भारत-कनाडा संबंध बेहतर होने की सम्भावना

पिछले कुछ माह में अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अपनाई गई नीतियों का दुनिया भर के देशों पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। यहां तक कि कनाडा जैसे अमरीका के मित्र और सहयोगी रहे पड़ोसी देश को भी अपनी नीतियों में इस कारण बड़ा बदलाव करना पड़ा है। व्यापार तथा अन्य कई पक्षों से भारत भी चिंतित लगता है। कनाडा पिछले कुछ सालों से बड़े आर्थिक संकट में से निकल रहा है। इसकी हर पक्ष से स्थिति में अवसान आया है। यहां घरों और सरकारी सुविधाओं की कमी खलने लगी है। अपराधों में वृद्धि हुई है। महंगाई और भ्रष्टाचार ने भी इस पर बड़ा प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। इन हालात में कनाडा की ओर रुख करने वाले लाखों भारतीयों, जिनमें पंजाबी नौजवान अधिक हैं, पर भी असर पड़ा है।
अपने अंदरूनी हालात को देखते हुए कनाडा ने दुनिया भर से आते लोगों के दाखिले पर रोक लगानी शुरू कर दी है। वीज़ा और इमीग्रेशन की नीतियों में भी सख्ती लाकर विदेशियों को वहां आने से रोकने की योजनाएं बनाई गई हैं। भारत से जाने वाले लोगों खास तौर पर पंजाबी नौजवान जो हमेशा वहां जाने की इच्छा रखते थे, अब उनके सामने बड़ी चुनौतियां दिखाई देती हैं। यही नहीं, बल्कि अमरीका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने भी विदेशियों की अपने देश में आमद को रोकने के लिए कानून बनाने शुरू कर दिये हैं। कनाडा में तो राजनीतिक तौर पर भी बड़ी हलचल दिखाई दे रही है। यहां आम चुनाव सिर पर हैं, परन्तु शायद इसी कारण लिबरल पार्टी ने पिछले 15 वर्षों से प्रधानमंत्री चले आ रहे जस्टिन ट्रूडो को इस वर्ष 14 मार्च को इस्तीफा देने के लिए मज़बूर कर दिया था, क्योंकि उनकी नीतियों के कारण आम लोग नाराज़ होने शुरू हो गये थे। उनके स्थान पर मार्क कार्नी नये प्रधानमंत्री बने हैं, जिन्होंने आते ही चुनावों की घोषणा कर दी है। ये चुनाव इसी माह 28 अप्रैल को होंगे, जिनमें लिबरल तथा कंज़र्वेटिव पार्टी के बीच मुख्य मकाबला होते देखा जाएगा। अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा कनाडा की प्रभुसत्ता पर सवाल उठाए जाने के बाद तथा अपने बिगड़ते आंतरिक हालात के दृष्टिगत नई सरकार ने अपनी पूर्व की विदेशी नीतियों पर भी पुन: विचार करना शुरू कर दिया है। 
विगत दिवस भारतीय मूल की लिबरल पार्टी की मंत्री अनीता आनन्द ने सरकार की भारत के प्रति नीतियों का खुलासा करते हुए कहा है कि नये प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अब भारत से साथ बने तनावपूर्ण संबंधों के बारे में नर्म रवैया धारण करना शुरू कर दिया है, ताकि दोनों देशों का सहयोग एवं साझ पुन: पहले की भांति ही स्थापित की जा सके। कार्नी ने 4 मार्च को स्पष्ट रूप में यह कहा था कि उनका देश भारत के साथ पुन: व्यापारिक संबंधों की बहाली चाहता है और इसके साथ ही वह विश्व भर के बहुत-से अन्य देशों से भी सहयोग वाले संबंध बढ़ाने को प्राथमिकता देगा। सितम्बर 2023 में कनाडा के प्रांत ब्रिटिश कोलम्बिया के शहर सरी में एक खालिस्तानी पक्षीय नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोलियां मार कर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री होते हुए ये ब्यान दिये थे कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है। इसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था और दोनों ने एक-दूसरे के कूटनीतिज्ञों को अपने देश से निकालने का सिलसिला भी शुरू कर दिया था। अब कनाडा की नई सरकार द्वारा दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों की बहाली के लिए आरम्भ यत्नों को पीछे अमरीका द्वारा कनाडा पर लगाई जा रही पाबंदियों का भी एक कारण हो सकता है। ऐसी पाबंदियां दोनों देशों को निकट लाने में सहायक हो सकती हैं। भारत भी कनाडा का मित्र देश रहा है। आज वहां भारतीयों की बड़ी संख्या रहती है। दोनों देशों के आपसी संबंध एक-दूसरे की मज़बूती के पूरक भी बने हुये हैं। इसलिए इन संबंधों की बहाली दोनों देशों के लिये एक अच्छा संदेश अवश्य कही जा सकती है। इस सकारात्मक घटनाक्रम से आगामी समय में दोनों देशों के प्रत्येक तरह के आपसी आदान-प्रदान की सम्भावनाएं बढ़ सकती हैं।  

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द  

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