तीसरे विश्व युद्ध की आहट
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति ब्लोदीमीर ज़ेलेंस्की की व्हाइट हाऊस की बातचीत से लोगों को यह अनुमान लगाना सरल हो गया है कि तीसरा विश्व युद्ध करीब है। ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की को इसके लिए सावधान भी किया है। इससे यह प्रतीत होता है कि दोनों विनाशकारी दिल दहला देने वाले विश्व युद्धों से समूची मानवता को सबक सीखना अभी बाकी है। पहला विश्व युद्ध जुलाई 1914 को शुरू हुआ। इसने डेढ़ करोड़ लोगों की जान ली। दूसरा विश्व युद्ध 1939 से शुरू हुआ। चार करोड़ लोगों की जान गई जोकि उस समय की जनसंख्या का लगभग 3 प्रतिशत था।हम सभी जानते हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध मेें भारी तबाही हो चुकी है। शहरों के शहर खण्डहर में बदल गए। भारी जानी-नुक्सान हुआ लेकिन युद्ध अभी जारी है। ट्रम्प जो बाइडन शासनकाल की नीतियों में बदलाव चाहते हैं। सो तय किया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अमरीका और नुक्सान नहीं उठा सकता।
यूक्रेन ने तीन वर्षों के इस भयंकर युद्ध में हार नहीं मानी, जिसका भारी नुक्सान भी उठाना पड़ा। अमरीका, कनाडा और यूरोप उसकी मदद करता रहा।
ट्रम्प ने पहले रूस के साथ बातचीत की। अगला कदम यूक्रेन से बातचीत का था जोकि सफल नहीं रही। आपसी बातचीत के दौरान ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की से कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं इसलिए रूस के साथ समझौता कर लें। यह भी कहा कि वह अपने हठ के कारण लाखों लोगों की जान ़खतरे में डाल रहे हैं और तीसरे विश्व युद्ध को निमंत्रण दे रहे हैं। ज़ेलेंस्की ने कहा कि वह स्थाई शर्तों के अनुसार समझौते के लिए पाबंद हैं। उन्होंने ट्रम्प को वर्ष 2014 में रूस के राष्ट्रपति पुतिन द्वारा क्रीमिया पर किए गए हमले के बारे में बताया। यहीं से कड़ी बहसबाज़ी हुई। अमरीका के उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस ने कहा कि ऐसा करके ज़ेलेंस्की राष्ट्रपति और अमरीका का अपमान कर रहे हैं। इसके बाद दोनों देशों के बीच किया जाने वाला समझौता खटाई में पड़ गया। किसी ने शायद ही कभी सोचा हो कि अमरीका के राष्ट्रपति द्वारा किसी दूसरे देश के राष्ट्रपति के साथ ऐसा व्यवहार हो सकता है। ज़ेलेंस्की को बात बीच में ही छोड़ कर उठ कर आना पड़ा। पूरा विश्व इस पर हैरान हो रहा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प धमकाने के अंदाज़ में बात क्यों कर रहे थे?
इस मुलाकात के मायने क्या निकाले जा रहे हैं? राष्ट्रपति ट्रम्प का रवैया बेशक उतना जायज़ नहीं था, लेकिन वह जिस ़खतरे का संकेत कर रहे हैं कि तीसरे विश्व युद्ध की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। सवाल यह भी है कि क्या अब नाटो के खात्मे की शुरुआत हो सकती है? रूस के हमलावर होने की एक वजह यह भी थी। ट्रम्प नाटो से हटने की बात कर चुके हैं। उनका आरोप है कि यूरोपीय देश अपने कोटे का खर्च नाटो में नहीं करते। अमरीका के नाटो छोड़ जाने की आशंका में नाटो चीफ मार्क रूटे ने कहा कि ज़ेलेंस्की को ट्रम्प के साथ संबंध सुधारने चाहिए। बताया जाता है कि बहस इसलिए भड़की क्योंकि ज़ेलेंस्की ने उप-राष्ट्रपति जे.डी. वेंस से पूछा आपने युद्ध देखा है? वैंस ने उत्तर में कहा-मैंने न्यूज़ रिपोर्ट देखी है। ज़ेलेंस्की ने कह दिया ‘अभी तो अमरीका सेफ है। कभी हमला होगा तो पता चलेगा कि युद्ध क्या होता है?’
इसकी प्रतिक्रिया क्या हुई? अमरीका के मित्र माने जाते रहे कुछ देश ज़ेलेंस्की के साथ डट कर खड़ा रहने का दावा करने लगे। आर्थिक मदद भी। यूरोपियन आयोग की उर्सुला वॉन ने कहा कि वह इस समय यूक्रेन के साथ खड़ी हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुयल मैक्रों ने रूस को हमलावर कह दिया। इटली, जर्मनी, स्पेन, लक्ज़मबर्ग, पोलैंड, फिनलैंड, स्वीडन ने इस मुश्किल समय में यूक्रेन के पक्ष में खड़े होने का बात कही है।