गर्मियों में नए व पुराने बागों की सम्भाल ज़रूरी

गर्मियों में नये तथा पुराने लगे बागों की सम्भाल करना बहुत ज़रूरी है। यदि सम्भाल न की जाए तो फलदार पौधों तथा फलों का बहुत नुकसान हो जाता है। गर्मियों में फल फट जाता है और वह मंडीकरण के योग्य नहीं रहता। कच्चा फल ही ज़मीन पर गिर जाता है। फलदार पौधों के पत्ते सड़ जाते हैं, पौधों का तना व छिलका फट जाता है और अंत में नये पौधे तथा पुराने पौधे मर जाते हैं।
बागवानी विभाग के पूर्व डिप्टी डायरैक्टर डा. स्वर्ण सिंह मान (सेवानिवृत) कहते हैं कि सबसे पहले यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि जब भी कोई नया बाग लगाना हो तो उससे पहले बाग लगाने वाली जगह की चारदीवारी के निकट देसी आम, जामुन, बिल, करोंदा, अर्जुन, शहतूत आदि के पौधे लगा देने चाहिएं जिससे बाग गर्म व ठंडी हवाओं से बच जाएगा और इससे प्राप्त होने वाले फल से भी अधिक आय प्राप्त हो सकेगी। घरेलू स्तर पर लगाए नए फलदार पौधों पर भी गर्मी का प्रभाव दिखाई देता है। सबसे अधिक उन पौधों पर प्रभाव पड़ता है जो दीवारों के निकट लगे होते हैं। नींबू जाति के पौधे, लीची तथा आम के पौधे बहुत प्रभावित होते हैं।
फलदार पौधों को गर्मी के कहर से बचाने के लिए कुछ प्रयास किए जाने चाहिएं। नये लगाए फलदार पौधों को गर्मियों में एक सप्ताह में दो बार पानी देना चाहिए और पुराने लगे पौधों को 7 से 10 दिन बाद पानी देना चाहिए। आलू बुखारा, अंगूर तथा नाशपाती के पौधों को सप्ताह के बाद ही पानी देना चाहिए। नींबू, किन्नु, आम, अनार, बिल आदि के फलदार पौधों को यदि अधिक समय बाद पानी ज़्यादा दिया जाता है तो फल फटने की समस्या अधिक आती है। इसलिए उक्त फलदार पौधों को अप्रैल, मई, जून माह में 7 से 10 दिनों के बाद पानी लगातार देते रहना चाहिए। घरेलू स्तर पर गर्मी से बचाव के लिए फलदार पौधे दीवार से 10 से 12 फुट की दूरी पर लगाने चाहिएं। 50 प्रतिशत ग्रीन शैड नैट का इस्तेमाल किया जा सकता है और सुबह-शाम पानी का स्प्रे किया जा सकता है। 
नये तथा पुराने लगाए फलदार पौधों के तनों को गर्मी से बचाव के लिए दो फुट तक सफेदी कर देनी चाहिए। इस सफेदी का घोल तैयार करने के लिए 25 किलो कली, आधा किलोग्राम सुरेश तथा आधा किलोग्राम नीला थोथा 100 लीटर पानी में घोल लेना चाहिए। यह घोल प्लास्टिक या मिट्टी के बर्तनों में अलग-अलग घोल कर मिला लेना चाहिए। पुराने लगाए हुए बागों में सीलन बनाए रखने के लिए धान की पराली का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बाग का वातावरण भी ठंडा रहेगा और अधिक पानी देने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी।
नये लगाए फलदार पौधों को गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए पराली का छाता-सा भी बनाया जा सकता है। नये लगाए गए पौधे यदि टेढे होने लगते हैं तो छड़ी का सहारा भी दिया जा सकता है। यदि पियोंद वाले स्थान पर अभी प्लास्टिक की पट्टी नहीं काटी तो वह भी उतार देनी चाहिए, नहीं तो पौधे का तना घुट जाएगा और तेज़ हवा चलने से टूट जाएगा। नये लगाए बागों में पौधों के बीच खाली ज़मीन पर सब्ज़ियां, दालें तथा फूल लगाए जा सकते हैं, परन्तु इनमें धान, जवार, बाजरा, कपास तथा गन्ना आदि नहीं लगाने चाहिएं। इसके अतिरिक्त बेल वाली सब्ज़ियां लगाने से भी परहेज़ करना चाहिए।
गर्मी के महीनों के दौरान कीड़े-मकौड़ों का हमला भी बहुत ज़्यादा होता है। इसलिए सिटरस सिल्ला, सिटरस लीफ माइनर, एफिड, लीफ फोल्डर से बचाव के लिए 50 मिलीलीटर कॉनफिडोर 17.8 एसएल या 40 ग्राम एक्टारा 100 लीटर पानी में घोल कर प्रत्येक माह एक स्प्रे कर देना चाहिए। आम तथा अंगूर में पाऊडरी मिलड्यू से बचाव के लिए 50 मिलीलीटर कैराथीन या बैलाटोन 50 ग्राम या टोप्स 10 ईसी 50 ग्राम को 100 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे कर देना चाहिए। आड़ू के एफिड से बचाव के लिए रोगोर 30 ईसी 160 मिलीलीटर या मैलाथियन 160 मिलीलीटर का स्प्रे करना चाहिए और 15 दिन के बाद पुन: स्प्रे कर देना चाहिए।

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