शताब्दी समारोह संबंधी विवाद
इस वर्ष नवम्बर मास में श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी शताब्दी संबंधी हर तरफ भारी उत्साह देखा जा रहा है। प्रत्येक संस्था अपने-अपने ढंग-तरीके से गुरु साहिब की महान शहादत को नमन करने के लिए कार्यक्रम बना रही है। पंजाब और देश-विदेश में भी इस दिवस के प्रति उत्साह दिखाई देता है। भिन्न-भिन्न प्रदेशों की गुरुद्वारा कमेटियों द्वारा भी इस संबंध में बयान दिए गए हैं। दिल्ली में भी इस ऐतिहासिक दिवस के लिए सिख संस्थाओं और अन्य संस्थानों द्वारा इस दिवस को प्रभावशाली ढंग से मनाने के लिए तैयारी की जा रही है। दिल्ली में ही गुरु साहिब की शहादत हुई थी। वहां उनकी याद में ऐतिहासिक अस्थानों पर गुरुद्वारा साहिब सुशोभित हैं, जिनमें हज़ारों लोग प्रतिदिन अपनी श्रद्धा के पुष्प अर्पित करते हैं। श्री आनंदपुर साहिब भी गुरु जी की कर्म भूमि रही है। इसी धरती से ही वह अपने वचन को पूरा करने के लिए दिल्ली को रवाना हुए थे। पांच वर्ष तक उन्होंने बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश की भावपूर्ण यात्राएं की थीं।
कुछ वर्ष पहले दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले में, जो कभी म़ुगल साम्राज्य का केन्द्र बिन्दू रहा, में भी गुरु साहिब की याद में समारोह करवाए गए थे, जहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी अ़कीदत के पुष्प भेंट किए थे। इस बार इस शहीदी दिवस को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी भी कई स्तरों पर मनाने की तैयारी कर रही है और इसके लिए उसने भिन्न-भिन्न समयों पर किए जाने वाले समारोहों का विवरण भी प्रकाशित किया है। अब पंजाब सरकार ने भी इस ऐतिहासिक बलिदान की याद में अपने स्तर पर नवम्बर मास में समारोह करवाने की घोषणा की है और प्रदेश भर में 19 से 25 नवम्बर तक उसकी ओर से क्रमवार समारोह आयोजित किए जाएंगे। सरकार द्वारा ही आनंदपुर साहिब में 23 नवम्बर से 25 नवम्बर तक समारोह करवाने के विवरण प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें अन्तर-धर्म सम्मेलन और कीर्तन दरबार करवाने के साथ-साथ आनंदपुर साहिब में सड़कों की मुरम्मत, इमारतों पर रंग करने और पूरे शहर में रौशनी करने के लिए विशेष प्रबन्ध किए जा रहे हैं।
इस संबंध में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रधान हरजिन्दर सिंह धामी ने यह कह कर आपत्ति प्रकट की है कि पंजाब सरकार भिन्न समारोह करके टकराव वाला माहौल पैदा करने का यत्न कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इन समारोहों का क्रम, इस वर्ष अप्रैल में गुरु साहिब के प्रकाश अस्थान गुरुद्वारा गुरु के महल में किए गए समारोहों से शुरू हो चुका है। वैसे शिरोमणि कमेटी की ओर से भी आनंदपुर साहिब में 23 नवम्बर से 25 नवम्बर के दौरान इस संबंध में समारोह निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने यह दोष भी लगाया है कि सरकार जानबूझ कर पंथ की प्रतिनिधि संस्था, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी को दृष्टिविगत करने और शहीदी शताब्दी के अवसर का राजनीतिक लाभ लेने की फिराक में है। उन्होंने यह भी कहा कि सिख इतिहास से संबंधित शताब्दियों के समारोह शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व में खालसा पंथ ही स्वयं करता रहा है। इस संबंध में श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने भी सरकार द्वारा करवाए जाने वाले समारोहों पर आपत्ति प्रकट की है। इस पर प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा कहा गया है कि इन शताब्दी समारोहों पर किसी का एकाधिकार नहीं है और गुरु साहिब सभी के सांझे हैं। और भी कई संस्थाएं ऐसे समारोह मना रही हैं। इसे लेकर शिरोमणि कमेटी और सरकार एक तरह से टकराव की स्थिति में आई दिखाई दे रही हैं।
जहां तक शिरोमणि कमेटी का संबंध है, मौजूदा यह कमेटी बहुत वर्ष पहले अपनी अवधि पूरी कर चुकी है, परन्तु लगातार इसके चुनावों में देरी होने के कारण यह अपना कामकाज ज़रूर चला रही है। विगत अवधि में यह संस्था अनेक तरह के विवादों में भी घिरी रही है। यहां तक कि तख़्तों के सिंह साहिबान संबंधी इसकी कार्यकारिणी द्वारा की गई कार्रवाइयों को भी सिख पंथ की ओर से अब तक पूर्ण रूप से मान्यता नहीं दी गई, अपितु प्रतिदिन इसके कामकाज की ज्यादातर सिख संस्थाओं और निहंग सिंह संगठनों की ओर से कड़ी आलोचना होती रही है और यह भी कि इस संस्था पर कुछ एक व्यक्तियों ने अपना एकाधिकार जमाया हुआ है। ऐसी स्थिति में शिरोमणि कमेटी द्वारा महान शहीदी पर्वों संबंधी स्वयं को ही प्रतिनिधि संस्था बताने की बात समूचे पंथ की समझ से बाहर है।
हम पंजाब सरकार और शिरोमणि कमेटी के प्रबन्धकों को यह अपील करते हैं कि वे आपस में विचार-विमर्श करके यह समारोह एक-स्वर होकर करवाएं। इसी से ही गुरु साहिब को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द