केन्द्र सरकार का बड़ा अन्याय

1947 में आज़ादी के साथ ही देश का विभाजन हो गया था। इस विभाजन का संताप पंजाब ने झेला था। इस समय लाखों ही लोग भाईचारों में छिड़े गृह युद्ध में मारे गये थे। उससे पहले लाहौर पंजाब की राजधानी था। विभाजन के समय यह शहर पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान) में चला गया। पूर्वी पंजाब से उसकी यह ऐतिहासिक राजधानी छिन गई। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारतीय पंजाब को हुए इस बड़े नुक्सान की पूर्ति के लिए इसे एक अच्छी राजधानी बना कर देने का सपना सच करके दिखाया था। उस समय के पंजाब के मुख्यमंत्री स. प्रताप सिंह कैरों ने भी पंडित जी को इस कार्य में बड़ा सहयोग दिया था। पंजाब के लगभग 22 गांवों को पूर्वी (भारतीय) पंजाब की राजधानी बनाने के लिए चुना गया था। उससे पहले शिमला ही पंजाब की अस्थायी राजधानी थी। इस तरह अधिकारिक तौर पर चंडीगढ़ का 21 सितम्बर, 1953 को पंजाब की राजधानी के रूप निर्माण करवाया गया था।
वर्ष 1966 में पंजाब पुनर्गठन एक्ट के अधीन भी नये  बने हरियाणा की अस्थायी रूप से ही चंडीगढ़ राजधानी बनाई गई थी। उस समय चंडीगढ़ को भी अस्थायी तौर पर ही केन्द्र शासित क्षेत्र घोषित किया गया था, परन्तु 58 वर्षों के व्यतीत होने के बाद भी तत्कालीन केन्द्र सरकारों की हठधर्मिता के कारण पंजाब की धरती पर पंजाब के लिए बनाई गई इस राजधानी से पंजाब को अलग रखा गया है। 1966 में केन्द्र सरकार की बुरी मंशा के कारण ही पुनर्गठन के  समय पंजाब को बेहद अधूरा तथा कांट-छांट कर प्रदेश बनाया गया था, जिसमें से चंडीगढ़ को भी केन्द्र शासित क्षेत्र बना कर बाहर रखा गया था। यदि आज तक इस शहर के संबंध में पंजाब को उसका हक नहीं मिला, इसके लिए हम समय की ज्यादातर राजनीतिक पार्टियों एवं बड़े राजनीतिज्ञों को भी ज़िम्मेदार समझते हैं। उस समय अकाली दल ने पंजाबी सूबा हासिल करने के लिए एक बड़ी लड़ाई लड़ी थी, परन्तु वह इसके पुनर्गठन के समय इस पूरे अमल की नज़रसानी के लिए परिपक्व एवं पुख्ता योजनाबंदी न कर सका। इसी कारण ही पंजाब के ज्यादातर पंजाबी भाषायी क्षेत्र इससे बाहर निकाल दिये गये तथा वह नये बने हरियाणा एवं हिमाचल में मिला दिए गए। उसके बाद भी अलग-अलग समय बनीं पंजाब की सरकारों ने दूरदर्शी, प्रतिबद्धता एवं प्रभावशाली ढंग से चंडीगढ़ की प्राप्ति के लिए कोई ठोस यत्न नहीं किये, अपितु उनके होते हुए ही लगातार चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार कम होता गया।
आज चंडीगढ़ में पंजाब-हरियाणा के पुनर्गठन के समय निश्चित किए गए 60:40 के अनुपात के अनुसार पंजाबी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की नियुक्ति भी नहीं की जा रही। पंजाब के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या बहुत कम कर दी गई है। लाहौर में स्थापित पंजाब यूनिवर्सिटी के विकल्प के रूप में चंडीगढ़ में पूर्वी पंजाब के लिए बनाई गई पंजाब यूनिवर्सिटी से भी धीरे-धीरे पंजाब का अधिकार खत्म किया जा रहा है। पंजाब की तत्कालीन सरकारों की ओर से ही चंडीगढ़ में बहुत-से सरकारी कार्यालय मोहाली में स्थानांतरित कर दिये गये। नया चंडीगढ़ बनाने की योजना को भी चंडीगढ़ से अपने अधिकारों को कम करने के रूप में देखा जा रहा है। यहां तक कि पिछले लोकसभा चुनावों में चंडीगढ़ से कांग्रेस की ओर से खड़े किए गए उम्मीदवार मनीष तिवारी ने अपने चुनाव अभियान के दौरान चंडीगढ़ को प्रदेश का दर्जा देने का भी वायदा किया था। पिछले कुछ वर्षों से भाजपा के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने भी पूर्व की केन्द्र सरकारों जैसा व्यवहार ही धारण नहीं किया, अपितु पंजाब के अधिकारों पर डाका डालने के लिए यह उनसे भी आगे बढ़ गई है, जिससे इसका पंजाब के प्रति धारण किया गया रवैया स्पष्ट हो जाता है। 
दो वर्ष पूर्व गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस बात को हवा दी गई थी कि चंडीगढ़ में हरियाणा को अपनी नई विधानसभा बनाने के लिए जगह दी जाएगी। उसी समय ही केन्द्र सरकार की पंजाब के प्रति नीयत स्पष्ट हो गई थी। अब जबकि हरियाणा में भाजपा की तीसरी बार सरकार स्थापित हो चुकी है तो केन्द्र सरकार का हौसला इस मामले के प्रति और भी बढ़ा हुआ दिखाई देता है। अब उसने सार्वजनिक रूप में हरियाणा को अपनी विधानसभा बनाने के लिए चंडीगढ़ में जगह अलॉट कर दी है, जबकि चंडीगढ़ की सीमा के साथ लगते हरियाणा के शहर पंचकूला में 12 एकड़ जगह चंडीगढ़ को दी जा रही है, जबकि पंचकूला की इसी ज़मीन पर हरियाणा स्वयं अपनी नई राजधानी का निर्माण कर सकता था। केन्द्र सरकार के इस फैसले के विरुद्ध पंजाब में तीव्र प्रतिक्रम हुआ है। पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा यहां तक कि पंजाब भाजपा के अध्यक्ष श्री सुनील जाखड़ ने भी इसे पंजाब के साथ बड़ा अन्याय करार देते हुए प्रधानमंत्री को इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। कई किसान संगठन भी इसके विरुद्ध खुल कर सामने आये हैं। हम समझते हैं कि अब ऐसा करके केन्द्र सरकार ने इस मामले पर दशकों से बीजे गये कांटों को लोहे की  कीलों में बदल दिया है। हम भी इसे मोदी सरकार द्वारा पंजाब के साथ किया गया बड़ा अन्याय समझते हैं, जिसे पंजाब किसी भी स्थिति में सहन नहीं करेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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