भारत-अमरीका संबंधों को मिल सकते हैं नए आयाम
दुनिया के सबसे सफल माने जाने वाले लोकतंत्र अमरीका के राष्ट्रपति एक बार फिर डोनाल्ड ट्रम्प बन गए हैं। उन्होंने भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को पराजित किया है। अमरीका एक वैश्विक आर्थिक शक्ति है। इसलिए यहां के चुनाव पर दुनिया नज़रें टिकाए रखती है, क्योंकि जो भी अमरीका का राष्ट्रपति चुना जाता है और वह अपनी पार्टी के मुताबिक नीतियों को अमल में लाता है तो विश्व प्रभावित हुए बिना नहीं रहता है। स्वाभाविक है भारत भी इस प्रभाव क्षेत्र का हिस्सा बनता है। भारत इस समय न केवल आर्थिक रूप से मजबूत है, बल्कि रक्षा, स्वास्थ्य और तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होता देश भी है। अतएव अमरीका का शुभचिंतक होना भारत के लिए विदेश नीति से जुड़े मुद्दों के नज़रिये से महत्वपूर्ण है। ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध मैत्रीपूर्ण हैं। इसी कारण ट्रम्प के पिछले कार्यकाल में भारत और अमरीका के संबंधों को नए आयाम मिले थे। इनमें आतंकवाद और घुसपैठ के विरुद्ध मिला समर्थन तो रहा ही है, चीन और पाकिस्तान पर भी ट्रम्प नकेल कसते रहे हैं।
ट्रम्प के पिछले कार्यकाल की उदार नीतियों का ही परिणाम था कि भारत आई-2 और यू-2 अर्थात चार देश भारत, इज़रायल, अरब-अमीरात और अमरीका द्वारा गठित एक नया समूह है। इसे आर्थिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच कहा जाता है। यह मध्य-पूर्व और एशिया में आर्थिक और राजनीतिक सहयोग के विस्तार पर केंद्रित है। इसके अंतर्गत व्यापार, जलवायु परिवर्तन से निपटने के उपाय, ऊर्जा सहयोग और अन्य महत्वपूर्ण साझा हितों पर आपसी तालमेल बनाए जाता है। जिससे इस समूहों के देशों का हित सुरक्षित हो। चार देशों का यह समूह आधारभूत संरचना, प्रौद्योगिकी और समुद्री सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर समर्थन और सहयोग को बढ़ावा देता है। इसी समूह के अंतर्गत नई, दिल्ली और वाशिंगटन यूरोप में समुद्री मार्ग से आवाजाही के लिए एक जहाज़ी गलियारा भी बनाने में लगे हैं। यह भारत से आरंभ होकर पश्चिम एशिया से गुजरता हुआ अमरीका तक पहुंचेगा। चीन हिंद महासागर में समुद्री गलियारे को लेकर निरन्तर हस्तक्षेप करता रहा है, ऐसे में यह गलियारा बन जाता है तो चीन की समुद्री जल मार्गों में दखल कम होगा। चीन के प्रति ट्रम्प का रुख पहले भी सख्त रहा है। इसीलिए लगता है ट्रम्प इस गलियारे को अस्तित्व में लाने की दृष्टि से निर्णायक पहल करेंगे। अतएव इस नज़रिए से ट्रम्प की जीत भारत के लिए हितकारी उपलब्धि है।
ऐसा भी माना जा रहा है कि ट्रम्प उन देशों पर शुल्क और आयात प्रतिबंध लगाएंगे। जिनके बारे में उन्हें आशंका है कि ये देश अमरीकी हितों के शुभ चिंतक नहीं है। इनमें चीन और कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं। यदि ये उपाय संभव हुए तो भारतीय वस्तुओं के निर्यात के लिए नए बाज़ार खुल सकते हैं। बार्कलेज पीएलसी ने ट्रम्प की जीत के बाद एक शोध रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि व्यापार नीति के लिहाज से ट्रम्प एशिया के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। बार्कलेज का अनुमान है कि ट्रम्प के शुल्क प्रस्ताव चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2 प्रतिशत की कमी लाएंगे और क्षेत्र की बाकी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर दबाब डालेंगे। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, इंडोनेशिया और फिलिपींस सहित ऐसी अर्थव्यस्थाएं उच्च शुल्क के प्रति कम संवेदनशील होंगी, जो घरेलू बाज़ार पर अधिक निर्भर हैं। ऐसा भी अंदाज़ा है कि ट्रम्प भारत के मित्र होने के कारण भारत में स्थित अमरीकी कम्पनियों में बड़ा निवेश करने के रास्ते खोलेंगे। इसलिए कुल मिलाकर ट्रम्प की जीत को भारतीय अर्थवयवस्था के लिए एक बड़ी सकारात्मक घटना मानी जा रही है। भारत अमरीका को वाहन, कपड़ा और दवाएं अधिक शुल्क चुका कर निर्यात कर रहा है। अमरीका भारत का इस समय सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमरीका से भारत का सालाना कारोबार 200 अरब डॉलर के करीब है। याद रहे चीन के बड़ा वैश्विक व्यापारी बनने में अमरीका का ही योगदान रहा है, लेकिन ट्रम्प ने संरक्षणवादी व्यापार को सुरक्षित रखने के उपाय किए तो भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
ट्रम्प ने अमरीका में स्नातक कर रहे भारतीय छात्रों को ग्रीन कार्ड देने का वादा किया है। इस आधार पर पांच लाख भारतीय छात्रों को अमरीका में प्रवेश, नौकरी या अन्य काम करने का अधिकार मिल सकता है। ट्रम्प अमरीका में छिपे बैठे खालिस्तानी समर्थक पन्नू और अन्य अपराधियों पर भी लगाम लगा सकते हैं। ट्रम्प ने पिछले कार्यकाल में पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य और आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे। बाइडन के कार्यकाल में ये शिथिल रहे। यदि ट्रम्प इन्हें सक्रिय करते हैं तो पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आतंकवाद पर नकेल कसने की दृष्टि से ट्रम्प इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू कर सकते हैं। वैसे भी ट्रम्प पाकिस्तान की बेहिचक सार्वजनिक रूप से आलोचना करते रहते हैं। 2020 में जब चीन और भारत के बीच लद्दाख के गलवान क्षेत्र में सैन्य झड़पे हुई थीं, तब ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से दोनों देशों के बीच समझौते के लिए मध्यस्थता करने की बात कही थी, लेकिन भारत की बड़ी चिंता ईरान को लेकर हो सकती है। भारत ईरान में चाबहार बंदरगाह बना रहा है। इसमें अरबों रुपये खर्च होंगे, लेकिन यह बंदरगाह बन जाती है तो भारत को ईरान से तेल आयात करने में सुविधा रहेगी। ट्रम्प ईरान पर नए सिरे से प्रतिबंधों पर भी फैसला ले सकते है। हालांकि इस समय भारत एक बड़ी आर्थिक और भूराजनीतिक शक्ति है और उसकी इस शक्ति का लोहा पूरी दुनिया मान रही हैं। इन्हीं ताकतों का परिणाम हैं कि चीन का रवैया बदला है और दोनों देश सीमा से सैनिक पीछे हटा रहे हैं।
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