दोस्ती के लिए आगे जाएंगे, झुकेंगे नहीं
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में कुछ ही दिनों में जो उनकी घोषणाएं सामने आई हैं उनका प्रभाव विघटनकारी लगने लगा है। उन घोषणाओं को सनसनी ही नहीं अतिश्योक्तिपूर्ण भी माना जा रहा है। यह पूरी इबारत ट्रम्प ने रची है और इसके लिए उन्हें अपने पर गर्व भी हो रहा है। इस समय अपनी अतिशय विजय पर ज़ोर-खरोश से घोषणाएं कर रहे हैं। वह बड़े जनादेश के साथ लौट कर आए हैं। सीनेट में कांग्रेस पर वर्चस्व बनाए हुए हैं। राष्ट्रपति बनते ही घोषणाओं का अम्बार लगाकर विश्व भर के मीडिया में सुर्खियां बटोरी हैं। विवादास्पद मुद्दों पर बढ़-चढ़ कर बोले हैं। दर्जनों आदेश जारी किए हैं और अपना वायदा दोहराया है कि वह फिर अमरीका को महान बनाना चाहते हैं। यह स्लोगन अमरीकियों को अच्छा लगेगा जिसमें अतिश्योक्ति के छुपे रहने की गुंजाइश है। इस तरह कुछ ही दिन की घोषणाएं धमाकेदार और किसी हद तक शेखी भरी है परन्तु वह ट्रम्प हैं। एक ताकतवर देश के प्रमुख, जिन्हें कोई सुनकर अपना मतलब समझना चाहता है।
चुनाव अभियान के दिनों उन्होंने कहा था कि वह चीनी उत्पादों पर साठ प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, लेकिन राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने इसे घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया। उन्होंने एक और काम किया चीनी ऐप टिकटॉक को एक्सटेंशन दिया जिसके लिए उन्होंने पहले कहा था कि वह उस पर प्रतिबन्ध लगा देंगे। ट्रम्प ने चीन को उसकी जगह बताने के लिए जो कुछ कहा, क्या वह उनकी लोकप्रियता के लिए ही था जो चुनाव जीतने के लिए उन्हें ज़रूरी लगा। फिर भी यह देखना दिलचस्प लग सकता है कि वह शी जिनपिंग के साथ सौहार्दपूर्ण बात कर चुके हैं। इतना ही नहीं अप्रैल में बीजिंग जाने की योजना बना रहे हैं।
इस बीच एक और डिवैल्पमैंट देखने में आ रही है। उनके यूरोपीय सहयोगी और जापान (अमरीका फर्स्ट) पर कुछ फिक्रमंद ज़रूर हैं। ये विघटनकारी संकेत लग सकते हैं, लेकिन अमरीका, पश्चिमी यूरोप और जापान इस तरह से आपस में जुड़े हैं कि अलग होने या जाने पर विचार करना सम्भव नहीं लगता।
जहां तक मध्य पूर्व में उनके शांति स्थापित करने के विचार को इतना प्रभावी नहीं माना जा सकता। कारण यह कि अमरीका में इज़रायल समर्थक लॉबी काफी मज़बूत है और इसे ट्रम्प के रवैये की ज्यादा परवाह नहीं है। यूक्रेन युद्ध के लिए भी अमरीकी सैन्य औद्योगिक कॉम्पलैक्स का विशेष मतलब है। ट्रम्प के लिए इस सीमा के पार जाना कठिन लग रहा है। पुतिन क्या इतनी जल्दी युद्ध समाप्त करने पर सहमत हो सकते हैं? वह नाटो की विस्तारवादी अकांक्षा पर रोक और यूक्रेन की तटस्थता की शर्त रख सकते हैं। वह पहले से ही नाटो के यूक्रेन पर प्रभाव को लेकर फिक्रमंद रहे हैं।
अमरीका में ट्रम्प के 11 दिनों के कार्यकाल में ही 1700 अवैध प्रवासी भारतीय हिरासत में लिए गए हैं। अवैध प्रवासियों पर उनकी सख्ती का असर है। बारह राज्यों में छापामारी की गई। इससे पहले 18000 अवैध प्रवासी भारतीयों को डिपोर्ट करने पर विचार किया गया था। भारत ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है कि अवैध प्रवासियों की पुष्टि होने पर ही उन्हें वापिस लेंगे। मैक्सिको बॉर्डर पर घुसपैठ की घटनाएं 94 प्रतिशत कम हुई हैं। अमरीका में गैम्बलिंग का चलन बढ़ता जा रहा है। खेलों में हार-जीत पर दांव लगाने की प्रवृत्ति बढ़ती चली जा रही है। इसमें हर साल कई गुणा इज़ाफा हो रहा है। स्पोर्ट्स बैटिंग को कानूनी दर्जा देने से समाज पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। कज़र् बढ़ता चला जा रहा है। ऐसी अनेक उलझने हैं जिन पर ट्रम्प को ध्यान देना ही होगा।