क्या पाकिस्तान में महिलाओं के लिए कोई जगह नहीं ?

हाल में राजस्थान के श्रीगंगानगर ज़िले से लगती भारत-पाक सीमा को पार कर 32 वर्षीय हुमारा नामक एक पाकिस्तानी महिला भारत में घुस आई। इस महिला ने भारत में घुसपैठ की जो वजह बताई, उसने पाकिस्तान में महिलाओं की हालत का आइना दिखा दिया है। जब बीएसएफ ने उसे पकड़ा तो उसके उदास चेहरे, थकी हुई आंखों और दर्द भरी दास्तान ने सिर्फ एक महिला की व्यक्तिगत त्रासदी को बयां नहीं किया बल्कि हुमारा के रूप में पाकिस्तान में महिलाओं की बदतर तस्वीर साफ तौर पर दिखाई। हुमारा ने बताया कि वह पाकिस्तान में लगातार घरेलू हिंसा का शिकार हो रही थी। उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो परेशान होकर भारत आई क्योंकि भारत में महिलाओं का बहुत मान-सम्मान है।
यह कहानी किसी एक महिला हुमारा की नहीं है बल्कि पाकिस्तान की उन लाखों महिलाओं की है जो वहां ऑनर किलिंग, जबरन विवाह, घरेलू शोषण और यौन हिंसा जैसी अमानवीय परिस्थितियों का सामना कर रही हैं। पाकिस्तान में महिलाओं को सांस्कृतिक रूप से दूसरे दर्जे के नागरिकों के रूप में माना जाता है।  संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट्स इस बात की पुष्टि करती हैं कि पाकिस्तान में महिलाओं की स्थिति चिंताजनक है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा लगातार आम होती जा रही है। ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा, दुष्कर्म, ऑनर किलिंग, एसिड अटैक, घरेलू हिंसा व जबरन शादी जैसी घटनाएं एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ताओं का अनुमान है कि हर साल लगभग 1000 ऑनर किलिंग होती हैं। पाकिस्तान में सरकार ने जबरन विवाह को रोकने के लिए बहुत कम किया है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तानी लड़कियों का बाल विवाह बड़ी समस्या है। पाकिस्तान में बाल वधुओं की संख्या दुनिया में छठे स्थान पर है। 
पाकिस्तान मानाधिकार आयोग के मुताबिक पाकिस्तान में घरेलू हिंसा चिंता का विषय है। 90 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने अपने जीवन काल में घरेलू हिंसा का सामना किया है। लेकिन अधिकांश मामलों में महिलाएं न्याय से वंचित रह जाती हैं क्योंकि वहां कानूनी और सामाजिक ढांचे पितृसत्ता के पक्ष में झुके हुए हैं। यह स्थिति कितनी दुखद है कि हर साल सैकड़ों महिलाएं अपने ही परिवार के हाथों सिर्फ इसलिए मारी जाती हैं क्योंकि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी करने या घर की परंपराओं के खिलाफ जाने की हिम्मत की। दुष्कर्म की शिकार महिलाओं को पाकिस्तान में न्याय मिलना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि अपराधियों को सामाजिक, धार्मिक और कानूनी संरक्षण मिल जाता है।
हुमारा पाकिस्तान नहीं लौटना चाहती थी। उसने पाकिस्तान वापस जाने से साफ इनकार कर दिया था और भारत में शरण मांगी थी। उसका कहना था कि अगर वह पाकिस्तान लौटेगी तो उसे मार दिया जाएगा लेकिन आखिरकार उसे पाकिस्तानी रेंजर्स के सुपुर्द कर दिया गया है। रोती हुई हुमारा पाकिस्तानी चली गई है लेकिन पीछे छोड़ गई है अनेक सवाल, जो पाकिस्तानी महिलाओं से जुड़े हैं। हुमारा सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक आवाज़ है उन हजारों पाकिस्तानी महिलाओं की जो हर दिन उत्पीडन का शिकार होती हैं। हुमारा ने गैर कानूनी तरीके से सरहद पार की, वह गोली का शिकार भी हो सकती थी पर फिर भी उसने ऐसा किया। हुमारा का सीमा पार करना यह सवाल खड़ा करता है कि आखिर कब तक पाकिस्तान में महिलाएं असमानता, हिंसा और अन्याय की शिकार होती रहेंगी? यह वक्त पाकिस्तान, मानाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे संगठनों और महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने का दम भरने वाली संस्थाओं के लिए आत्ममंथन का है। पाकिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को सिर्फ कागजों पर नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर लागू करना होगा।

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