बलि के बकरे
इतिहास इस बात का साक्षी है कि समय के ताकतवरों ने अपनी मन-इच्छित जीत प्राप्त करने के लिए तथा अपने अहंकार को पोषित करने के लिए आम लोगों की खून-पसीने की कमाई ऐशो-आराम तथा विलासता पर खर्च करते हुए अपनी इस भूख का शिकार आम व्यक्ति को ही बनाए रखा है। इतिहास मानवीय उपलब्धियों का साक्षी ज़रूर है, परन्तु जिस प्रकार इसके पृष्ठों पर समय-समय हज़ारों तथा लाखों लोगों के रक्त का छिड़काव हुआ पड़ा है, उस कारण मनुष्य की आत्मा सदा शर्मसार भी हुई है।
इसी इतिहास के क्रम में इज़रायल तथा हमास के विगत 17 माह से चल रहे युद्ध को देखा जा सकता है, जिसमें अब तक लगभग 50 हज़ार बच्चे, बूढ़े, महिलाएं तथा मासूम फिलिस्तीनियों का रक्त बह चुका है। उनके घर तबाह हो चुके हैं, नित्यप्रति वे हमलावरों से बचते हुए किसी न किसी प्रकार अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। अरब देशों के पड़ोस में फिलिस्तीनियों की धरती पर इज़रायली देश बनाने तथा उस धरती से फिलिस्तीनियों को निकाल कर गाज़ा पट्टी तथा अन्य देशों में शरणार्थियों की भांति रहने के लिए मजबूर किया जाना, वर्तमान मानवीय दु:खांत की एक बड़ी कड़ी है। विश्व भर के देश, विशेषतौर पर बड़ी ताकतों द्वारा भी इस दुखांतमयी घटनाक्रम में अपना-अपना हिस्सा डाला जाता रहा है। व्यापक प्रयासों तथा हुई अनेक रक्तिम लड़ाइयों के बाद भी इस मामले का संतोषजनक समाधान नहीं निकाला जा सका। हमास संगठन लगातार इज़रायल का अस्तित्व मिटाने के लिए सक्रिय रहा है। विगत लंबे समय से इसने गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा किया हुआ है। समुद्र के साथ लगते इस पट्टी के छोटे से क्षेत्र में 23 लाख के करीब फिलिस्तीनी किसी न किसी तरह अपना जीवन यापन करते रहे हैं। अन्य देशों से सहायता प्राप्त शक्तिशाली हमास ने गाज़ा पट्टी पर पिछले लंबे समय से अपना अधिकार बनाए रखा है। यह संगठन पड़ोसी देश इज़रायल के लिए लगातार चुनौती तथा खतरा बना रहा है, क्योंकि यह इज़रायल के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता। इसी क्रम में हमास गोरिल्लाओं ने 7 अक्तूबर, 2023 को इज़रायली सीमा पार करके 1200 के लगभग वहां के नागरिकों को मार दिया था तथा हर आयु के 251 इज़रायली तथा अन्य देशों से संबंधित व्यक्तियों को नज़रबंद करके वे अपने साथ गाज़ा पट्टी ले आए, उसके बाद इज़रायल ने लगातार भीषण बमबारी करके जहां गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनी आबादी के बहुत-से निर्माणों को पूरी तरह ध्वस्त करके मलबे के रूप में बदल दिया, वहीं मासूम फिलिस्तीनियों पर भी बमबारी करके तथा टैंक चढ़ा कर धरती को उनके रक्त से लाल कर दिया।
अमरीका तथा कुछ अरब देशों द्वारा दोनों पक्षों के बीच एक-दो महीने के लिए युद्ध विराम अवश्य करवाया गया था, परन्तु हमास ने सभी अगवा किए गए इज़रायली व्यक्तियों को छोड़ने से आनाकानी जारी रखी है, जिस कारण इज़रायल के ताज़ा हमलों में एक बार फिर फिलिस्तीनियों के रक्त बहना शुरू हो गया गया है, इस युद्ध ने मासूम फिलिस्तीनी लोगों को बलि का बकरा बना कर रख दिया है। हो रही इस इन्तहा के दृष्टिगत फिलिस्तीनी अब तंग आकर इस तरह मरने से इन्कार करते प्रतीत हो रहे हैं। गत मंगलवार गाज़ा के एक उत्तरी शहर बेट लाहिया में हज़ारों लोग इकट्ठे हुए, उन्होंने युद्ध को खत्म करने के लिए नारे लगाते हुए बड़ा रोष प्रकट किया और यह भी कहा कि हमरे बच्चों का रक्त इतना सस्ता नहीं है। युद्ध की चपेट में आए एक अन्य शहर शूजाया में भी लोगों ने गुस्से में आवाज़ बुलंद की कि वे प्रतिदिन की बमबारी, मौत तथा स्थान-स्थान की मुश्किलों से तंग आ चुके हैं। पहले की तरह इस बार भी हमास के लड़ाकों ने फिलिस्तीनियों को रोष व्यक्त करने से रोकने का यत्न किया, परन्तु वे सफल नहीं हुए। हमास उन्हें सख्ती से दबा देता था, परन्तु इस बार उसने रोष व्यक्त करते हुए लोगों पर सख्ती नहीं बरती। हम विश्व भर में उठ रहीं इस दु:खांत को खत्म करने की आवाज़ों के समर्थक रहे हैं। आज विश्व के बड़े तथा अन्य अरब देशों का यह पहला फज़र् बनता है कि वे फिलिस्तीनियों को इस युद्ध में बलि के बकरे बनाए जाने से रोकने के लिए पूरी शक्ति से सहायक हों। यही युद्ध की ज़द में आए फिलिस्तीनी आज विश्व भर से मांग कर रहे हैं तथा इस मामले का कोई अच्छा समाधान ढूंढने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द