सेना में दिखने लगा महिला शक्ति का दम

भारतीय सेना में महिला शक्ति का दम दिखाई देने लगा है। पुरुषों की तरह महिलाएं भी सेना में बढ़ चढ़कर अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर रही हैं। इसका ताजा उदाहरण हाल ही में सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग में सेना की दो महिला अधिकारियों द्वारा युद्ध से संबंधित जानकारी देना एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के साथ कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भारत के पराक्रम की तस्वीर को पूरी दुनिया के सामने पेश किया और बताया कि आखिर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने कैसे और क्या कार्यवाही की। सेना की दोनों महिला अधिकारियों ने सैनिक कार्यवाही की हर दिन प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से देश दुनिया को ताजा जानकारी प्रदान कर यह दिखा दिया कि भारत में महिला शक्ति भी किसी से कम नहीं है।
भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं की भागीदारी का इतिहास लंबे संघर्ष और बदलावों से भरा रहा है। स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही महिलाएं भारत की सुरक्षा और सेवा में अप्रत्यक्ष रूप से योगदान देती रही हैं लेकिन सेना में औपचारिक तौर पर उनकी नियुक्ति का रास्ता बहुत बाद में खुला। साल 1943 में बनी रानी झांसी रेजिमेंट, नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज का हिस्सा थी। यह पहली बार था जब महिलाएं युद्ध के मोर्चे पर सक्रिय रूप से दिखाई दीं। आजादी के बाद भी सशस्त्र बलों में महिलाओं को लंबे समय तक सहायक भूमिकाओं तक ही सीमित रखा गया।
भारत की तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना, वायु सेना) में महिलाओं की संख्या को लेकर अगस्त 2023 में केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संसद में बताया था कि तीनों सेनाओं में 11414 महिलाएं सेवाएं दे रही हैं। थल सेवा में सेवारत 7054 महिलाओं में से 1733 महिलाएं अधिकारी हैं। यह आंकड़ा 1 जनवरी 2023 तक का है। भारतीय वायु सेवा में 1654 महिला अधिकारी सेवारत है जबकि 155 महिलाएं एयर मेन (अग्निवीर) के रूप में सेवाएं दे रही हैं। भारतीय नौसेना में 580 महिलाएं अधिकारी के रूप में सेवारत हैं जबकि 727 महिलाएं सैलर्स (अग्निवीर) के तौर पर तैनात हैं। इसी तरह 1212 महिलाएं भारतीय थल सेना के आर्मी मैडीकल कॉर्प्स में, 168 महिलाएं आर्मी डेंटल कार्प्स में और 3841 महिलाएं मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में कार्यरत हैं। 151 महिलाएं नौसेना के मैडीकल कॉर्प्स में, 10 महिलाएं डेंटल कार्प्स और 380 महिलाएं मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में सेवारत हैं। 274 महिलाएं भारतीय वायु सेवा के मैडीकल कॉर्प्स में, पांच महिलाएं डेंटल कॉर्प्स में और 425 महिलाएं मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में सेवारत हैं।
सेना में आज महिला कॉम्बैट पायलट भी हैं। जो मिसाइल चलाती हैं, मोर्चे पर भी जाती हैं। वे इंजीनियरिंग का कार्य भी देखती हैं और सैटेलाइट को भी नियंत्रित करती हैं। अब महिलाएं डिफेंस भी करती हैं। टेक्निकल इंटेलीजेंस भी एकत्र करती हैं। तथापि अभी तक आमने-सामने की लड़ाई में महिलाओं को नहीं भेजा जाता है। राजस्थान में झुंझुनू ज़िले की स्क्वाड्रन लीडर मोहन सिंह 2016 में भारतीय वायु सेना की तेजस फाइटर स्पाइडर में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं। इससे पहले वह मिग 21 बाइसन फाइटर प्लेन भी उड़ा चुकी हैं। ग्रुप कैप्टन सालिया धामी वायु सेना की ऐसी पहली महिला अधिकारी बनी हैं जो फ्रंटलाइन काम्पैक्ट यूनिट की कमान संभाल रही हैं। फ्लाइंग यूनिट की फ्लाइट कमांडर बनने वाली भी वह पहली महिला अधिकारी हैं। भारत की सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा और थलसेना एवं नौसेना की चिकित्सा सेवाओं का नेतृत्व महिला अधिकारी ही कर रही हैं।
रक्षा बलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की दिशा में भारत की प्रगति धीमी रही है लेकिन लोगों का मानना है कि इसमें लगातार प्रगति हुई है। अब एक साथ बहुत सारी महिलाएं प्रमुख भूमिकाओं में हैं। वे दूसरों के लिए रास्ता बना रही हैं। उनके प्रदर्शन पर बहुत कुछ निर्भर करेगा। अगर वे अच्छा काम कर रही हैं तो उन्हें स्वीकार करना आसान होगा और आने वाली महिलाओं के लिए रास्ता साफ हो जाएगा। शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत महिलाएं केवल 10 या 14 साल तक सेवाएं दे सकती हैं। इसके बाद वो सेवानिवृत्त हो जाती हैं लेकिन अब उन्हें स्थायी कमीशन के लिए आवेदन करने का भी मौका मिलेगा जिससे वो सेना में अपनी सेवाएं आगे भी जारी रख पाएंगी और रैंक के हिसाब से सेवानिवृत्त होंगी। साथ ही उन्हें पेंशन और सभी भत्ते भी मिलेंगे। 1992 में पांच साल के लिये शॉर्ट सर्विस कमीशन के लिए महिलाओं का पहला बैच भर्ती हुआ था। इसके बाद इस सर्विस की अवधि को 10 साल के लिए बढ़ाया गया। 2006 में शार्ट सर्विस कमीशन को 14 साल कर दिया गया।
भारतीय सेना अब महिलाओं को सशत्र बल में नियुक्ति के लिए उनके लिए तय की गई नीतियों को लागू कर प्रोत्साहित करती है। इसके लिए महिलाओं के लिए आर्मी मेडीकल कोर, आर्मी डेंटल कोर और मिलिटरी नर्सिंग सेवाओं के लिए परमानेंट कमिशन को मंजूरी दी गई है। अब 11 आर्म्स एंड सर्विसेज में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन मिलता है। जिनमें आर्मी सर्विस कोर, आर्मी आर्डनेंस कोर, आर्मी एडुकेशन कोर, जज एडवोकेट जनरल ब्रांच, इंजीनियर कोर, सिगनल कोर, इलेक्ट्रॉनिक्स और मकैनिकल कोर, इंटेलीजेंस कोर, आर्मी एयर डिफेंस, आर्मी एविएशन, रीमाउंट एंड वेटनरी कोर आदि शामिल हैं।

#सेना में दिखने लगा महिला शक्ति का दम