नकली खाद-बीज से सिस्टम पर उठते सवाल

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संकेत दिए हैं कि देश में नकली बीज और खाद के मामलों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है तथा इसकी रोकथाम के लिए सरकार कानून को और कड़ा बना सकती है। हाल ही में राजस्थान में मंत्री किरोडीलाल मीणा की अगुवाई में बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई में नकली खाद व बीज पकड़े गए। प्रदेश के कृषि मंत्री तक ने नकली उर्वरक बनाने वाली एक दर्जन फैक्टरियों पर छापा मार लाखों टन कच्चा माल जब्त करने की कार्रवाई की है। हैरान करने वाली बात यह है कि मार्बल की स्लरी और मिट्टी को मिलाकर डीएपीएएसएप और पोटाश जैसे उर्वरक बना रहे हैं। पूरे देश में बड़े पैमाने पर ऐसा हो रहा है। नकली बीज और उर्वरक का काला कारोबार न केवल बेहतर उपज की उम्मीद लगाए किसानों की मेहनत पर पानी फेर देता है, बल्कि खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालने वाला है। 
यदि आंकडों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि साल 2023-24 में देश में 1, 81,153 उर्वरक नमूनों की जांच में 8 हज़ार 988  यानी 4.9 प्रतिशत नमूने अमानक पाए गए। इसी तरह 1,33,588 बीज नमूनों में 3,630 यानि 2.7 प्रतिशत और 80,789 कीटनाशक नमूनों में 2,222 यानि 2.75 प्रतिशत नकली या अमानक थे। ये आंकड़े बताते हैं कि किसानों से ठगी के मामलों की प्रभावी रोकथाम नहीं हो पा रही है। नकली कीटनाशकों की समस्या से लगभग हर राज्य के किसान परेशान हैं। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फि क्की) ने 2015 में एक अध्ययन किया इसमें पाया गया कि देश में कीटनाशकों की कुल मात्रा का 30 प्रतिशत नकली बिक रहा है। साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ रहा है। नकली माल बेचने वाले माफिया पहले असली प्रोडक्ट खरीदते हैं फिर उसमें कुछ दूसरे केमिकल मिलाकर उसे पतला कर देते हैं और उसे असली कंपनी के समान दूसरी कंपनी के नाम से कम कीमत में बेचते हैं। किसान कम कीमत के झांसे में आकर इन उत्पादों को खरीद लेते हैं। जब इन उत्पादों का उपयोग करने के बाद खेती में उचित परिणाम नहीं मिलते हैं तो किसान दूसरी कंपनी के उत्पाद इस्तेमाल करता है। इससे किसान को आर्थिक नुकसान होता है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार नकली बीज किसानों के लिए बड़ा खतरा बन चुके हैं। ये बीज अंकुरण में कमज़ोर होते हैं। फसल खराब करते हैं और किसानों की आय, समय और मेहनत तीनों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनके कारण कीटनाशकों का ज्यादा इस्तेमाल होता है जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। नकली बीज ऐसे बीज होते हैं जो देखने में असली और प्रमाणित बीज जैसे ही लगते हैं, लेकिन वास्तव में उनकी गुणवत्ता बहुत खराब होती है। इनमें अंकुरण दर कम होती है। पौधों की विकास कमज़ोर होती है और उत्पादन भी अपेक्षित मात्रा में नहीं मिलता। ये बीज भारतीय बीज अधिनियम 1966 के अनुसार निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते। कुछ मामलों में नकली बीज पुराने या खराब भंडारण वाले भी होते हैं जिनकी अंकुरण क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी होती है।
नकली बीजों से उत्पन्न पौधे कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं । वे न तो मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों को सहन कर पाते हैं और न ही उनमें सही पैदावार देने की क्षमता होती है। नकली बीजों के कारण पौधों में रोग और कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इससे किसानों को रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का अधिक उपयोग करना पड़ता है। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता घटती है बल्कि जलस्रोत और पर्यावरण भी प्रदूषित होते हैं 
कृषि क्षेत्र से जुड़ी वेबसाइट ट्रेक्टर जंक्शन के अनुसार किसानों को ये कृषि इनपुट उपलब्ध कराने के लिए करीब 10 हज़ार कंपनियां काम कर रही है। इसके बावजूद बड़ी संख्या में किसानों की फसल नकली खाद-बीज व कीटनाशकों के कारण हर साल बर्बाद होती है। बुवाई से पहले किसानों को ज्यादा पैदावार का वादा करके कंपनियों द्वारा बीज बेचा जाता है, लेकिन जब फसल की पैदावार कम होती है। इस प्रकार हर साल लाखों किसान ठगे जाते हैं। देश के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र और कर्नाटक में नकली खाद-बीज और कीटनाशक के मामले ज्यादा सामने आते हैं।
2024 में छपी एक खबर के अनुसार दवा कंपनियों को बिजनेस करने के लिए सेंट्रल इंसेक्टीसाइड्स बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी से रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। अगर कोई कंपनी रजिस्ट्रेशन नहीं कराती है तो वह वैध रूप से बिजनेस नहीं कर सकती। अब सरकार ने इसमें केवाईसी का नियम भी जोड़ दिया है। जो कंपनी अपना केवाईसी नहीं कराएगी, उसका रजिस्टेशन रद्द हो जाएगा। सरकार के केवाईसी संबंधी आदेश के बाद अब कार्रवाई शुरू हो गई है। केवाईसी नहीं करने वाली 7 हज़ार से अधिक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हो गया है।
किसानों को कृषि विभाग द्वारा पंजीकृत और बीज अधिनियम-1966 के तहत प्रमाणित बीज ही खरीदना चाहिए। बीज खरीदते समय पैकेट पर सर्टिफाइड सीड का चिह्न, प्रमाणन तिथि, वैधता अवधि, अंकुरण दर और लाइसेंस नंबर देखना चाहिए। बीज केवल कृषि विभाग से अधिकृत विक्रेताओं या सरकारी बीज निगमों की दुकानों से ही खरीदने चाहिए। बुआई से पहले बीज का अंकुरण परीक्षण ज़रुर कराना चाहिए। किसानों को नकली बीजों से बचाव के लिए जागरूक होना बेहद ज़रूरी है। उन्हें पंचायत स्तर, किसान मेलों, कृषि विभाग के जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए। साथ ही स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि अधिकारी से जानकारी लेकर ही बीज का चुनाव करना चाहिए। सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए कई ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए हैं। इन माध्यमों से किसान प्रमाणित बीजों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और शिकायत भी कर सकते हैं। अगर किसी को नकली बीज बेचने की जानकारी मिले, तो इसकी सूचना तुरंत स्थानीय कृषि विभाग या पुलिस को दे।  (युवराज)

#नकली खाद-बीज से सिस्टम पर उठते सवाल