ताश का आविष्कार किसने किया ?

‘आइए ताश खेलेंगे।’
‘चलो पत्ते बांटो, लेकिन साथ ही मुझे यह भी बताओ कि ताशों का आविष्कार किसने किया?’
‘ताश तो देश के दस में से सात घरों में खेले जाते हैं। मैं समझता हूं कि यह तो प्राचीनकाल से ही मौजूद रहे होंगे वरना जहां सभ्यता का निशान तक नहीं उन गांवों में यह क्यों खेले जाते।’
‘तुम्हारा अंदाज बिल्कुल सही है। जब से इंसान ने ग्राफिक आर्ट बनाना सीखा, तभी से वह ताश खेल रहा है। इसका 
इतिहास इतना पुराना  है कि ताशों का स्रोत तलाशना लगभग नामुमकिन है। चीन में ताश और कागज की मुद्रा लगभग एक-सी थी। इसलिए समझा जाता था कि चीन में ताशों का आविष्कार हुआ। चीन में हजार साल पहले भी ताश खेले जाते थे। लेकिन यही बात मिस्र, अरब और हिन्दुस्तान का भी है। इसलिए निश्चित तौर पर कुछ कहना कठिन है।’
‘आजकल तो ताशों से भविष्य भी बताया जाता है।’
‘हां, लेकिन ऐसा करना भी उतना पुराना है, जितना की ताश। यह भी संभव है कि जुएं और मनोरंजन से पहले ताशों का प्रयोग भविष्य बताने के लिए प्रयोग किया जाता हो। मध्य युग में तो इसका इस्तेमाल भविष्यवक्ता करते 
ही थे। अलबत्ता यूरोप में ताशों का इतिहास 13वीं शताब्दी से ही मिलता है।
‘क्या ताशों की संख्या भी हमेशा से 52 ही रही है ?’
‘विभिन्न प्रकार के ताश रहे हैं। टैरोट ताश 22 होते थे और उन पर तस्वीरें होती थीं, नंबर नहीं। एक अलग किस्म के ताशों पर नंबर होते थे और वह गड्डी में 56 होते थे। फ्रांसिसियों ने सबसे पहले 52 पत्तों की गड्डी बनायी। उन्होंने नंबर के ताश रखें और राजा, रानी और गुलाम के चित्रों वाले ताशों में लिया। बाद में 52 पत्तों की गड्डी को अंग्रेजों ने भी ग्रहण कर लिया। फारस या ईरान में तालीमी ताश होते थे, जिन पर नंबर की जगह वर्णमाला के अंतर लिखे होते थे। अलग-अलग अक्षरों को मिलाकर शब्द बनाने का खेल इससे खेला जाता था। और दिलचस्प बात यह है कि पुराने जमाने में ताशों को हाथ से पैंट किया जाता था, लेकिन लकड़ी को तराश कर उससे छपाई आने के बाद से ताश बहुत सस्ते हो गए और आम आदमी तक बहुत जल्दी फैल गए।’ (सुमन सागर)

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