हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ रहा देश
हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को बढ़ावा देने के लिए जहां दुनिया के देशों में अलग-अलग चरणों में काम हो रहा है, वहीं आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती को पूरी तरह से हरित ऊर्जा से संचालित शहर बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू ने काम भी शुरु कर दिया है। अमरावती को पूरी तरह से हरित ऊर्जा से संचालित शहर बनाने में करीब करीब 65 हजार करोड़ रुपये की लागत आयेगी और सौर, पवन और जल विद्युत पर आधारित इस परियोजना में अमरावती में उपयोग आने वाली सारी बिजली नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूवल एनर्जी) स्रोत से ही प्राप्त होगी। सर्वाधिक कार्बन उत्सर्जन करने वाली जीवाश्म उर्जा का अमरावती में नामोनिशान नहीं होगा। अपने आप में यह दुनिया के लिए हरित ऊर्जा के सपने को क्रियात्मक रूप की बड़ी महत्वाकांक्षी और दुनिया के देशों के लिए प्रेरणीय पहल मानी जानी चाहिए। कोई इसे इतिहास रचने की बात करता है तो कोई हरित ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ी और रचनात्मक पहल के रूप में देख रहे हैं। कहा जाए तो दुनिया के देश जिस तरह से हरित ऊर्जा के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं और जिस तरह से बड़े-बड़े शिखर सम्मेलनों के साझा घोषणा-पत्रों में घोषणाएं होती हैं, उससे अलग हट कर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू की इस पहल को माना जाना चाहिए।
अमरावती को पूरी तरह हरित ऊर्जा युक्त दुनिया का पहला शहर बनाने के लिए 2050 तक की मांग का आकलन कर लिया गया है। इसके लिए 2700 मेगावाट विद्युत की आवश्यकता होगी। इसमें स 30 प्रतिशत सोलर और पवन आधारित उर्जा होगी तो 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन पनबिजली आधारित होगी।
हरित ऊर्जा के चार प्रमुख स्रोत है। इसमें सूर्य की गर्मी आधारित सोलर उर्जा, हवा के झोकों पर आधारित पवन उर्जा, जल आधारित पन बिजली परियोजना और भू-गर्भ के ताप आधारित भू-तापीय उर्जा को नवीकरणीय ऊर्जा के नाम से जाना जाता है। इसमें प्रमुखता से सोलर, पवन और पन बिजली को लिया जाता है। दरअसल जीवाश्म आधारित उर्जा जिसमें प्रमुखत: कोयला व लिग्नाइट का प्रयोग होता है, के कारण जलवायु में तेज़ी से परिवर्तन हुआ है और आज दुनिया के देश तापमान वृद्धि को 1.5 प्रतिशत तक रखने के लिए जूझ रहे हैं। 2 प्रतिशत वृद्धि दर को डेढ़ प्रतिशत लाना टेड़ी खीर बना हुआ है। पेरिस घोषणा के अनुसार दुनिया के देशों को इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी गई है अन्यथा जलवायु परिवर्तन के जिस तरह के परिणाम हम आये दिन देखने लगे हैं—जैसे तापमान में बढ़ोतरी, ग्लेशियरों का सिकुड़ना, अनपेक्षित मौसम चक्र, कभी भीषण गर्मी तो कभी अधिक सर्दी और कभी तेज़ बरसात। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से समुद्र किनारे के शहरों के सामने अस्तित्व का संकट आ गया है, तो जंगलों के दावानलों का असर आसपास के शहरों खासतौर से अमरीकी शहराें में देखा जा चुका है। सूखा और बाढ़ आम होती जा रही है तो संक्रामक रोगों की बढ़ोतरी सामने हैं। दुनिया के देश खासतौर से मौसम विज्ञानी इन हालातों को लेकर चिंतित है और जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावाें को सीमित करने के उपायों को लेकर प्रयासरत है। हालांकि इसमें सरकारों की इच्छा शक्ति, संसाधन, आर्थिक सामाजिक हालात के साथ ही विकसित देशों द्वारा खुले दिल से सहयोग नहीं करना बड़ा कारण बनता जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के संकट से दुनिया के देश सावचेत नहीं होंगे, बल्कि इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों को लेकर रेंकिंग भी जारी होने लगी है। जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन रैंकिंग में भारत दसवें स्थान पर है, हालांकि यह इससे पहले के साल की तुलना में रेंकिंग पिछड़ी है। देश में नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में ठोस प्रयास हो रहे हैं। गुजरात के कांडला सेज को पूरी तरह से हरित औद्योगिक क्षेत्र बनाया गया है तो तमिलनाडू के महाबलीपुरम के शोर मंदिर को हरित ऊर्जा पुरातात्विक स्थल के रुप में पहचान मिल चुकी है। डेनमार्क का कोसेनहेगेन भी इसी श्रेणी में आता है। आस्ट्रेलिया का एडिलेड, कोरिया का सियोल, आइवरकोस्ट का कोकोडी, स्वीडन का मालमो और दक्षिणी अफ्रीका का केपटाउन हरित ऊर्जा की दिशा में बढ़ते हुए शहरों में शामिल हैं। गुजरात के कांडला सेज में 1000 एकड़ में साढ़े तीन लाख पेड़ लगाए गए हैं। समुद्र के नमक के पानी से प्रभावित क्षेत्र को जलवायु की दृष्टि से करीब-करीब बदल ही दिया गया है।
अमरावती को पूरी तरह से ग्रीन सिटी बनाने की दिशा में जो कार्य आरंभ हो रहा है, वह समूची दुनिया के लिए एक मिसाल है। वहां पर सरकारी भवनों के साथ ही अन्य स्थानों पर सोलर पेनल और पवन उर्जा के स्रोत लगाये जाएंगे। पनबिजली परियोजना का संचालन होगा। पूरी तरह से हरित ऊर्जा का ही उपयोग होगा। हालांकि यह अपने आप में चुनौतीभरा काम होगा, परन्तु इच्छा शक्ति और कुछ नया करने की भावना से आगे बढ़ा जाता है तो फिर कोई कार्य असंभव नहीं होता है। हालांकि केन्द्र व राज्य सरकारें अक्षय उर्जा के इस क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रही हैं। राजस्थान नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में समूचे देश में आगे है और भड़ला पार्क जैसे सोलर पार्क यहां विकसित हो चुके हैं। सरकार अब घरों की छतों पर सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है तो कृषि में सौर पम्पों और अन्य कार्यों में इनके उपयोग सकारात्मक प्रयास माने जा सकते हैं, परन्तु अमरावती इन सबसे अलग इसलिए हो जाती है क्योंकि यहां समग्रता से प्रयास करते हुए समूचे शहर को हरित ऊर्जा युक्त बनाया जा रहा है। यइ सराहनीय होने के साथ ही प्रेरक भी है।
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