दर्द की दास्तान
कुछ इस तरह के मामले होते हैं जो देश के लोगों को झिंझोड़ देते हैं। पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 9 अगस्त, 2024 को ऐसा ही एक घिनौना घटनाक्रम घटित हुआ था, जिसने सभी को झिंझोड़ कर रख दिया था। एक ट्रेनी डाक्टर से दुष्कर्म करके निर्ममतापूर्ण उसकी हत्या कर दी गई थी। ऐसा ही घिनौना घटनाक्रम दिल्ली में दिसम्बर, 2012 को घटित हुआ था, जिसे आज भी निर्भया कांड के नाम से जाना जाता है। इन दोनों ही दर्दनाक घटनाओं की वार्ता तो चाहे अलग-अलग है परन्तु सारांश एक ही है। ऐसा कुछ प्रतिदिन घटित होता है तथा बार-बार घटता है। महिला से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के समाचारों की भरमार बनी रहती है।
देश में इस संबंध में समय-समय पर कड़े कानून बनाए जाते रहे हैं। खास तौर पर निर्भया कांड के बाद तो इन्हें और भी कड़ा कर दिया गया था, परन्तु ऐसे मामलों में कमी न आना मनुष्य की दरिन्दगी ही कही जा सकती है। सदियों से महिला पर हर तरह के अत्याचार किये जाते रहे हैं। पुरुष ने अक्सर ऐसी मानसिकता धारण कर रखी है। आज भी दुनिया भर में ज्यादातर ऐसे समाज मौजूद हैं, जिनमें पुरुष के दबाव कारण महिला नरक भरा जीवन जीने के लिए विवश है। भारत में चाहे अब इस पक्ष से भिन्न-भिन्न समाजों में बड़े बदलाव ज़रूर देखे जा सकते हैं परन्तु इसके बावजूद आज भी बड़ी संख्या में महिलाएं अनेक दबाव में से गुज़रती हुई ज़िन्दगी जीने के लिए विवश हैं। आज की महिलाओं के विरुद्ध दरिन्दगी की घटनाएं प्रतिदिन घटित होती रहती हैं। जिस तरह से हमने ऊपर ज़िक्र किया है, पिछले वर्ष 9 अगस्त को जिस तरह का कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में ड्यूटी के दौरान एक ट्रेनी डाक्टर के साथ घटित हुआ, वह भी दुनिया से बाहर ही था। लम्बी ड्यूटी के बाद अकेले हाल में आराम कर रही एक महिला को जिस तरह एक दरिन्दे ने नोचा उसका पता उसकी मौत के बाद किए गए पोस्टमार्टम से ही लगाया जा सका है। उसके शरीर और गुप्तांगों सहित अनेक गहरे ज़ख्म थे तथा बाद में उसकी गला दबा कर हत्या की की गई थी। जिसके बाद डाक्टर वर्ग में ही नहीं, अपितु समूचे समाज में एक भारी रोष पैदा हुआ था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी घटित इस मामले के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार ठहराया गया था तथा उनकी छवि खराब करने का अधिक से अधिक प्रयास किया गया था।
बंगाल पुलिस से इस संबंध में जांच छीन कर सी.बी.आई. को दे दी गई थी। आपने जिस घटना के हर पक्ष की पूरी तरह जांच की थी तथा अदालत में इसका पूर्ण विस्तार भी दिया था परन्तु इस मामले का फैसला करने वाले संबंधित न्यायाधीश की ओर से अपने फैसले में इस मामले को दुर्लभ न मानने पर बड़ा आश्चर्य ज़रूर हुआ है तथा आरोपी को मौत तक उम्र कैद की सज़ा ही सुनाई गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस फैसले पर निराशा प्रकट की है। आम तौर पर लोगों ने भी इसे निराशाजनक कहा है। एक बार फिर इसे लेकर राजनीति गर्मा गई है। इसलिए अभी इस फैसले को इस मामले में अंतिम फैसला नहीं माना जा सकता। उच्च अदालत में इस संबंधी कार्रवाई आगे चलेगी तथा आखिरी फैसले तक लोगों की इस संबंध में तत्परता ज़रूर बनी रहेगी। इसके साथ ही इस मामले से एक बार फिर महिला के प्रति होते अपराधों की कानूनी स्तर पर पुन: से जांच करवाने के लिए एक बार फिर रास्ता साफ हो गया है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द