विदेशी महिलाओं के साथ दुराचार से धूमिल होती देश की छवि
अतिथि देवो भव: भारतीय संस्कार में मेहमान को भगवान का दर्जा दिया गया है, लेकिन आए दिन विदेशी मेहमानों के साथ हो रहे अपराध, यौन-दुराचार एवं व्यभिचार इसे धता बता रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद विदेशियों के साथ होने वाले अपराध कम नहीं हो रहे, ऐसी ही दो विदेशी महिलाओं संग हुई दरिंदगी की घटनाओं को सुन भारतीय लोगों का दिल दहल गया। कर्नाटक के हंपी में इज़रायली पर्यटक समेत दो महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना का मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि दिल्ली में एक ब्रिटिश पर्यटक से दुराचार का घृणित मामला सामने आ गया। थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद होने वाली ऐसी घटनाएं न केवल शर्मसार कर रही है, बल्कि भारत के संस्कारों एवं अस्मिता पर भी दाग लगा रही हैं। हाल के दिनों में भारत में यौन अपराधों में वृद्धि हुई दिखाई दे रही है। न केवल विदेशी, बल्कि भारतीय महिलाओं के साथ घृणित यौन अपराधों की घटनाओं को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है कि इस अनैतिकता का कारण क्या है? कहीं न कहीं ये जीवन के नैतिक मूल्यों में क्षरण एवं विकृत होती मानसिकता का भी परिचायक है। दरअसल, इंटरनेट और कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री की बाढ़-सी आई हुई है। देश का युवा उसकी चपेट में आकर भटकाव की राह पर चल पड़ा है, जिसे नियंत्रित करना सरकार एवं प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।
निश्चय ही विदेशी महिलाओं के साथ होने वाले ऐसे घिनौने कृत्य देश की छवि को धूमिल करने वाले है। हंपी की घटना तो भयावह थी, जिसमें रात में कैंपिंग कर रहे तीन पर्यटकों को नहर में फेंक दिया गया और तीन अपराधियों ने इज़ायली महिला व एक भारतीय महिला से सामूहिक दुष्कर्म किया। दोनों महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं नदी में फेंके गए एक पर्यटक की मौत हो गई, जिसका शव बरामद कर लिया गया। पर्यटकों में एक अमरीकी व दो भारतीय थे। हालांकि, तीनों अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन देश की प्रतिष्ठा को जो आंच आई है, उसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं। इसने न सिर्फ समाज की छवि को धूमिल किया, बल्कि देश की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी प्रभाव डाला है। यह भारतीय पर्यटन को आहत कर सकता है।
समाज विज्ञानियों को आत्ममंथन करना होगा कि यौन अपराधों को लेकर सख्त कानून बनने के बावजूद इस आपराधिक प्रवृत्ति पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है? विदेशों में भारत की छवि ऐसे अपराधों के कारण लगातार क्षत-विक्षत हो रही है। सुनसान पर्यटक स्थलों पर यौन दुर्व्यवहार की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं, लेकिन दिल्ली के एक होटल में एक ब्रिटिश पर्यटक के साथ दुष्कर्म का मामला अधिक चिन्ताजनक है। एक युवक ने सोशल मीडिया पर दोस्ती करके भारत घूमने आई ब्रिटिश महिला को दिल्ली बुलाया और एक होटल में दुष्कर्म किया। इस मामले में ब्रिटिश दूतावास ने संज्ञान लिया है। सवाल है कि जब ऐसी कोई आपराधिक घटना हो जाती है और जनाक्रोश उभरता है तथा मामला तूल पकड़ लेता है, तभी सरकार, प्रशासन एवं पुलिस की नींद क्यों खुलती है? अगर तत्काल कार्रवाई करके सख्ती से पेश आया जाए तो शायद आपराधिक प्रवृत्ति वाले व्यक्ति के भीतर कानून का डर बन सकता है और इस तरह ऐसे अपराधों को पहले ही रोका जा सकता है।
विदेशी महिलाओं के प्रति बर्बरता कब तक चलती रहेगी? भारत विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी कई हिस्सों में देशी-विदेशी महिलाओं को लेकर गलत मानसिकता एवं विकृत सोच कायम है, जो भारत की गौरवपूर्ण संस्कृति को धूमिल करती है। देश की राजधानी दिल्ली में ब्रिटिश पर्यटक के साथ दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर देश को शर्मसार किया है। आखिर कब तक महिलाओं के साथ ऐसी दरिन्दगी भरी घटनाएं होती रहेंगी?
ज़ाहिर है, समाज की विकृत सोच को बदलना बहुत जरूरी है। ऐसे गम्भीर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए दुष्कर्मियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की ज़रूरत है। कानून कितने भी सख्त क्यों न हों जब तक समाज स्वयं महिलाओं को सम्मान नहीं देगा, तब तक कुछ नहीं हो सकता। समाज तमाशबीन बना रहेगा तो फिर कौन रोकेगा ऐसी हैवानियत को।
पहले कहा जाता था कि ऐसे अपराध केवल निरक्षर और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा होते हैं, लेकिन आजकल शहरों और महानगरों में महिलाओं एवं विशेषत: विदेशी महिलाओं के साथ अन्याय एवं दुष्कर्म की खबरें देखने और पढ़ने को मिल जाती हैं। बड़ा सवाल है कि विदेशों में भारत की छवि पर दाग न लगे, इसके लिये सरकार को सख्त होना चाहिए। -मो. 98110-51133