मुस्लिम देशों के प्रति कैसा होगा ट्रम्प का रवैया ?
डोनाल्ड ट्रम्प के व्हाइट हाउस में फिर से प्रवेश को पूरी दुनिया मेंए खासकर दुनिया भर के मुस्लिम देशों मेंए बेसब्री से देखा जा रहा है, क्योंकि दुनिया यह देखने के लिए इंतज़ार कर रही है कि उनका वर्तमान राष्ट्रपति पद किस तरह से चलेगा। क्या यह पिछले राष्ट्रपति की तरह ‘अमरीका फर्स्ट’ होगा या विशेष रूप से मुस्लिम देशों के साथ व्यवहार करते समय अधिक सहिष्णु होगा?
डोनाल्ड ट्रम्प ने चार साल की अनुपस्थिति के बाद अमरीकी राष्ट्रपति पद पर पुन: कब्ज़ा कर लिया है। वह 47वें अमरीकी राष्ट्रपति बन गये हैं और उन्होंने अमरीकी हितों को प्राथमिकता देने और अन्य देशों की ताकत और संरेखण के आधार पर गठबंधन का आकलन करने के अपने दृष्टिकोण पर लौटने का संकेत दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के मोहम्मद बिन सलमान जैसे नेता सहज वार्ता की उम्मीद कर सकते हैं जबकि इज़रायल के बेंजामिन नेतन्याहू डोनाल्ड ट्रम्प के रूप में एक सहायक, परिचित सहयोगी का स्वागत करने की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि यूक्रेन के वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ट्रम्प उन देशों को प्राथमिकता देते हैं जो अमरीकी नीतियों के साथ तालमेल बिठाते हैं या ताकत दिखाते हैं। यही नियम चीन के शीजिनपिंग के साथ उनके भविष्य के व्यवहार पर भी लागू हो सकता है।
ट्रम्प को दुनिया में दोस्त या दुश्मन के रूप में देखने वाले विश्व नेताओं के अलावा भारत और कई अन्य देशों को व्हाइट हाउस में उनकी वापसी के साथ विजेता के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन उनके राष्ट्रपति पद की सबसे बड़ी परीक्षा मुस्लिम देशों के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने में होगी, जिनमें से अधिकांश पिछले चार वर्षों के दौरान अमरीका के खिलाफ हो गये हैं। मुस्लिम देशों में सबसे स्पष्ट और अमरीका का पुराना सहयोगी सऊदी अरब है। लेकिन क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के नेतृत्व में सऊदी अरब के साथ ट्रम्प निश्चित रूप से लम्बे समय से प्रतीक्षित सुरक्षा समझौते के प्रयासों को पुनर्जीवित करना चाहेंगे। इज़रायल और कई अरब देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले अब्राहम समझौते में अहम भूमिका निभाने वाले ट्रम्प से उम्मीद की जा रही है कि वे सऊदी अरब को भी शामिल करने के लिए इस ढांचे का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। द्विपक्षीय संबंधों में तेज़ी के लिए एक और मुस्लिम देश तुर्की होगा। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेपतैयप एर्दोगन ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के बाद संबंधों में सुधार की उम्मीद कर सकते हैं। एर्दोगन और ट्रंप ने दोस्ताना संबंध बनाये रखे हैंए अक्सर फोन पर संवाद करते हैं यहां तक कि एर्दोगन उन्हें ‘मेरा दोस्त’ भी कहते हैं। बाइडन प्रशासन के विपरीतए ट्रम्प की वापसी से एर्दोगन को वाशिंगटन तक सीधी पहुंच मिल सकती है।
ट्रम्प के युद्ध-विरोधी रुख और व्यापार पर ध्यान केंद्रित करने से एर्दोगन को लाभ हो सकता है लेकिन इज़राइल की उनकी आलोचना तनाव पैदा कर सकती है। इसके अतिरिक्त चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए तुर्की के हालिया कदम अमरीका के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने में चुनौतियां पेश कर सकते हैं।
मध्य पूर्वी राजनीति में एक और प्रमुख खिलाड़ी ईरान ने अब तक ट्रम्प की वापसी के प्रभाव को कम करके आंका गया है, लेकिन उनके राष्ट्रपति पद पर जीत ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर कूटनीति के दरवाजे बंद कर दिये हैं, जिससे तेहरान को उम्मीद थी कि वह प्रतिबंधों से त्रस्त अपनी अर्थव्यवस्था को आसान बना सकता है। इज़राइल के एक मजबूत समर्थक ट्रम्प ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ईरान के प्रति अधिकतम दबाव की नीति लागू की। वह पहले लगाये गये अमरीकी प्रतिबंधों को कड़ा करके ईरान को और अलग-थलग कर सकता है। हालांकि ट्रम्प को एक बदले हुए क्षेत्र का सामना करना पड़ेगा क्योंकि ईरान ने हाल ही में सऊदी अरब और यूएई के साथ संबंधों को मजबूत किया है। जहां तक फिलिस्तीन मुद्दे का सवाल है, यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रम्प पश्चिम एशियाई युद्ध से कैसे निपटेंगे। उन्होंने गाज़ा में हमास के खिलाफ लड़ाई में इज़रायल का समर्थन किया है, लेकिन उससे हमले खत्म करने का आग्रह किया है। उम्मीद की जा सकती है कि ट्रम्प इज़रायल को हथियार देने की बाइडन प्रशासन की नीति को जारी रखेंगे। ट्रम्प ने दावा किया है कि वे यूक्रेन में शांति लायेंगे। चीन की अनुचित व्यापार प्रथाओं पर अंकुश लगाना, सहयोगियों को भुगतान करने के लिए मजबूर करना तथा 7 अक्तूबर को इज़रायल में हुए हमलों जैसे अन्य झटकों को रोकना आदि उनकी मुख्य घोषणाएं हैं और दुनिया भर के निर्णयकर्ता डरते हैं कि अगर वे उनकी अवज्ञा करेंगे तो पता नहीं वह क्या करेंगे। अमरीका अन्य मुस्लिम देशों तथा मिस्र, जॉर्डन, ओमान, कतर और यूएई जैसी अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ अपने निरन्तर संबंधों के बारे में आश्वस्त है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद ने कहा कि उनका देश सभी के लिए अवसर, समृद्धि और स्थिरता के भविष्य की दिशा में अमरीका में अपने भागीदारों के साथ काम करना जारी रखने के लिए तत्पर है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मलेशिया जैसे अन्य मुस्लिम देशों ने भी नये अमरीकी राष्ट्रपति को हमेशा की तरह सौहार्दपूर्ण माहौल में बधाई दी। अफगानिस्तान ने उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच संबंधों में ठोस प्रगति होगी और दोनों देश आपसी बातचीत के आलोक में संबंधों का एक नया अध्याय खोल पायेंगे। (संवाद)