मुनीर किस पंक्ति में खड़े हैं?
हाल ही में पाकिस्तान के शीर्ष नेता शहबाज़ शऱीफ विदेशी दौरे पर थे। जिस तरह वहां के राजनीतिज्ञों के सामने वह मुनीर को परिचित करवा रहे थे, वह पाकिस्तान की सियासत और इतिहास का पहला ऐसा मौका था जो शहबाज़ को कुछ नीचे और मुनीर को कुछ ऊपर खड़े करने वाला था। चार दिन के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की शर्मनाक हार के बाद मुनीर अपने सीने पर चार स्टार की जगह पांच स्टार चमकाने वाले सेना के अफसर बन गए हैं। ऐसा उनके झूठ-फरेब और भारत विरोधी इरादों के कारण सम्भव हो सका। लोग पूछ रहे हैं कि यदि चार ‘स्टार’ के तमगे चमकाने वाला कुछ नहीं कर पाया तो पांचवां ‘स्टार’ लटका कर क्या कर पाएगा? एक बात साफ है कि मुनीर भारत विरोधी है इसलिए भारतीय सेना को हमेशा सावधान रहना चाहिए। हम हैं भी। मुनीर को जो विचित्र ढंग से पदोन्नत किया गया है, उससे ़खतरा और बढ़ा है और अधिक सावधान रहना पड़ेगा।
मुनीर पाकिस्तान में जबरदस्त ताकत हासिल कर चुके हैं, जिस असैनिक सरकार के ‘चुनाव में’ उनकी मिलीभगत थी। यह सरकार नैतिक तौर पर उनके आगे झुकी हुई थी। सरकार के प्रमुख मुनीर को ‘सिपहसालार’ का नाम दिया करते थे। शहबाज़ शरीफ की उनके आगे चापलूसी जैसी बातें और रवैये से क्या एक वजीर-ए-आज़म की छवि झलकती है? मुनीर को हक मिला है कि वह तमाम गम्भीर मुद्दों पर बोल सके। वह ख्बाव दिखाते हैं कि मुल्क को एक ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थ व्यवस्था बना देंगे। पाकिस्तान के सूझवान पत्रकार जानते हैं कि इस वक्त व्यवस्था 410 अरब वाली ही है। सेना की बेहद होती ताकत को चुनौती देने वाला एकमात्र सियासी लीडर इमरान खान जेल में है। उनकी पार्टी पर प्रतिबन्ध लगाकर उन्हें चुनाव न लड़ने का ही अख्तियार है। मुनीर द्वारा वांछित पार्टी एकतरफा चुनाव भी न जीत पाई, क्या फर्क पड़ता है। उसे सत्ता सौंप दी गई। सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की न्यायपालिका आत्मसमर्पण कर चुकी है। फौजी अदालतों को यह हक दे दिया है कि देश द्रोह सहित गम्भीर अपराधों के लिए नागरिकों पर मुकद्दमा चला सके। कठपुतली होकर रह गई संसद जब भी संविधान की हत्या होती है, उस पर अपनी मुहर लगाने को विवश है। मुनीर ने इसी तरह अपना कार्यबल बढ़वा लिया है। जनता की आवाज़ सुनाई नहीं देती।
भारतीय विमानों को मार गिराने का दावा एक समय के लिए तसल्ली दे सकता है, लेकिन जब ध्वस्त हुए ठिकानों और हवाई अड्डों तथा जैश-लश्कर के मलबे में परिवर्तित ठिकानों के चित्र हर जगह मीडिया का हिस्सा बनते हैं तो हकीकत को देर तक छिपाना मुश्किल हो जाता है, लेकिन उन्हें अपनी छवि अगर सुधारनी है तो यह फिर किसी घटिया कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं जिसके लिए हर स्तर पर जागरूक और संवेदनशील रहना ज़रूरी है। मुनीर क्या करेंगे, यह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन उन पर किसी भी तरह शांत और चुप रहने का अवसर ़खतरे से खाली नहीं है। अन्तत: उनके कारण पाकिस्तान की सियासत, पाकिस्तान की मासूम जनता को बहुत कुछ भोगना पड़ सकता है। समझ नहीं आता कि विश्व भर के जागरूक राजनीतिज्ञ उसके ़खतरनाक इरादों को क्यों आंखों से ओझल कर रहे हैं? मुनीर का भविष्य धूमिल भी हो सकता है, क्योंकि आयूब, याकूब खान, जिया, मुशर्रफ चारों एक ही पंक्ति के हैं।