नई सरकार की परीक्षा

दिल्ली राज्य के लिए हुए चुनावों में भाजपा की जीत की घोषणा के 12 दिन बाद रेखा गुप्ता ने मुख्यमंत्री के रूप में अपने अन्य 6 मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण कर ली है। यह शपथ ग्रहण समारोह इसलिए प्रभावशाली रहा, क्योंकि प्रधानमंत्री सहित कई बड़े केन्द्रीय मंत्रियों और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जन-तांत्रिक गठबंधन की भागीदार पार्टियों के मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इसमें भाग लिया। भाजपा के लिए यह जीत इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि दिल्ली चाहे पूर्ण राज्य तो नहीं परन्तु वर्ष 1991 में बनाए गए ‘द गवर्नमैंट ऑफ नैशनल कैपीटल टैरीटरी ऑफ दिल्ली एक्ट, 1991’ के अनुसार यहां निर्वाचित सरकार के पास अनुपातन अधिक शक्तियां हैं, इसलिए भी कि इस जीत ने भाजपा के विजय रथ को और भी आगे बढ़ाया है। इसका प्रभाव बिहार सहित आने वाले कई राज्यों के चुनावों पर भी पड़ने की सम्भावना बन गई है।
दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल के नेतृत्व में 10 वर्ष तक आम आदमी पार्टी का शासन रहा। केजरीवाल यहां से तीन बार मुख्यमंत्री चुने गए थे। चाहे बाद में घटित घटनाक्रम के कारण उन्हें त्याग-पत्र देना पड़ा था और उनकी ओर से ‘आप’ की ही वरिष्ठ नेता आतिशी मारलेना को मुख्यमंत्री बनाया गया था। इस बार दिल्ली के चुनाव अरविन्द केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही लड़े गए थे। विगत 10 वर्ष की अवधि में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा को भारी समर्थन मिला था, परन्तु विधानसभा चुनावों में ‘आप’ ने दिल्ली पर मज़बूत पकड़ बनाए रखी थी। अब हुए दिल्ली विधानसभा के चुनावों में 70 में से 48 सीटों पर भाजपा विजयी रही थी और 22 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। कांग्रेस को इस दौरान हुए तीन चुनावों में कोई भी सीट प्राप्त नहीं हुई थी।
इन चुनावों से पहले देश में हुए विभिन्न अन्य चुनावों में केजरीवाल दूसरी पार्टियों से मुकाबले के लिए मुफ्त की योजनाओं की घोषणाओं से मतदाताओं को प्रभावित करने के यत्न करते रहे थे, परन्तु प्रधानमंत्री और भाजपा के अन्य नेता केजरीवाल की ‘मुफ्त की रेवड़ियां’ बांटने की नीति की कड़ी आलोचना भी करते रहे थे, परन्तु दिल्ली में भाजपा ने अपना सिद्धांत बदल लिया था। उसने भी अधिक से अधिक मुफ्त सुविधाओं वाली योजनाएं देने की घोषणाएं की थीं। उदाहरणतया यदि आम आदमी पार्टी ने महिलाओं को 2100 रुपए प्रति महीना देने का वायदा किया था तो भाजपा ने उससे बढ़ कर महिलाओं को 2500 रुपए देने की घोषणा कर दी थी। आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यकाल में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली, महिलाओं को मुफ्त बस स़फर और मुफ्त पानी कनैक्शन देने की योजनाएं जारी रखने के वायदे किए थे। भाजपा ने भी यह घोषणा कर दी थी कि वह ‘आप’ की ओर से दी जाती इन सुविधाओं को जारी रखेगी। ‘आप’ द्वारा मुहल्ला क्लीनिकों को आयुष्यमान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ जोड़ कर लोगों को अधिक लाभ पहुंचाने की घोषणाएं भी की गई थीं।
अब भाजपा सरकार अस्तित्व में आने के बाद उसकी ओर से की गई घोषणाओं और पहले जारी योजनाओं पर कितना क्रियान्वयन कर सकेगी, यह इसलिए देखने वाली बात होगी क्योंकि दिल्ली सरकार इन योजनाओं के लिए इतनी बड़ी आर्थिक राशि का प्रबन्ध कैसे करेगी? उसके समक्ष करने हेतु और अनेक कार्य हैं। अपनी चुनाव रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली को विश्व के सुन्दर शहरों की तज़र् पर बनाने की बात की है। उसके लिए सड़कें, सीवरेज और शहर के मूलभूत ढांचे को और भी प्रत्येक पक्ष से मज़बूत करने की ज़रूरत होगी। इन चुनावों में ही दिल्ली से गुज़रती यमुना नदी के अति-प्रदूषित होने की बात लगातार चलती रही है। यह बड़ा मुद्दा बना रहा है। इसके अतिरिक्त शहर में लगातार फैलते जा रहे प्रदूषण पर नियन्त्रण करना भी एक बड़ी चुनौती होगी। अपने वायदों के अनुसार भाजपा को अपने बयानों पर पूरा उतरना होगा।
इस बार भाजपा 27 वर्ष के बाद फिर से सत्ता में आई है। दिल्ली को राज्य का दर्जा मिलने के बाद वर्ष 1993 में हुए चुनावों में इसे 5 वर्ष के लिए सत्ता ज़रूर मिली थी, परन्तु उन 5 वर्षों में भाजपा द्वारा तीन मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज बनाए गए थे। उसके बाद 15 वर्ष तक शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस शासन चलाती रही। फिर ‘आप’ के अतिरिक्त 10 वर्ष तक कोई और पार्टी न टिक सकी। अब दिल्ली की आठवीं विधानसभा में बनी सरकार की कारगुज़ारी पर देश भर की नज़रें केन्द्रित रहेंगी, जिसके लिए नव-निर्वाचित सरकार को कड़ी परीक्षा में से गुज़रना पड़ेगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द


 

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