टकराव की नीति प्रदेश के हित में नहीं

विगत दिवस पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा एक बयान दिया गया था, जिसमें उन्होंने विगत दिवस प्रदेश के भिन्न-भिन्न स्थानों पर हुए बम धमाकों की संख्या बताते हुए यह भी कहा था कि उनकी जानकारी के अनुसार प्रदेश में 50 बम आए थे, जिनमें से 32 बम चलने अभी शेष हैं। इससे यही अभिप्राय  है कि देश विरोधी ताकतों द्वारा इन शेष बमों को आगामी दिनों में चलाए जाने की सम्भावना है। अब तक के सामने आए तथ्यों के अनुसार स. बाजवा का यह बयान एक समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार पर आधारित था, जिस संबंधी बाद में उन्होंने ज़िक्र भी किया था। 
इस बयान पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह बयान दिया था कि स. बाजवा को मिली इस तरह की जानकारी का आधार बताना चाहिए, ताकि पुलिस इस संबंध में आगामी कार्रवाई कर सके। साथ ही उन्होंने स. बाजवा पर लोगों को ऐसी बयानबाज़ी करके डराने का आरोप लगाते हुए साइबर क्राइम विभाग को स. बाजवा के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी कहा था, जिसे आधार बना कर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए उनके विरुद्ध थाने में रिपोर्ट दर्ज की है। जहां तक ऐसे समाचारों का संबंध है, प्रतिदिन आपराधिक मामलों संबंधी ऐसा कुछ मीडिया में प्रकाशित होता रहता है, क्योंकि विगत लम्बी अवधि से पुलिस थानों सहित अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ग्रेनेड धमाके किए जाते रहे हैं, जिनके संबंध में पुलिस बड़ी गम्भीरता से कार्रवाई भी करती रही है। अनेक लोगों को इन बम धमाकों के लिए गिरफ्तार भी किया गया है। कुछ एक को पुलिस मुकाबलों में मारने के समाचार भी मिलते रहे हैं। इन मुकाबलों के संबंध में अब अनेक तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं। इसी तरह नशे के मुहाज़ पर भी पुलिस और प्रशासन ने विगत अवधि में कड़ी कार्रवाइयां की हैं, जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव भी दिखाई देने लगा है, परन्तु स. बाजवा के संबंध में जिस तरह की बयानबाज़ी मुख्यमंत्री ने की है, उससे यह प्रभाव  ज़रूर पड़ता है कि वह हैंड ग्रेनेड के तकनीकी आकलनों को आधार बना कर बदले की नीति अपना रहे हैं। 
जब से भगवंत मान मुख्यमंत्री बने हैं, उनकी ऐसी नीयत और नीति अनेक बार प्रत्यक्ष होती रही है। अपने राजनीतिक या अन्य विरोधियों को वह किसी न किसी तरह अपनी इस बदले की नीति का शिकार बनाते रहे हैं। उनकी इस नीति के कारण ही विपक्षी पार्टियों के साथ उनका टकराव भी बढ़ता रहा है और माहौल भी दूषित होता रहा है। स. बाजवा सहित आज और भी कई ऐसे छोटे-बड़े राजनीतिज्ञ हैं, जो मुख्यमंत्री की ऐसी नीति का निशाना बनते रहे हैं। स. प्रताप सिंह बाजवा का परिवार विगत लम्बी अवधि से पंजाब और देश की राजनीति में सक्रिय रहा है। उनके पिता को आतंकवादियों की गोलियों का शिकार होना पड़ा था। स. बाजवा की प्रदेश में राजनीतिक छवि और प्रभाव से सभी अवगत हैं। वह लगातार कांग्रेस पार्टी के भिन्न-भिन्न पदों पर रहते हुए राजनीति में पूरी सक्रियता से विचरण करते रहे हैं। इसीलिए पंजाब कांग्रेस के समूचे नेतृत्व के अतिरिक्त अन्य विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। 
आज प्रदेश में जिस तरह के गम्भीर हालात बने दिखाई देते हैं, और प्रशासन के समक्ष जिस तरह की गम्भीर और बड़ी चुनौतियां दरपेश हैं, उनके दृष्टिगत सरकार को सभी पार्टियों को लगातार बातचीत द्वारा विश्वास में लेकर एक साझी रणनीति के तहत इन गम्भीर चुनौतियों के कारण संकट में घिरे प्रदेश को बाहर निकालने का यत्न करना चाहिए। मुख्यमंत्री की इस संबंध में अधिक ज़िम्मेदारी बनती है। इसी संबंध में ही हमारा यह विचार है कि मुख्यमंत्री को विपक्षी पार्टियों  के नेताओं के साथ अपने संबंध बेहतर बनाने चाहिएं। विपक्ष के नेता के विरुद्ध मात्र एक बयान को आधार बना कर मामला दर्ज करना लोकतंत्र विरोधी और निंदाजनक कार्रवाई है। ऐसी गलत परम्पराएं नहीं डालनी चाहिएं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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