खर-पतवार क्या है ?
‘दीदी, वीड किसे कहते हैं?’
‘खत-पतवार को। दरअसल, जब हम किसी चीज़ को वीड या खत-पतवार कहते हैं तो हम पौधों के वैज्ञानिक वर्गीकरण का प्रयोग नहीं कर रहे होते हैं।’
‘फिर?’
‘यह कुछ पौधों को कहने का लोगों का एक तरीका मात्र है। खत-पतवार को आमतौर से इस तरह परिभाषित किया जाता है कि पौधों का उस जगह उगना जहां उनकी ज़रुरत न हो।’
‘ऐसे पौधों की कुछ मिसालें दें।’
‘हमारे लॉन के बीच में जो अपने आप डंडेलियन (शेर दंदा) उग आता है। उसे खत-पतवार कहते हैं। लेकिन ताज़ी हरी पत्तियों के लिए जो खेतों में डंडेलियन उगाया जाता है वह खत-पतवार नहीं होता है। इसी तरह खेतों में उगाया जाने वाला क्लोवर (तिपतिया घास) खत-पतवार नहीं है, लेकिन फूलों की क्यारी में उग आने वाला क्लोवर खत-पतवार है।’
‘इसका मतलब, अनचाहे पौधे खत-पतवार होते हैं।’
‘दरअसल, अक्सर ऐसा होता है कि एक व्यक्ति का खत-पतवार दूसरे व्यक्ति का जंगली फूल होता है।’
‘मैं समझा नहीं।’
‘शहर के लोग डेज़ी, बटरकप (एक बारहमासी फूल), गोल्डनरोड (पौधा जिसका तना छड़ी जैसा व फूल पीले रंग के होते हैं) और काली आंखों वाले सुसान फूल को शहर के लोग एकत्र करते हैं, लेकिन किसान जैसे ही अपने खेत में इन फूलों को देखता है तो उन्हें तुरंत उखाड़कर फेंक देता है।’
‘क्यों?’
‘चूंकि वह उसके किसी काम के नहीं बल्कि उसकी फसल के खाद पानी पर डाका डाल रहे होते हैं, विशेषकर इसलिए कि उनमें तेज़ी व मज़बूती से उगने की क्षमता होती है। उगाये जाने वाले पौधों की तुलना में खत-पतवार में जिंदा रहने की अधिक क्षमता होती है। कुछ खत-पतवार तो 2 से 4 मीटर ऊंचे हो जाते हैं, ज़ाहिर है इनसे किसानों को नुकसान ही होता है।’
‘तो खत-पतवार से बचने के लिए किसान क्या करते हैं?’
‘अब तो स्प्रे के रूप में रसायन विकसित कर लिए गये हैं खत-पतवार को नियंत्रित करने के लिए।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर