नए सरपंचों की ज़िम्मेदारी
लोकतंत्र में आदर्श समाज की नींव निचले स्तर पर लोकतांत्रिक अमल से ही मजबूत होती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। अभी तक भी इसकी ज्यादातर आबादी गांवों में रहती है। देश की आर्थिकता की मज़बूत कड़ी गांव हैं। अब जबकि भारत के सामने लगातार बढ़ती जनसंख्या की चुनौती दरपेश है, इसके साथ ही बढ़ रही बेरोज़गारी की समस्या भी भयावह रूप धारण कर चुकी है, तो इसके लिए बड़ी उम्मीद ग्रामीण रोज़गार की सम्भावनाओं से ही है। आज भी गांव करोड़ों बेरोज़गार लोगों का किसी न किसी रूप में सहारा बने हुए हैं। स्वतंत्र भारत में पंचायती राज प्रबन्ध का संकल्प भी इसी सोच का परिणाम है, जिससे निचले स्तर पर लोग देश के विकास के अमल के साथ जुड़े रहे हैं। यह विचार सार्थक प्रतीत होता है कि यदि पंचायती राज प्रणाली को मज़बूत किया जाए तथा उत्तम नमूने की बनाए जाए तो यह देश के लिए ठोस उपलब्धियां प्राप्त करने का स्रोत बन सकती है। पंजाब में अनेक त्रुटियों एवं सीमाओं के बावजूद दशकों से यह प्रबन्ध चलता आया है। जन-साधारण की यह धड़कन बना रहा है। ‘आप’ की सरकार बनने के बाद कई कारणों के दृष्टिगत पंचायत चुनावों में देरी हुई थी, जिन्हें दूर करके अब ये चुनाव सम्पन्न करवाए गए हैं। इनमें एक अच्छा पहलू यह उभरा था कि सरकार के किये फैसले अनुसार ये पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर नहीं लड़े गये थे। इसका अभिप्राय निचले स्तर पर इनमें राजनीति का हस्तक्षेप खत्म करवाना था।
यह बात एक मज़बूत परम्परा बन जानी चाहिए ताकि आगामी समय में भी निचले स्तर पर राजनीतिक हस्तक्षेप को कम किया जा सके। इसके साथ-साथ यदि इनमें सरकारी हस्तक्षेप भी कम हो सके तथा इन छोटी इकाइयों को बड़ी सीमा तक स्वतंत्र रूप में विचरण करने का अवसर मिल सके तो यह प्रबन्ध और भी अच्छे परिणामों का धारणी हो सकता है। इन चुनावों में दूसरा अच्छा पहलू यह सामने आया कि सरकार की ओर से अधिक से अधिक पंचायतें सर्व-सम्मति से चुने जाने की अपीलें तथा यत्न किये गये, जिससे प्रदेश की लगभग तीन हज़ार पंचायतें चुनावों से बिना ही सर्व-सम्मति से बन गईं। ऐसी भावना तथा यत्न भविष्य के लिए भी जारी रहने चाहिएं। लुधियाना के निकट चुने गए नए सरपंचों के लिए प्रदेश स्तरीय शपथ ग्रहण समारोह करवाया गया, जिसके मुख्यातिथि ‘आप’ पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल थे। उन्होंने सर्व-सम्मति से चुनी गई पंचायतों एवं नये बने सरपंचों को बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने सरपंचों से निचले स्तर पर लोगों की भावनाओं का तर्जुमानी करने के लिए कहा और यह भी कहा कि उनका फज़र् अपने गांवों का अधिक से अधिक विकास करवाना होना चाहिए। इस अमल को हर हाल में पारदर्शी बनाया जाना भी ज़रूरी है। यह कि आज पंजाब में नशों के प्रचलन ने पूरी तरह से सिर उठा रखा है। इसे नियन्त्रित करने के लिए सरपंच अहम भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सरपंचों को यह भी अपील की कि वे गांव के विकास संबंधी लिए गए फैसलों संबंधी गांववासियों को विश्वास में लें ताकि वे भी विकासोन्मुखी गतिविधियों में स्वयं को भागीदार समझें।
इस समय गांवों के विकास के लिए बहुत ज्यादा काम करने की ज़रूरत है। सरकार को अपनी आमदन के स्रोतों का ऐसे कार्यों के लिए अधिक उपयोग करने की ज़रूरत है। केन्द्र सरकार ने भी पिछली लम्बी अवधि से पंजाब के ग्रामीण विकास के फंड रोके हुए हैं। उन्हें प्राप्त करने के लिए भी पंजाब प्रशासन को केन्द्र से तालमेल बनाना चाहिए, ताकि इस संबंध में अड़चनों को दूर करके यह बड़ी राशि प्राप्त की जा सके। केन्द्र की मनरेगा जैसी योजनाओं का भी प्रदेश सरकार को पूरा-पूरा लाभ उठाना चाहिए। गांवों में विकास की तेज़ गति ही सरकार के अच्छे प्रभाव की ज़ामिन बन सकेगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द