इस नवरात्रि पर अपनी इच्छाओं को पूरा करें

नवरात्रि के नौ दिन ब्रह्मांड को बनाने वाले तीन मौलिक गुणों का आनंद लेने और उनसे ऊपर उठने का एक अद्भुत अवसर है। नवरात्रि के पहले तीन दिन तमो गुण से जुड़े हुए हैं जो जड़ता, भारीपन और अन्धेरे का प्रतीक है। अस्तित्व अगले तीन दिन रजो गुण से संबंधित हैं जो गतिविधि या बेचैनी का प्रतिनिधित्व करते हैं और अंतिम तीन दिन सतो गुण या शुद्धता से संबंधित हैं। 
हालांकि ये तीन गुण हमारे जीवन को नियंत्रित करते हैं, लेकिन हम उन्हें पहचानने और उन पर विचार करने के लिए कभी समय नहीं निकालते हैं। तीन मौलिक गुणों को इस सृष्टि में शक्ति या दिव्य माँ का हिस्सा माना जाता है। जब हम नवरात्रि के दौरान दिव्य मां की पूजा करते हैं, तो हम इन तीनों गुणों में सामंजस्य स्थापित करते हैं और वातावरण में सतो गुण की अच्छाई को बढ़ाते हैं। हमारी चेतना तमो और रजो गुणों से होकर गुजरती है और अंतिम तीन दिनों में सतो गुण में खिलती है। 
अपने लक्ष्य को प्रकट करने का सरल तरीका एक स्पष्ट इरादा रखना है। इसे ब्रह्मांड में छोड़ दें और फिर बिना किसी आसक्ति के इसके लिए काम करना जारी रखें। नवरात्रि किसी के इरादे या संकल्प को प्रकट करने के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली समय है।
हमारे इरादे में बहुत ताकत होती है और यह हमारे हर काम को संचालित करता है। हमारे हाथ चलने से पहले, हमारा दिमाग इरादा बनाता है। एक कमजोर दिमाग कमजोर इरादों का प्रतीक है लेकिन जब हम ज्ञान और ध्यान में समय बिताते हैं, तो हमारे इरादे मजबूत होते हैं और जल्दी ही साकार होते हैं।
जब हम इन नौ दिनों के दौरान व्रत, प्रार्थना, चुप्प तथा सिमरन के माध्यम से एक आध्यात्मिक यात्रा शुरू करते हैं, तो हम अपने वास्तविक स्वभाव में वापिस आते हैं, जो प्यार, आनन्द तथा शांति है। जब जीवन में अच्छे गुण प्रबल होते हैं, तो सफलता सुनिश्चित होती है। जब हमारी अच्छाई ऊंची होती है, हमारे संकल्प स्व-पूर्ति हो जाते हैं और हम आसानी से अपने लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं। 
जब कुछ लोग ध्यान करने के लिए बैठते हैं, तो वे अपने आस-पास की सभी गलत चीज़ों के बारे में सोचते रहते हैं, जिन्हें ठीक करने की ज़रूरत है। यहां कर्ता होने की भावना बहुत प्रबल है, परन्तु जब हम भीतर जाते हैं, तो हमें पूरी तरह स्वीकार करना चाहिए—‘सब कुछ ठीक है, जैसे कि यह है।’ कई बार इच्छा एक जुनून बन जाती है, जो हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधा बन जाती है। इसलिए हमें अपनी इच्छाओं में जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए, अपितु हमें विश्वास रखना चाहिए कि जो भी हमारे लिए शुभ है, वह हमारे पास प्राकृतिक रूप में आएगा। चाहे कोई स्थिति कम समय के लिए लाभ नहीं लाती, लेकिन वह लम्बे समय में हमारे लिए सबसे बढ़िया होगी। 
इन नौ दिनों के लिए छोटी-मोटी चिन्ताओं, इच्छाओं तथा समस्याओं को एक तरफ रखें और भीतर की ओर यात्रा करें। माता देवी को प्रार्थना करें, ‘मैं आपकी हूं, मेरे लिए आपकी ओर से निर्धारित किया गया सबसे अच्छा मार्ग मेरे जीवन में पूर्ण हो सकता है।’ जब आप इस अटूट विश्वास से अपने आध्यात्मिक अभ्यास का पीछा करते हैं, तो आपको किसी चीज़ की कमी नहीं होगी। आपको जो भी चाहिए, आपको वह प्राकृतिक रूप में प्राप्त होगा।   

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