भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई दिशा देगा मुक्त व्यापार समझौता
भारत और इंग्लैंड के बीच 13 जनवरी, 2022 से जिस मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत शुरु हुई थी, वह साढ़े तीन सालों बाद 24 जुलाई, 2025 को आखिर वह बातचीत अंजाम तक पहुंची और दोनो देशों के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता हो सका। भारत की तरफ से व्यापार और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा इंग्लैंड की तरफ से बिजनेस एंड ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस साल 24 फरवरी, 2025 को बीच में रुक गयी इस व्यापार वार्ता को फिर से शुरु की थी, जिसे अंतत: सफलतापूर्वक सम्पन्न कर दिया गया। दोनों ही देशों को इस समझौते से बहुत फायदा होगा। हालांकि अंतिम रूप से यह समझौता तब लागू होगा, जब अगले छह महीने या एक साल के भीतर ब्रिटिश संसद इस समझौते को अपनी सहमति प्रदान कर देती है। इस समझौते के तहत संबंधित देशों के बीच आपस में सामान और सेवाओं के व्यापार को आसान बनाने के लिए उस पर कम से कम टैक्स या बिल्कुल ही टैक्स न लगाने की सहमति पर होता है।
इस समझौते से दोनों देशों की कम्पनियों, व्यापारियों और लोगों को फायदा होता है, क्योंकि इससे सामान सस्ते होते हैं, जिस कारण उनकी बिक्री बढ़ती है। इस समझौते में शामिल देश व्यापार को आसान बनाने के लिए टैरिफ, कोटा, सब्सिडि जैसी बाधाओं को खत्म करते हैं। समझौते में शामिल देश एक दूसरे पर बिल्कुल ज़ीरो टैक्स कर देते हैं या फिर बहुत मामूली टैक्स लगाते हैं। भारत और इंग्लैंड के बीच सम्पन्न इस समझौते का एक बड़ा मकसद टैरिफ और नान टैरिफ बैरियर्स को कम करके और मार्केट में प्रवेश को आसान बनाकर व्यापार के साथ-साथ दोनों देशों में आपसी निवेश को बढ़ावा देना भी है। साल 2024 में भारत और ब्रिटेन के बीच 4.6 लाख करोड़ रुपये का द्विपक्षीय व्यापार सम्पन्न हुआ था, जिसमें भारत द्वारा 2.75 लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया गया था और ब्रिटेन का निर्यात 1.85 लाख करोड़ रुपये का था। इस तरह पिछले साल ब्रिटेन को 90,700 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
इस समझौते से भारतीय निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और उम्मीद है कि कई लाख नये रोज़गार भी पैदा होंगे। व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक इस डील से भारत को साल 2030 तक एक ट्रिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलने के साथ-साथ भारत की विकसित देशों के बाज़ार तक पहुंच भी बढ़ेगी। उम्मीद की जा रही है कि इस ऐतिहासिक समझौते के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में 34 अरब डॉलर की वृद्धि होगी। ब्रिटेन का किसी भी देश के साथ यह सबसे बड़ा व्यापार समझौता है।
इस व्यापार समझौते के साथ भारत और इंग्लैंड ने 2035 तक के एक साझे विजन पर भी सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों ने मिलकर एक नया रोड मैप इंडिया-यूके विजन-2035 तय किया है, जिससे अगले 10 सालों तक दोनो देशों के संबंधों को दिशा मिलेगी। इस विजन के तहत आर्थिक विकास, तकनीक, रक्षा, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और लोगों के बीच संपर्क जैसे कई मुद्दों पर मिलकर दोनों देश काम करेंगे। भारत और ब्रिटेन की रक्षा कम्पनियों में साथ मिलकर काम करने की सहमति बनी है और इसके लिए भी अलग से रोड मैप तैयार किया गया है। दोनों देशों के बीच जो व्यापार मुक्त समझौता हुआ है, वह महज वस्तुओं के लेन-देन या आयात-निर्यात तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसके बहुत साहसी आयाम तय किये गये हैं। मसलन भारत की जांच एजेंसी सीबीआई और ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी के बीच भी एक समझौता हुआ है, जिससे ये दोनों एजेंसियां एक दूसरे के यहां आपराधिक जांच में सहयोग करेंगी।
गौरतलब है कि भारत से बड़ी संख्या में अपराध करके अपराधी ब्रिटेन भाग जाते हैं और सालों पकड़ में नहीं आते, कई बार तो कभी भी इन्हें कानून के दायरे में नहीं लाया जा पाता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस समझौते से भारत से होने वाले 99 प्रतिशत निर्यात पर टैरिफ यानी आयात शुल्कों में राहत मिलेगी। मतलब यह कि भारत से ब्रिटेन जाने वाला सामान टैक्स कम लगने के कारण सस्ता होगा और उसकी बिक्री के अवसर काफी ज्यादा बढ़ जाएंगे। वहीं ब्रिटेन की कंपनियों के लिए यह समझौता बेहद फायदेमंद होगा। इस समझौते के बाद भारत में ब्रिटिश व्हिस्की, इंग्लैंड की कारें और कई दूसरे उत्पाद 15 फीसदी तक सस्ते हो जाएंगे, जिस कारण दोनों देशों के बीच हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपये का व्यापार बढ़ेगा और 5 साल में मौजूदा व्यापार दोगुने से भी ज्यादा हो जायेगा।
ब्रिटेन से आने वाले ब्रांडेड कपड़े, फैशन प्रोडक्ट, होम वेयर, क्लासिक फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक और इंडस्ट्रियल मशीनरी भी अब 3 से 15 फीसदी तक सस्ती हो जाएंगी, तो ब्रिटिशवासियों को भी इस समझौते के बाद भारत के रत्न और आभूषण पहले से सस्ते मिलेंगे। नतीजतन अपने यहां से इंग्लैंड को रत्न और आभूषणों का निर्यात बढ़ेगा और सूरत तथा मुम्बई में इस उद्योग से जुड़े हज़ारों नये लोगों को रोज़गार मिलेगा। भारत से ब्रिटेन को जो चीजें विशेष तौर पर निर्यात होती हैं, उनमें हैं—रेडिमेड कपड़े, रत्न और आभूषण, केमिकल्स, आटो पार्ट्स, खिलौने और समुद्री उत्पाद जबकि ब्रिटेन से जो चीज़ें अपने यहां आयात की जाती हैं, उनमें मेडिकल डिवाइसेस, कॉस्मेटिक, व्हिस्की, सैलमन मछली, मटन और बिस्कुट शामिल हैं। भारत के कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ब्रिटेन की अभी तक हिस्सेदारी 2 फीसदी तक है, जिसके अगले पांच सालों में बढ़कर 5 फीसदी तक होने की संभावना है।
ज्ञात हो कि ब्रेक्जिट के बाद भी भारत और इंग्लैंड के व्यापार में 10 से लेकर 12 फीसदी तक की सालान वृद्धि होती रही है। यही नहीं साल 2000 से 2022 के बीच भारत में ब्रिटेन से 3.44 लाख करोड़ रुपये एफडीआई भी आया है और हाल में 2023 में तो इसमें 28 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। अब भारत को उम्मीद है कि इस समझौते के बाद 2030 तक वह 108 लाख करोड़ रुपये तक का निर्यात कर सकेगा। इसलिए यह समझौता सिर्फ व्यापारिक समझौता भर नहीं है बल्कि इसमें अमरीका के लिए एक राजनीतिक संदेश भी छिपा है कि उसके आसानी से विकल्प तलाशे जा सकते हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर