देश ‘हिंदू पाकिस्तान’ की दिशा की ओर!

मोदी युग का अब अंतिम चरण शुरू हो चुका है। मोदी और उनके लोग कभी न कभी जाएंगे, लेकिन जाते-जाते वह इस देश को टुकड़ों में बांटकर जाएंगे, यह स्पष्ट दिख रहा है। देश में आज जो सांप्रदायिक और धार्मिक ऩफरत बड़ी है, वह‘बंटवारे’ से पहले भी इसी तरह दिखाई दे रही थी। आज यहां के कुछ हिंदू (अर्थात विकृत मानसिकता वाले) नेता जिन्ना की भूमिका में आ गए हैं। यह देश के लिए खतरनाक है। भारत में सावरकर ने द्विराष्ट्र सिद्धांत प्रस्तुत किया था। भारतीय मुसलमान और भारतीय हिंदू दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। उनके अपने अलग धर्म, परंपराएं और रीति-रिवाज़ हैं। इसलिए सामाजिक और नैतिक दृष्टिकोण से मुसलमानों को हिंदू बहुल भारत से बाहर अपनी अलग मातृ भूमि बनाने का अधिकार होना चाहिए। ऐसा उनका कहना था।
डॉ. अम्बेडकर ने भी एक बार कहा था, ‘यहां हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र के रूप में रहते दिखाई दे रहे हैं।’
हालांकि, पंडित नेहरू जैसे समझदार व्यक्ति ने खुलकर कहा था, ‘देश का संविधान धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा। मैं भारत को हिंदू पाकिस्तान नहीं बनने दूंगा।’
धर्म के आधार पर बने कई राष्ट्र टूट कर बिखर गए हैं। इसमें पाकिस्तान भी शामिल है। पंडित नेहरू जैसे लोगों ने इस देश को हिंदू पाकिस्तान नहीं बनने दिया, इसलिए यह देश बचा रहा, लेकिन मोदी युग में देश को फिर से एक नए बंटवारे की ओर धकेला जा रहा है। क्या हम हिंदू पाकिस्तान की ओर बढ़ रहे हैं?
दंगल करवा रहे हैं?
मुसलमानों की कमियां निकालकर उन्हें भड़काने का एक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जो चौंकाने वाला है। दुबई में भारत बनाम न्यूज़ीलैंड चैम्पियन्स ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में भारत विजयी हुआ। इसके बाद कई स्थानों पर भाजपा समर्थकों ने जीत का जश्न मनाते हुए मोर्चे निकाले। ये मोर्चे रात के समय जानबूझकर मस्जिदों के सामने से निकाले गए और वहां शोरगुल मचाने, जोर-जोर से वाद्ययंत्र बजाने, मुसलमानों के खिलाफ  नारेबाजी करने जैसी घटनाएं शुरू हो गईं। मध्य प्रदेश के महू में इसके कारण दो गुटों के बीच दंगा भड़क उठा। इसका असर अन्य स्थानों पर भी देखने को मिला। जीत का जश्न मनाने का यह तरीका नहीं है, लेकिन ऐसी घटनाओं को लगातार अंजाम देकर देश में दंगे भड़काने की साज़िश रची जा रही है।
‘हम मुसलमानों के साथ नहीं रहेंगे,’ यह ज़हर भारतीय जनता पार्टी और उसकी विचारधारा से जुड़े लोग खुलकर फैला रहे हैं। उनका ऐसा खुला प्रचार चल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से कहा कि ‘हिंदू और मुसलमानों का ‘डीएनए’ एक ही है। हिंदू और मुसलमानों को एक साथ रहना चाहिए।’ वे शुरू से ही एक साथ हैं, लेकिन संघ की विचारधारा से जुड़े नए लोगों को यह विचार स्वीकार नहीं है। महाराष्ट्र के एक मंत्री नितेश राणे ने महाराष्ट्र में हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग मटन की दुकानें बनाने की घोषणा की है। क्या श्री भागवत को यह मान्य है? उत्तर प्रदेश की भाजपा विधायक केतकी सिंह ने कहा, ‘मुसलमानों के लिए अस्पतालों में अलग वार्ड बनाएं।’ यह ज़हर फैलाने का सिलसिला यूं ही चलता रहा तो भारत के हिंदू पाकिस्तान बनने की गति और तेज़ हो जाएगी। इन सभी ने लोगों के मन में मुस्लिम समाज के प्रति तिरस्कार और घृणा पैदा कर दी है, जिससे देश का सामाजिक और राष्ट्रीय माहौल ज़हरीला हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार के दौरान कहते हैं, ‘मुसलमान हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र खींचकर ले जाएंगे, इसलिए भाजपा को वोट दें।’ लेकिन जब मुस्लिम देशों के नेता भारत आते हैं, तो वही प्रधानमंत्री उन्हें लेने और गले लगाने हवाई अड्डे पर जाते हैं। अमरीका दौरे में राष्ट्रपति ट्रम्प ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत का खुलकर अपमान किया।
