भारत ने मुक्त व्यापार समझौते करने में बढ़ाई दिलचस्पी 

भारत ने विभिन्न देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने में दिलचस्पी दिखाई है ताकि उसके कारोबारियों को भी द्विपक्षीय व्यापार के फायदे मिल सकें। जानकारों का कहना है कि भारत अमरीका समेत ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ओमान, कतर, न्यूज़ीलैंड, पेरू, श्रीलंका आदि देशों के साथ मुक्त व्यापार और द्विपक्षीय कारोबार समझौतों पर वार्ता कर रहा है यह यदि सफल हुई तो इससे हासिल नए बाज़ार में भारत के छोटे उद्योगों को लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा करार मिलेंगे। समझा जाता है कि इससे अमरीका द्वारा भारत पर लगाये गए जवाबी आयात शुल्क भी अप्रभावी हो जाएंगे।
इस बारे में आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि यदि लक्षित देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने में भारत सफल हो जाता है तो न केवल सीमा शुल्क में कमी आएगी बल्कि उन्हें खत्म भी किया जा सकता है। इससे वहां के बाज़ारों तक भारतीय सामान की पहुंच भी आसान हो जाएगी। इसके अलावा सम्बन्धित देशों के बीच व्यापार की गति तेज़ होगी और वहां होने वाले निवेश की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी। साथ ही बौद्धिक संपदा की रक्षा संभव हो सकेगी। विभिन्न सेवाओं का व्यापार भी बढ़ेगा। इससे जहां उन देशों के साथ लॉजिस्टिक लागत कम आएगी, वहीं छोटे व्यवसायों को बम्पर मौके मिलेंगे। यही वजह है कि अमरीका द्वारा भारत पर लगाए गए जवाबी टैरिफ  यानी आयात शुल्क के बीच भारत ने दुनिया के बाकी देशों के साथ जारी व्यापार समझौतों की गति तेज़ कर दी है। बहरहाल, भारत सरकार की कोशिश है कि न केवल अमरीका के साथ द्विपक्षीय समझौता तेजी से पूरा हो, बल्कि यूरोपीय संघ, न्यूज़ीलैंड, ओमान, ब्रिटेन जैसे अन्य देशों के साथ भी मुक्त व्यापार (एफटीए) और द्विपक्षीय समझौतों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इसके दृष्टिगत भारत सरकार ने अपनी ओर से तत्परता बढ़ा दी है ताकि भारतीय सामान पर अमरीका द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत आयात शुल्क (अमरीकी रेसिप्रोकल टैक्स) का न्यूनतम असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़े। समझा जाता है कि भारत सरकार की इस विषयक सफलता से भारत के उद्यमियों को अन्य देशों के साथ मिलकर कारोबार करने का मौका मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा वक्त में अमरीकी व्यापार नीतियों के परिवर्तित स्वरूप को देखते हुए अन्य देशों ने भी भारत के साथ चल रहे व्यापार समझौतों को लेकर जारी वार्ता में तेजी लाने की इच्छा जताई है जिसे भारतीय प्रशासन ने भी हरी झंडी दे दी है। उल्लेखनीय है कि फिलवक्त भारत द्वारा 20 से अधिक देशों के साथ भी व्यापार समझौतों पर वार्ता की जा रही है जिसके सार्थक परिणाम शीघ्र मिलने की उम्मीद है। इनमें अमरीका, कतर, ओमान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ जारी वार्ता को अच्छी खासी प्राथमिकता दी जा रही है ताकि इसके सार्थक परिणाम भी बहुत जल्द ही सामने आएं।
जानकार बताते हैं कि भारत ऑस्ट्रेलिया समेत 13 देशों से इस बाबत पहले ही समझौते कर चुका है। भारत ने विभिन्न देशों/क्षेत्रों अर्थात् जापान, दक्षिण कोरिया, आसियान क्षेत्र के देशों और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, ऑस्ट्रेलिया के साथ 13 क्षेत्रीय व्यापार समझौते (आरटीए)/मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि जानकारों का कहना है कि व्यापार समझौतों के जरिए आगे बढ़ने के अवसर हैं लेकिन इसी के साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हुई हैं जिन्हें समझे जाने की ज़रूरत है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भले ही भारत ने कुछ दक्षिण एशियाई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते किये हैं लेकिन अब चीन उन देशों में अपनी इकाई लगाकर भारत को माल भेज रहा है जिसे रोके जाने के कूटनीतिक प्रयास करने होंगे या फिर ऐसे मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर भी सजग रहना होगा अन्यथा भारत के राष्ट्रीय हितों को नुकसान तय है।
उल्लेखनीय है कि दो देशों के बीच होने वाले द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते के जरिए व्यापार को सुगम बनाया जाता है क्योंकि समझौते के बाद दोनों पक्षों के बीच व्यापार करना आसान हो जाता है। इस तरह के समझौते के दृष्टिगत दोनों देश मिलकर अपने कारोबारियों व कम्पनियों को आयात शुल्क मुक्त या फिर एक निर्धारित न्यूनतम शुल्क के जरिए वस्तुओं एवं सेवाओं की पहुंच को सुनिश्चित कराते हैं। इसके साथ ही लॉजिस्टिक, भुगतान गारंटी व व्यापार से जुड़ी अन्य सुविधाएं मिलती हैं।
आंकड़े बताते हैं कि भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए को लेकर साल 2022 से लेकर अबतक 14 दौर की चर्चा सम्पन्न हो चुकी है जिसके बाद अब वार्ता में पुन: तेजी दृष्टिगोचर हुई है। वहीं, भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच जल्द ही एफटीए वार्ता को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। वहीं भारत और ओमान के बीच सीईपीए को लेकर आधिकारिक तौर पर वार्ता नवंबर 2023 में शुरू हुई थी, जिसके मद्देनज़र अब समझौता जल्द करने की तैयारी है और उसे अंतिम रूप देने की कोशिशें परवान चढ़ रही हैं। वहीं भारत और यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार संघ के बीच यानी भारत, आइसलैंड, नार्वे, स्विट्ज़रलैंड, लिकटेंस्टीन के बीच एक व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौता (टीईपीए) हुआ है जिसे और व्यापक बनाने की पहल जारी है। वहीं, भारत और कतर के बीच एफटीए करने की बात चल रही है जिसके तहत दोनों देश अगले पांच वर्षों में अपने व्यापार को दुगुना यानी 28 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्धता जता चुके हैं। वहीं, भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच एफटीए प्रस्तावित है जिसको लेकर 10 वर्षों बाद फिर से बातचीत शुरू हुई है क्योंकि दोनों देश अब जल्द से जल्द इस समझौता को पूरे करने के पक्ष में हैं। भारत और अमरीका के बीच भी द्विपक्षीय व्यापार समझौता को लेकर बातचीत चल रही है जिसके तहत वर्ष 2030 तक व्यापार को दुगुना करके 500 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी सरकारें दिलचस्पी वाले देशों में मुक्त व्यापार समझौतों को बढ़ावा देती हैं और द्विपक्षीय व्यापार समझौते करती हैं। 
इस प्रकार वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेज़ी से अपनी जगह बनाते जा रहे भारत के व्यापार के लिए विभिन्न दरवाजे स्वत: खुल जाएंगे जिससे हमारे उद्यमियों को भी ढेर सारे फायदे होंगे। (युवराज)

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