्बाकू सेवनए धूम्रपान, अल्कोहल तथा नशीले पदार्थों का उपयोग, निष्क्रिय जीवनशैली, मोटापा, खानपान की गलत आदतें, प्रदूषित वातावरण, कमजोर इम्यून सिस्टम, रसायनों, रेडिएशन तथा अल्ट्रावायलेट किरणों का एक्सपोजर इत्यादि कैंसर होने के प्रमुख कारण बनते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के अलावा कई बार आनुवंशिक या वंशानुगत कारण भी कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं। वैसे तो कैंसर के सौ से भी ज्यादा प्रकार हैं लेकिन ब्रेन कैंसर के अलावा पुरुषों में मुख्यत: मुंह व जबड़ों का कैंसर, फेफडे का कैंसर, पित्त की थैली का कैंसर, पेट का कैंसर, लीवर कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलन कैंसर, त्वचा कैंसर, सॉफ्ट टिश्यू कैंसर इत्यादि प्रमुख रूप से देखने को मिलते हैं।