पंजाब की जेलों में बढ़ती नशा-तस्करी

पंजाब की जेलों में नशीले पदार्थों के कारोबार और कैदियों में नशे के सेवन की बढ़ती प्रवृत्ति जेल अधिकारियों के रवैये और आचरण को लेकर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा की गई कठोर टिप्पणी एक ओर जहां जेलों के भीतर नशे के बढ़ते कारोबार की ओर सरकार एवं जन-साधारण का ध्यान आकर्षित करती है, वहीं सरकार के अपने प्रशासन की पोल भी इस नाजुक मुद्दे पर खोलकर रख देती है। होशियारपुर की केन्द्रीय जेल में बड़े स्तर पर नशीले पदार्थों की खेप मिलने और उच्च स्तरीय बैरकों में मोबाइल फोनों की बरामदगी और इसके बाद से जेल के उच्चाधिकारियों के फरार हो जाने का गम्भीर नोटिस लिया है। ऐसी कड़ी टिप्पणी के साथ ही माननीय न्यायाधीश ने यह भी कहा है कि ऐसा लगता है कि जेलों के उच्च अधिकारी स्वयं ही नशे की तस्करी और कारोबार के माफिया की भूमिका निभाने लगे हैं। नि:संदेह उच्च न्यायालय ने जिस एक मुद्दे को लेकर सरकार के विरुद्ध यह एक टिप्पणी की है, उसका हुआ बंटाधार सरकारी प्रशासन की मिलीभुगत के बिना नहीं हो सकता था, और अक्सर ऐसे मामलों में प्रशासन की पीठ पर राजनीतिज्ञों का सांठ-गांठ वाला हाथ होता है। यह मामला कितना गम्भीर है, इसका पता इस एक बात से भी चल जाता है कि अदालत ने इसकी सामूहिक निगरानी स्वयं अदालत द्वारा किये जाने हेतु कहा है। इसके साथ ही अदालत ने नशा तस्करों की लाई गई ज़मानत याचिकाओं को निरस्त करते हुए, जेल के भीतर इतने बड़े स्तर पर नशे के रैकेट के प्रति विशेष जांच दल गठित किये जाने का भी निर्देश दिया है।
नि:संदेह पंजाब की सरकार ने वर्तमान में प्रदेश को नशे से मुक्त करने के लिए व्यापक स्तर पर युद्ध जैसा अभियान शुरू कर रखा है। ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ शीर्षक तले पंजाब की सरकार ने बार-बार यह वायदा किया है कि जितना शीघ्र हो सके, प्रदेश से नशे का खात्मा अवश्य किया जाएगा, किन्तु कैसी अजब त्रासदी है कि प्रदेश सरकार के ईमानदारी से किये जा रहे प्रयासों के बावजूद प्रदेश में एक ओर जहां नशे का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है, वहीं नशे के तस्करों और इस अवैध कारोबार में संलिप्त कारिन्दों की तादाद भी उसी अनुपात में बढ़ गई है। इस प्रकार सरकार की सारी कोशिशें तब धरी की धरी रह जाती हैं जब प्रतिदिन प्रदेश में बड़े-बड़े छापों के दौरान करोड़ों रुपए की हेरोइन और अन्य नशीले पदार्थ बरामद किये जाते हैं। प्रदेश में अफीम, कोकीन और फिर हेरोइन के बाद आजकल नशीली गोलियों का कारोबार बहुत फल-फूल रहा है। इन गोलियों के आदान-प्रदान में सरकारी अस्पताल, सरकारी नशा छुड़ाओ केन्द्रों की बड़ी मिलीभुगत पाई गई है। ऐसी गोलियों के एक बड़े कारोबार का पंजाब में पिछले दिनों भंडा-फोड़ हुआ था।
माननीय उच्च अदालत द्वारा जेलों की भीतरी और खासतौर पर उच्च सुरक्षा वाली बैरकों  की निरन्तर गम्भीर होती जाती स्थिति को बाकायदा एक बड़ी साजिश करार देना भी, सरकार के अपने प्रशासनिक तंत्र की ओर उंगली उठाता है। बहुत स्वाभाविक है कि जेलों में उच्च सुरक्षा वाले केन्द्रों तक किसी आम आदमी अथवा किसी सामान्य अधिकारी/कर्मचारी की आसानी से पहुंच नहीं हो सकती। अदालत ने इस एक तथ्य पर भी गौर किया कि इस रहस्योद्घाटन के बाद से जेल के अनेक उच्चाधिकारी फरार हैं। पुलिस की उन तक पहुंच सम्भव ही नहीं हो पाना भी किसी साज़िश से कम नहीं। अदालत ने इन अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी का निर्देश देते हुए कहा है कि इनकी गिरफ्तारी के बिना जांच कार्य और अदालत की कार्रवाई प्रभावित होगी।
हम समझते हैं कि बेशक पंजाब सरकार प्रदेश से नशे को जड़ से मिटाने के लिए कटिबद्ध है, किन्तु यह भी एक तथ्य है कि जितनी ईमानदारी से वह स्वयं ऐसे प्रयास करती है, उतनी ही तेज़ी से उसके अपने प्रशासनिक तंत्र में छिद्र बढ़ते जाते हैं। यहां तक कि नशे की इस तस्करी में पुलिस के आला अधिकारियों सहित अनेक कर्मचारियों और कारिन्दों के संलिप्त पाये जाने की घटनाएं नित्य-प्रति सामने आने लगी हैं। बठिण्डा की एक महिला कर्मी के पास करोड़ों रुपए की आय से अधिक सम्पत्ति मिलने और उसके संबंध अवैध सूत्रों तक पाये जाने की घटना ने पूरे प्रांत को स्तब्ध किया है। खन्ना में भी पिछले सप्ताह एक हैड कांस्टेबल नशे की तस्करी से करीब से जुड़ा पाया गया। पिछले मास लाखों रुपए  लेकर नशा-तस्कर को छोड़ने वाले स्टाफ इंचार्ज सहित सी.आई.ए. की पूरी टीम की गिरफ्तारी होना भी, दाल के बड़ी सीमा तक काली होने की ओर संकेत करता है। तथापि, हम पंजाब सरकार की इन कोशिशों के सदका, पंजाब के नशा-मुक्त हो जाने की कामना करते हैं और चाहते हैं कि पंजाब एक बार फिर समृद्धि के पथ पर चले। यह तभी बड़ी हद तक सम्भव हो पाएगा, जब प्रदेश नशे के द़ाग से मुक्त होगा, यह कार्य जितना शीघ्र होगा, उतना ही प्रदेश की जनता और स्वयं सरकार के अपने व्यापक हितों के अनुकूल होगा।

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