अधिक आबादी वाले भारत में ए.आई. कितनी सार्थक ?
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जहां की आबादी लगभग 141 करोड़ है, इन परिस्थितियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ए.आई.) की उपयोगिता कितनी सार्थक होगी, यह एक बड़ा प्रश्न है। भारत में व्यापक स्तर बेरोज़गारी है। ऐसे में रोबोट और ए.आई. के कारण देश के युवाओं का हक छिनता नज़र आता है। ए.आई. तकनीक और रोबोट का वैज्ञानिकों ने मानव की सहायता के लिए और देश की बेहतरी के लिए अविष्कार किया है।
अभी तक तो अमरीका,ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इज़रायल ए.आई. के मामले में काफी आगे हो चुके हैं, परन्तु अब खाड़ी के देश विगत 5 साल में ए.आई. को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति केवल तेल के कुए पर सिमटे न रह कर अन्य योजनाओं पर भी काम करना शुरू कर दिया है। यूएई, सऊदी अरब, कतर, मिस्र, जॉर्डन, मोरक्को और अन्य देशों में यूरोप की तुलना में अब और ज्यादा खर्च करके ए.आई. तकनीक को अपने देश में बहुत मज़बूत बना लिया। ए.आई. के जितने फायदे हैं, उससे ज्यादा विकासशील देशों के लिए यह तकनीक नुकसानदायक भी हो सकती है। ए.आई. और रोबोट के भारतीय संदर्भ में जहां जनसंख्या 141 करोड़ हो चुकी है और बड़ी संख्या में युवा बेरोज़गार है, ज्यादा प्रयोग से लोगों की नौकरियां जाने का बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। यह बात दुनिया के बड़े कारोबारी एलन मस्क ने स्टार्टअप के एक कार्यक्त्रम में फ्रांस में महत्वपूर्ण अंदाज़ में कही थी। भविष्य के लिए यह बात एकदम सटीक एवं सार्थक है। एक अन्य कारोबारी इयान बैंक्स ने भी इस पर गंभीर चिंता जताई है। यह बात सभी विकासशील देशों पर भी लागू हो सकती है। अब ए.आई. नब्ज़ पढ़कर आपके मस्तिष्क की बात तुरंत पकड़ कर उस पर अमल करने लगेगी। अब ए.आई. पल्स रेट द्वारा आपके मन की हर बात जानने में सक्षम हो सकती है।
ए.आई. आपकी पल्स रीडिंग और मानसिक विचारधारा को केवल थंब इंप्रेशन में ही पढ़ कर उस पर अमल कर सकती है। इस तकनीक से अमरीका तथा यूरोपीय देश अब दुश्मन की अनेक सूचनाएं बड़ी आसानी से प्राप्त कर उसका सामरिक उपयोग करने में लगे हुए हैं। युद्ध में भी ए.आई. की भूमिका बहुत अहम हो गई है।
विकासशील देशों में यह तकनीक इतनी एडवांस नहीं है। इन परिस्थितियों में उनके लिए उनके सामरिक महत्व की चीजें छुपाना दुश्मन देशों के सामने कठिन हो जाएगा और उनकी खुफिया जानकारी विकसित देश ए.आई. के माध्यम से पूरी प्राप्त कर सकते हैं।
सऊदी अरब, कतर, मिस्र, जॉर्डन, यूएई अपने बजट का बड़ा हिस्सा ए.आई. तकनीक पर खर्च कर रहे हैं। खाड़ी के देश इस टेक्नोलॉजी का उपयोग इस वजह से कर रहे हैं क्योंकि यह उनकी भविष्य की योजनाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है जिससे वे तेल की कमाई से हटकर अन्य साधनों से अपनी अर्थव्यवस्था में मज़बूती ला सकें। यूएई पहला देश है जिसने 2017 ने इस तकनीक को अपनाया था इसके बाद खाड़ी के देशों में अब इस तकमीक को अपनाने में होड़ लग गई। ये सभी देश ए.आई. तकनीक पर लगभग 3 अरब डॉलर खर्च कर चुके हैं। दूसरी तरफ यदि इसका इस्तेमाल अति विशेषज्ञों द्वारा नहीं किया गया तो इसका दुरुपयोग हो सकता है। जिन देशों के पास इसकी एडवांस तकनीक है, वे पूरी जानकारी निकालने में सक्षम होंगे।
यूरोपीय देश ए.आई. का उपयोग न सिर्फ सामरिक महत्व की चीज़ों में कर रहे हैं बल्कि मेडिकल साइंस और अंतरिक्ष विज्ञान में भी पूरी तरह हो रहा है और इससे बहुत फायदे भी मिल रहे हैं। ए.आई. मानव जाति के लिए जितनी फायदेमंद है, दूसरी तरफ इसका उतना ही नुकसान भी हो सकता है। इससे वैश्व्कि शांति को खतरा भी हो सकता है। एक्टिविस्ट मानते हैं कि रोबोट की तरह इस तरह की विज्ञान पर आधारित चीजें मानवता को खतरा भी हो सकती है। ए.आई. को लेकर खाड़ी के देशों ने एआई के इस्तेमाल पर दिशा निर्देश तय कर उसे जारी किया है हालांकि इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं है फिर भी इसका दुरुपयोग होने से मानव को खतरा भी हो सकता है यह एक वैश्विक स्तर पर चिंता की बात है।
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