फ्रांस की अलबेली होली
हंसी मजाक का एक रंगीला उत्सव फ्रांस में ‘डिबोडिबी’ नाम से प्रतिवर्ष 19 मार्च को मनाया जाता है। मार्च के मध्य तक यहां बसंत ऋतु पूर्ण यौवन पर रहती है। फ्रांस में आज भी सदियों पुरानी परंपरा जीवित है।
उसके मुताबिक यहां नववर्ष पहली जनवरी या पहली अप्रैल की बजाय 20 मार्च से शुरू होता है और 1 मार्च वर्ष का अंतिम दिन माना जाता है। चूंकि 19 मार्च यहां बसंत और साल का अंतिम दिन रहता है इसलिए लोग इस दिन को यादगार बनाए रखने के लिए हंसी मजाक का उत्सव खेलते हैं जो हमारे देश की होली का ही मनोरंजक रूप कहा जा सकता है। इस दिन लोग एक विशाल मैदान में एकत्रित होकर किन्हीं दो मोटे-मोटे आदमियों को चुनते हैं। इन्हें स्त्री पुरूष की भड़कीली ड्रेस पहनाकर ऊंचे मंच पर खड़ा कर दिया जाता है। लोग बड़े प्यार से इन्हें प्रेमी प्रेमिका कह कर पुकारते व चिढ़ाते हैं। दर्शकों के सम्मुख इनकी शादी का काल्पनिक नाटक रचा जाता है जिसमें भरपूर हंसी मजाक होता है। शादी के बाद प्रत्येक दर्शक इन पर फूल के बजाय अधखिली कलियां, ब्रेड, टमाटर व कई दिनों से सड़े अंडे फेंकते हैं। इन वस्तुओं को यह आधुनिक युगल जोड़ा सहर्ष स्वीकार करता है।
अब यह जोड़ा मंच पर आए गधों पर बैठता है और फिर बारीबारी से रोमांटिक व हास्य रचनाएं सुनाने लगता है। दर्शक इनकी रचनाएं सुन कर मुग्ध हो जाते हैं। हां, इस रंगारंग आयोजन में जो व्यक्ति भाग नहीं लेते, उनका मुंह काला करके सिर पर लंबे-लंबे सींग लगा कर ‘डिस्को गधा’ बना दिया जाता है। ऐसे मौके पर वहां के प्रैस वाले इन गधों का चित्र खींच कर अपने अखबारों व पत्रिकाओं में बड़ी अदा के साथ प्रकाशित करते हैं। प्रकाशित करने की अदा ऐसी होती है कि मात्र गधे का चित्र देखते ही देखने वाला देर तक हंसा करता है। बाद में लोग इन्हें गधा कह कर चिढ़ाते भी हैं।
यहां यह उत्सव रात्रि के 12 बजे तक चलता रहता है। इसके बाद लोग अपने फटे वस्त्र, सिर के बाल और पूर्वजों के पुराने जूते जलाकर, हंसते हुए बसंत और पुराने वर्ष को विदाई देते हैं। फिर एक दूजे पर रंग छिड़कने का सिलसिला शुरू करते हैं जो नववर्ष यानी 20 मार्च की भोर तक चला करता है। (उर्वशी)