 राष्ट्रपति ट्रम्प मुसलमान नहीं हैं। मोदी वहां अपमान सहकर वापस देश लौट आए और लोग उस अपमान को भूल जाएं, इसलिए देश में ‘हिंदू बनाम मुसलमान’ का माहौल शुरू कर दिया और अब वह महाकुंभ का गंगाजल लेकर मॉरीशस के लिए रवाना हो गए। इससे देश का क्या विकास होगा? उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में मुस्लिम माफिया और गुंडों के एनकाउंटर शुरू हो गए हैं, लेकिन योगी जिस जाति के हैं, उस जाति के गुंडों और माफिया को पूरा अभय मिला हुआ है। यानी हिंदू माफिया को हिंदुओं को लूटने का पूरा अधिकार भाजपा शासित राज्य में है। पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी कहते हैं, ‘मुस्लिम विधायकों को राज्य की विधानसभा से उठाकर बाहर फेंक दो।’ क्या यही भाजपा के हिंदू राष्ट्र की यानी हिंदू पाकिस्तान की शुरुआत है? हिंदू सहनशील, संयमी और संस्कारी हैं, लेकिन अगर कोई उन पर अकारण हमला करे तो वे उसे बख्शते नहीं हैं।
नए मटन हृदय सम्राट
महाराष्ट्र में हिंदुओं के लिए मांस (मटन) की अलग दुकानें, लेकिन मुंबई में मंगल प्रभात लोढा जैसे कई बिल्डर मटन खाने वाले हिंदुओं को उनके हाउसिंग कॉलोनियों में पैर रखने नहीं देते और उन्हें जगह देने से इंकार कर दिया जाता है। इस पर क्या ये ‘मटन’ वाले ‘बाल हिंदू हृदय सम्राट’ क्या बोलेंगे? भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमान भी शामिल थे। कई मुस्लिम क्रांतिकारी फांसी पर चढ़े थे। कई मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी ‘अंडमान’ के काले पानी की सज़ा काटते वहीं मर गए। 
अंग्रेज़ों ने उनका भी उत्पीड़न किया, तो क्या मुसलमानों के खून-पसीने से हासिल की गई ‘आज़ादी’ से आज के ‘नव हिंदू मटन हृदय सम्राट’ बाहर होने वाले हैं? मुसलमानों के योगदान से हासिल भारत में हम सांस भी नहीं लेंगे, वे यह कहकर किस देश में जाएंगे? भारत के स्वतंत्रता संग्राम और भारत निर्माण में शून्य योगदान देने वाले लोग हीनभावना से ग्रस्त हैं और हिंदू-मुसलमान दो अलग राष्ट्र फिर से बना रहे हैं। इस खेल को नाकाम कर देना चाहिए।
ये भी औरंगजेब हैं : महाराष्ट्र सहित भारत में ऐसे हिंदुत्ववादियों ने फिर से औरंगज़ेब को जीवित कर दिया है। इसके पीछे राजनीतिक स्वार्थ है। औरंगज़ेब को महाराष्ट्र में दफना दिया गया, वह मिट्टी में मिल गया, लेकिन किसी फिल्म के सहारे औरंगज़ेब को फिर से समाज में खड़ा करना शिवराय (शिवाजी) का भी अपमान है। ‘श्रीमान योगी’ की प्रस्तावना में प्रो. नरहर कुरुंदकर कहते हैं, ‘औरंगज़ेब को समझे बिना शिवाजी को ठीक से समझा नहीं जा सकता।’ लेकिन इन लोगों को शिवाजी भी समझ में नहीं आए। शिवाजी ने हिंदवी स्वराज्य के लिए पहली लड़ाई चंद्रराव मोरे के साथ की थी। उसी चंद्रराव मोरे के वंशज आज भाजपा में और शायद महाराष्ट्र सरकार में भी हैं। गाय-बैलों का गोबर खाना, गोमूत्र से नहाना और पीना, ऐसा हिंदुत्व सावरकर को मंजूर नहीं था, लेकिन यह गोबर खाकर कुछ लोग भारत देश को तोड़ने निकल पड़ते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज और संभाजी राजे के बारे में झूठी जानकारी देकर इतिहास का विकृतिकरण इन लोगों ने शुरू कर दिया है। छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुसलमान नहीं थे, यह फडणवीस के मंत्रिमंडल के ‘मटन हृदय सम्राट’ ने कहा। यह शिवाजी महाराज और इतिहास का अपमान है। अबू आज़मी के दिए गए वक्तव्य की अपेक्षा दिया गया यह बयान ज्यादा गंभीर है। शिवाजी के दादा मालोजी राजे भोसले ने सूफी संत शाह शरीफ  के सम्मान में अपने बेटों के नाम शहाजी और शरीफजी रखे। आगे शिवाजी ने भी अपने हिंदवी स्वराज्य में सभी धर्मों का सम्मान किया। उनकी सेना के एक तिहाई सैनिक मुस्लिम थे। शिवाजी की ‘नौसेना’ का नेतृत्व सिद्दी संबल के हाथ में था। शिवाजी महाराज को जब आगरा में औरंगज़ेब ने नज़रबंद कर लिया था, तब उन्हें वहां से छुड़ाने के लिए मदद करने वाला मदारी मेहतर एक मुस्लिम था। छत्रपति शिवाजी के गुप्तचर विभाग का सचिव हैदर अली था और उनके शस्त्रागार का प्रमुख इब्राहिम खान था। शिवाजी महाराज ने कभी भी ‘धर्म आधारित’ राजनीति नहीं की। उन्होंने सभी भाषाओं का सम्मान किया। आज शिवराय को अलग-अलग धर्म आधारित खांचों में खड़ा करना एक राष्ट्रीय पाप है। मुख्यमंत्री फडणवीस यदि महाराष्ट्र से शिवाजी का इतिहास मिटाना नहीं चाहते हैं, तो उन्हें ऐसे बेसमझ उत्तेजक लोगों को मंत्रिमंडल से बाहर रखना चाहिए। कुछ लोग औरंगज़ेब की कब्र उखाड़ना चाहते हैं, लेकिन महाराष्ट्र में जो हिंदू पाकिस्तान वाले हिंदू औरंगज़ेब पैदा कर रहे हैं। वह कब्र में पड़े औरंगज़ेब से भी ज्यादा भयानक हैं।

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