कनाडा की नई सरकार से उम्मीदें

कनाडा के संसदीय चुनावों को विश्व भर में बड़ी दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा था। जनसंख्या के पक्ष से इस देश की जनसंख्या चाहे अनुपाततया कम है परन्तु दुनिया के कुछेक विशाल क्षेत्रफल वाले देशों में से एक है। प्रकृति ने इसे बेहद सुन्दरता प्रदान की है। चाहे यह सदियों पुराना देश नहीं, अपितु पिछले कुछ सौ सालों में ही विकसित हुआ है, परन्तु इसने अपनी सूझवान योजनाबंदी से दुनिया भर में नाम बनाया है और अपने लोगों के लिए खुशहाली के मार्ग खोले हैं। प्राकृतिक स्रोतों से भरपूर होने के कारण इसकी भविष्य की सम्भावनाएं भी बेहद उजागर दिखाई देती हैं।
दुनिया के लोकतांत्रिक देशों में इसका उभरता नाम है, परन्तु इस बार हुए चुनावों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने के कुछ और भी अहम कारण थे। अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने टैरिफ (टैक्स)के नाम पर दुनिया भर को अचम्भित कर दिया है। चीन जैसे बड़े देशों के साथ इस मामले पर वह प्रत्यक्ष रूप में टकराव में आ गया है। भारत अभी तक अपनी अमरीका से संबंधित व्यापारिक नीतियों में संतुलन बनाने का यत्न कर रहा है, परन्तु यूरोप सहित अन्य दर्जनों ही देश इस मामले पर भारी तनाव में विचरण कर रहे हैं। आज अमरीका एक महाशक्ति है। उसकी नीतियों का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि ट्रम्प ने अपने पड़ोसी मित्र और सहयोगी देशों को भी अपने निशाने पर लिया हुआ है। इनमें कनाडा और मैक्सिको आदि शामिल हैं। कनाडा के प्रति अमरीकी राष्ट्रपति द्वारा धारण की गई ऐसी नीति एक बड़ा धक्का ज़रूर है। यहीं बस नहीं, डोनाल्ड ट्रम्प ने तो कनाडा की कुछ समस्याओं को देखते हुए उसे अमरीका में शामिल करके अपना 51वां राज्य (स्टेट) बनाने तक की घोषणा कर दी थी। उस समय जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल पार्टी की सत्ता थी। बहुमत न होने के कारण यह सरकार नई उभरी न्यू डैमोक्रेटिक पार्टी (एन.डी.पी.) के सहारे चल रही थी। एन.डी.पी. नेता जगमीत सिंह भारतीय पंजाब में चली खाड़कू लहर के समर्थक माने जाते रहे हैं। पिछली बार एन.डी.पी. के पास 25 सीटें थीं। जस्टिन ट्रूडो की सरकार में उनका प्रभाव था। जस्टिन ट्रूडो भी पंजाब की खाड़कू लहर के समर्थक ही माने जाते थे। इसलिए उनके भारत के साथ संबंध ज्यादा समय सामान्य नहीं रहे थे। क्योंकि भारत कनाडा में विचरण करते खाड़कू तत्वों के विरुद्ध कनाडा की सरकार के  समक्ष हमेशा शिकायत करता रहा है, परन्तु 18 मई, 2023 को कनाडा में खालिस्तान पक्षीय नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोली मार कर हत्या करने के बाद दोनों देशों में संबंध इसलिए बिगड़ गए थे, क्योंकि जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या के लिए प्रत्यक्ष रूप से आरोप भारत सरकार पर लगाया था। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप भारत सरकार ने भी कड़ा रवैया अपनाते हुए कनाडा के साथ अपने दूतावास संबंधों को बहुत कम कर दिया था। पैदा हुए इस तनाव के कारण कनाडा जाते लाखों ही भारतीय, विशेष रूप से पंजाबी विद्यार्थियों पर भी इसका प्रभाव पड़ा था। ट्रूडो के समय कनाडा की वित्तीय स्थिति घाटे में आ गई थी। इस पर बेरोज़गारी के बादल मंडराने लगे थे। अमरीका का रवैया और भारत के साथ संबंधों के कारण भी ट्रूडो विवादों में घिर गए थे, जिस कारण संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले ही अपनी पार्टी की इच्छा अनुसार उन्हें अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ा था और उनके स्थान पर मार्क कार्नी को प्रधानमंत्री बनाया गया था।
कार्नी बड़े अर्थ-शास्त्री हैं, उन्होंने अपने देश के प्रति अमरीकी नीतियों का डट कर विरोध किया। लिबरल पार्टी की प्रत्येक पक्ष से गिरती छवि को सम्भालने का भी यत्न किया। पिछले 10 वर्ष से यह पार्टी कनाडा में सत्ता में बनी हुई है। वर्ष 2019 और वर्ष 2021 में इसकी सरकारें अल्पमत में रह कर ही काम चलाती रही थीं। इसलिए नए चुनावों ने कनाडा के राजनीतिक भविष्य का फिर से फैसला करना था। इस देश में मुख्य रूप में कंज़रवेटिव और लिबरल पार्टी का ही बड़ा प्रभाव रहा है। विगत अवधि में कुछ छोटी पार्टियां न्यू डैमोक्रेटिक पार्टी, ब्लाक क्यूबक और ग्रीन पार्टी आदि भी राजनीतिक मंच पर उबरती रही हैं। इन हुए चुनावों में चाहे लिबरल पार्टी बहुमत तो हासिल न कर सकी परन्तु बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के कारण ही मार्क कार्नी के फिर से प्रधानमंत्री बनने की प्रबल सम्भावना है, जिनसे कनाडा वासियों ने बड़ी उम्मीदें लगाई हुई हैं।
कनाडा की संसद में 343 सदस्य होते हैं। हमारे लिए यह बात सन्तोषजनक और खुशी वाली है कि इस बार इन चुनावों में अलग-अलग पार्टियों में से 22 पंजाबी सांसद बने हैं। इन सभी का देश में अलग-अलग स्थानों पर अच्छा और बड़ा प्रभाव माना जाता है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मार्क कार्नी को बधाई देते हुए यह लिखा है कि नए हालात दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने और लोगों के लिए अधिक अवसर देने में सहायक होंगे। आगामी समय में यह भी उम्मीद की जाती है कि दोनों देशों का आपसी सहयोग पहले की तरह बढ़ेगा और आपसी व्यापारिक गतिविधियों में भी फिर से वृद्धि हो सकेगी। इस तरह दोनों देश मिल कर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग क्षेत्रों में प्रभावी योगदान डाल सकते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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