भारत और कनाडा के सुधरते संबंध शुभ संकेत
विदेश नीति को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार की आलोचना करती रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो कांग्रेस आक्रामक तरीके से आरोप लगा रही थी कि भारत की विदेश नीति बुरी तरह असफल हो गई है इसलिए युद्ध के समय कोई देश साथ नहीं खड़ा हुआ जबकि सच्चाई यह थी कि भारत को किसी के साथ की ज़रूरत ही नहीं थी। भारतीय विदेश नीति की इस बड़ी सफलता की अनदेखी कर दी गई कि भारत के हमलावर होने के बावजूद तुर्की के अलावा कोई भी देश भारत के विरोध में खड़ा नहीं हुआ। कनाडा के मामले पर भी मोदी सरकार को निशाना बनाया गया कि उसके साथ भारत के संबंध बिगड़ गए हैं।
इस वास्तविकता की अनदेखी की गई कि जब एक देश का मुखिया आपको दुश्मन समझने लगे तो कुछ नहीं किया जा सकता। कनाडा के पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो अपनी घरेलू राजनीति के कारण खालिस्तानियों के कट्टर समर्थक बन गए थे। उन्होंने एक खालिस्तानी नेता निज्जर की हत्या के लिए बिना किसी सबूत के भारत को दोषी करार दिया था। भारत के खिलाफ वो अपने मित्र राष्ट्रों के साथ मिलकर साजिश कर रहे थे और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत को घेर रहे थे। इसके अलावा वो कनाडा में रहने वाले भारतीय प्रवासियों के लिए भी समस्या खड़ी करते नज़र आ रहे थे। इन्हीं कारणों से कनाडा के भारत के साथ रिश्ते बिगड़ते नज़र आ रहे थे।
इस माह की शुरुआत में दुनिया के विकसित देशों के संगठन जी-7 की बैठक का आयोजन कनाडा में किया गया। जी-7 की मेजबानी करने वाले देश की मर्जी होती है कि वो सदस्य देशों के अलावा जिसको चाहे बुला सकता है। जब कनाडा से मोदी जी को बुलाया नहीं आया तो कांग्रेस ने इस पर राजनीति शुरू कर दी। इसकी बड़ी वजह यह थी कि भारत और कनाडा के रिश्ते बहुत खराब दौर से गुजर रहे हैं। ऐसी आशंका थी कि कनाडा मोदी को जी-7 की बैठक में आमंत्रित नहीं करेगा। जब इसमें देरी हुई तो सबको लगा कि मोदी इस बार जी-7 में नहीं जाने वाले हैं लेकिन कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने उन्हें फोन करके इस बैठक के लिए आमंत्रित कर दिया और मोदी जी ने भी उस बैठक में जाने का आमंत्रण स्वीकार कर लिया। सबसे बड़ी बात यह है कि कनाडा के प्रधानमंत्री ने यह बयान दिया कि भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनिया की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश है, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। उनके बयान से पता चलता है कि भारत की साख बढ़ती जा रही है और दुनिया को भारत का महत्व समझ आ रहा है। अब कोई भी देश भारत की अनदेखी करने की गलती नहीं करना चाहता। कनाडा के नए प्रधानमंत्री ने यह संकेत दे दिए हैं कि वो भारत के साथ रिश्ते सुधारना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके देश को भारत की ज़रूरत है।
कनाडा ने पहली बार यह स्वीकार किया कि उसकी धरती का इस्तेमाल खालिस्तानियों द्वारा किया जा रहा है। कनाडा की सबसे बड़ी एजेंसी कनाडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खालिस्तानी कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत में हिंसक गतिविधियों के लिए कर रहे हैं। ये लोग कनाडा में अपना अड्डा बनाकर भारत के खालिस्तानी समर्थकों के लिए फंड इकट्ठा कर रहे हैं और भारत में हिंसक गतिविधियों की योजना बना रहे हैं। इस रिपोर्ट ने भारत की शिकायत को वैधता प्रदान कर दी है कि कनाडा की धरती का इस्तेमाल भारत में अशांति फैलाने के लिए किया जा रहा है।
वास्तव में यह एजेंसी कनाडा में उत्पन्न होने वाले अंदरूनी खतरों के बारे में सरकार को सूचित करती है। इस एजेंसी का कहना है कि ये संगठन केवल भारत के लिए खतरा नहीं हैं बल्कि इनसे कनाडा को भी खतरा है। यही बात भारत सरकार कनाडा को लगातार कहती रही है कि कनाडा में रहकर भारत के खिलाफ साजिश करने वाले संगठन कनाडा को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन ट्रूडो सरकार यह बात समझ नहीं रही थी बल्कि इसके विपरीत भारत पर कनाडा के अंदरूनी मामलों में दखल देने का आरोप लगा रही थी। अब कनाडा की एजेंसी ने खुद मान लिया है कि यह तत्व कनाडा को नुकसान पहुंचा सकते हैं ।
हैरानी की बात यह है कि जिन्हें कनाडा सरकार की सबसे बड़ी एजेंसी अपने देश के लिए खतरा बता रही है, उन्हें ही कनाडा की पिछली सरकार अभी तक अपनी गोद में लेकर बैठी हुई थी। उन्हें हर प्रकार की मदद दी जा रही थी और इसके अलावा उन्हें भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियों को चलाने की पूरी छूट दी गई थी। ये लोग कनाडा में हिन्दू मंदिरों में तोड़-फोड़ कर रहे थे और कनाडा में रहने वाले भारतीयों पर हिंसक हमले कर रहे थे लेकिन कनाडा सरकार उनकी गतिविधियों की तरफ आंख बंद करके बैठी हुई थी। भारत यह बात पूरी दुनिया को बताता आ रहा है कि आतंकवाद सबके लिए खतरा है जो देश आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, उन्हें एक दिन यही आतंकवाद भारी पड़ेगा। यह बात भारत पाकिस्तान को वर्षों से समझा रहा था लेकिन पाकिस्तान की समझ में यह नहीं आया व आज आतंकवाद पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या है।
अब लगता है कि भारत और कनाडा के संबंध सामान्य होना शुरू हो सकते हैं । कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और मोदी की जी-7 की बैठक के दौरान अच्छे माहौल में बातचीत हुई है और दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने की बात हुई है। कूटनीतिक रिश्तों को दोबारा से ठीक करने की बात कही जा रही है। इसके अलावा कनाडा और भारत के बीच व्यापार समझौता होने की बात भी कही जा रही है। दोनों नेताओं ने कहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ाया जाएगा। जिस तरह से कनाडा के नए प्रधानमंत्री ने भारत की ओर दोबारा दोस्ती का हाथ बढ़ाया है और पूरी दुनिया के सामने भारत का महत्व स्वीकार किया है, उससे लगता है कि दोनों देशों के संबंध जल्दी ही बेहतर होंगे।