ट्रम्प के नाटो से दूरी बनाने के बाद यूरोप के लिए परीक्षा की घड़ी

1945 में द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के अस्सी साल बाद यूरोप, विशेष रूप से पश्चिमी यूरोप अव्यवस्थित सा हो गया है, क्योंकि आठ दशकों से उनका ट्रान्साटलांटिक सहयोगी अमरीका नये ट्रम्प सिद्धांत के तहत नाटो से संबंधित यूरोपीय देशों की सुरक्षा की गारंटी देने से इनकार कर रहा है। इससे पहले भी अमरीका और यूरोपीय देशों के बीच कई मुद्दों पर मतभेद थे, लेकिन उनका महाद्वीप की भू-राजनीति पर इतना व्यापक प्रभाव कभी नहीं पड़ा, जितना 2025 में पड़ रहा है। 17 फरवरी को नाटो और यूरोपीय संघ सहित यूरोपीय देशों के नेताओं की आपातकालीन बैठक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कोई प्रभावी रणनीति बनाने में विफल रही, जिसमें यूरोपीय देशों, विशेष रूप से नाटो को अमरीका पर निर्भर हुए बिना अपनी रक्षा प्रणाली के बारे में सोचना पड़ रहा है, जो 1949 में नाटो की स्थापना के बाद से पिछले 75 वर्षों से एक रक्षा निकाय के रूप में चलन में है। 
नाटो की स्थापना अमरीका और सोवियत संघ के बीच तीव्र शीत युद्ध की पृष्ठभूमि में हुई थी, जिसमें पश्चिमी यूरोप नाटो के हिस्से के रूप में अमरीका के साथ मज़बूती से जुड़ा हुआ था। तब से यूरोप में बड़े बदलाव हुए हैं, जिनमें 1991 में सोवियत संघ का पतन और 1991 के बाद सोवियत राज्य से अलग होकर कई स्वतंत्र राज्यों की स्थापना शामिल है। यूक्रेन उन राज्यों में से एक था। 24 फरवरी, 2022 से शुरू होने वाले यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को इस सप्ताहांत तीन साल पूरे हो रहे हैं और इसी सप्ताह, मंगलवार 18 फरवरी को रूस के विदेश मंत्री और अमरीका के विदेश मंत्री ने सऊदी अरब के रियाद में यूरोप और यक्रेन के प्रतिनिधित्व के बिना मुलाकात की। यूरोपीय देशों और यूक्रेन के राष्ट्रपति ने संबंधित बहिष्कार का कड़ा विरोध किया, लेकिन बैठक उनके बिना ही चली। राष्ट्रपति ट्रम्प भी नाटो या यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की के विचारों को ध्यान में रखे बिना, अपनी शर्तों पर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक के साथ आगे बढ़ेंगे।
यूरोपीय नेताओं की सोमवार को पेरिस बैठक में यूक्रेन पर आने वाली वार्ता में यूरोपीय नेताओं की भागीदारी की मांग की गयी थी, लेकिन ट्रम्प ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पहले राष्ट्रपति पुतिन से मिलेंगे और उसके बाद ज़रूरत पड़ने पर राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को बुलाया जायेगा। इस बात का कोई आश्वासन नहीं था कि यूरोपीय नेताओं को अनुवर्ती बैठकों में भी आमंत्रित किया जायेगा। इसका मतलब यह है कि ट्रम्प केवल राष्ट्रपति पुतिन के साथ बातचीत करके अनिच्छुक यूरोपीय देशों पर युद्धविराम थोपने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रम्प के सलाहकारों और खुद ट्रम्प ने पहले ही इशारा कर दिया है कि यूक्रेन को नाटो की सदस्यता के बारे में भूलना होगा और राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को क्रीमिया पर भी अपना दावा छोड़ना होगा, जिस पर अब रूस का कब्ज़ा है। कुल मिलाकर वार्ता में अन्य कब्ज़े वाले क्षेत्रों के मुद्दे को उठाया जा सकता है, जहां मामूली क्षेत्रीय समायोजन पर बातचीत की जा सकती है।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा पेरिस में पिछले दिनों बुलाई गई बैठक में यूरोपीय नेताओं ने तीन वास्तविकताओं को स्वीकार किया—पहला, ऐसा प्रतीत होता है कि अमरीका और यूरोप अब उन मूल्यों को साझा नहीं करते हैं, जो 1945 से ट्रांसअटलांटिक गठबंधन का आधार रहे हैं। दूसरा, यूरोप अब अपने बचाव के लिए अमरीका पर निर्भर नहीं रह सकता। तीसरा, यूक्रेन पर अमरीकी नीति का सवाल। अमरीकी योजना पर यूरोपीय देशों को अमरीका द्वारा जानकारी दिये जाने की आवश्यकता है और अमरीका को यूरोप को बातचीत की मेज पर आमंत्रित करना है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसलिए चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि इस समय ट्रम्प की चुनौती का सामना करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प क्या होना चाहिए।  (संवाद) 

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