अभी खत्म नहीं हुई सीरिया में जंग
सीरिया से बशर अल-असद की सत्ता खत्म हो गई है। असद परिवार पिछले 50 सालों से सीरिया की सत्ता पर काबिज था। असद की सत्ता खत्म होने से पूरी दुनिया में सुन्नी मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर दौड़ गई है। इसके अलावा दुनिया भर में वामपंथी और लिबरल समुदाय बहुत खुश है क्योंकि उन्हें लगता है कि एक तानाशाह की सत्ता का अंत हो गया है। यह सच है कि असद एक तानाशाह माने जाते थे लेकिन जो लोग सत्ता में आ रहे हैं, वे उनसे बड़े तानाशाह और क्रूर साबित हो सकते हैं। बड़ी अजीब बात है कि जिहादी गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) ने सिर्फ दस दिनों में असद की सत्ता को खत्म करके सीरिया पर कब्ज़ा कर लिया है। इतने दिनों से चल रहे सत्ता संघर्ष में अचानक यह सब नहीं हुआ है। इसके पीछे अमरीका, इज़राइल और तुर्की का हाथ माना जा रहा है ।
एचटीएस प्रमुख अबु मोहम्मद-अल-गोलानी जिसे आज स्वतंत्रता सेनानी बताया जा रहा है, वह कभी अल-कायदा का सदस्य था और अमरीका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा हुआ था। गोलानी की सत्ता आना सीरिया में नये युग की शुरुआत बताया जा रहा है। जिस अल-कायदा को खत्म करने के नाम पर अमरीका ने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया, आज उसी अल-कायदा के नेता को सत्ता में बिठाकर शांति की उम्मीद की जा रही है। जो बाइडन ने सीरिया को आर्थिक पैकेज देने का भी ऐलान कर दिया है। अब सवाल उठता है कि गोलानी के आने के बाद क्या सब कुछ शांत हो जायेगा। आईएसआईएस इस मौके का वर्षों से इंतजार कर रहा था। असद के जाने के बाद सीरिया में अराजकता पैदा होने वाली है और अराजकता आईएस के लिए खाद का काम करती है।
वह अब अपने कब्ज़े वाले इलाके से बाहर आकर सीरिया के अन्य इलाकों पर कब्ज़ा करने की कोशिश करेगा और इसके कारण उसका संघर्ष गोलानी की सेना से होगा। यह बात अमरीका भी जानता है, इसलिए उसने गोलानी की जीत के तत्काल बाद आईएस के कब्ज़े वाले इलाकों पर बड़ा हमला किया है। डोनाल्ड ट्रम्प के आने के बाद क्या होगा, यह देखना होगा। ट्रम्प ने कहा है कि सीरिया हमारा दोस्त नहीं है, वहां जो कुछ भी हो रहा है, उससे हमें कोई मतलब नहीं है क्योंकि यह हमारी लड़ाई नहीं है। मतलब साफ है कि अगर आईएस सीरिया में आगे बढ़ता है तो ट्रम्प के आने के बाद सीरिया को बचाने अमरीका नहीं आने वाला है। आईएस से निपटना गोलानी के लिए आसान नहीं होगा, क्योंकि अब उसे अमरीका और इज़राइल की मदद मिलना मुश्किल होगा है। सीरिया का बड़ा हिस्सा कुर्दों के पास है। असद सरकार कुर्दों के साथ समझौता कर चुकी थी और उनके साथ संघर्ष नहीं कर रही थी। अब कुर्दों का गोलानी से संघर्ष होना तय दिखाई दे रहा है, क्योंकि कुर्द अपने कब्ज़े वाले इलाके से आगे बढ़ने की कोशिश कर सकते हैं। अब देखना होगा कि अमरीका कुर्द और एचटीएस के बीच संघर्ष होने पर क्या करता है क्योंकि ये दोनों ही अमरीका के सहयोगी हैं और दोनों को ही अमरीकी मदद मिल रही है ।
एचटीएस के सत्ता में आने के बाद तुर्की भी कुर्दों पर हमला कर सकता है। कुर्दों को लेकर अमरीका और तुर्की में विवाद बढ़ सकता है। एचटीएस की सत्ता आने पर सीरिया में शिया समुदाय पर सुन्नियों का हमला बढ़ सकता है और इससे ईरान को परेशानी होने वाली है। सीरिया की समस्या के कई पहलू ऐसे हैं जिनका समाधान मुश्किल दिखाई दे रहा है। जो लोग सोचते हैं कि सीरिया की जंग खत्म हो गई है और अब जोलानी वहां सत्ता पर काबिज़ हो जायेगा, वो लोग मुगालते में हैं। सीरिया में कई शक्तियां संघर्ष कर रही हैं। इसलिए सीरिया टुकड़ों में बंटा हुआ है। असद सरकार में भी सीरिया को कई हिस्सों में बांटकर शासन हो रहा था। कुर्द, आईएस, विद्रोही और असद सरकार सीरिया के इलाकों पर अलग-अलग काबिज़ थे। अब कुर्द अपने इलाकों में बढ़ोतरी करना चाहते हैं तो दूसरी तरफ आईएस भी नये इलाकों पर कब्ज़ा करेगा। इज़राइल गोलान पहाड़ियों से आगे बढ़कर कब्ज़े कर रहा है। मतलब साफ है कि अभी तो जंग शुरू हुई है, सीरिया की जनता को जल्दी शांति मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रहा है। (अदिति)