बलोचिस्तान को ‘तेल युद्ध’ का मैदान बना रहा है पाक 

अमरीका ने बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और उससे जुड़ी मजीद ब्रिगेड को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। इससे पहले पाकिस्तान के तेल भंडार को विकसित करने के लिए अमरीका पहले ही समझौता कर चुका है। बलोचिस्तान में पाकिस्तान का तेल और गैस भंडार है जिसका नए सिरे से दोहन करने की तैयारी बताई जा रही है। बीएलए अपने इस इलाके के आर्थिक शोषण का लम्बे समय से विरोध करता रहा है।
अमरीका ने पाकिस्तान की मुराद पूरी कर दी है। उसने बीएलए और मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इसकी घोषणा 11 अगस्त, 2025 को अमरीकी विदेश मंत्री मार्का रूबियो ने की। अमरीका अब इन संगठनों की हर गतिविधि पर प्रतिबंध लगा देगा। अमरीका स्थित संगठन के सदस्यों की संपत्तियों को ज़ब्त कर सकता है। अमरीकी विदेश विभाग के मुताबिक यह कदम आतंकवाद पर अमरीकी सख्ती को दिखाता है। दरअसल बलोच विद्रोहियों पर कार्रवाई करने की मांग पाक आर्मी चीफ  ने विश्व समुदाय से की थी। अमरीकी आतंकवाद के टैग को खारिज करते हुए बलूच समूहों ने इसे आत्मनिर्णय की लड़ाई बताया है क्योंकि ट्रम्प के पाकिस्तान तेल समझौते से इस क्षेत्र में अमरीका की और अधिक भागीदारी की आशंका बढ़ गई है जो पहले से ही संसाधन दोहन और राजनीतिक अशांति से ग्रस्त है। 
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में पाकिस्तान के ‘तेल भंडार’ को संयुक्त रूप से विकसित करने के लिए इस्लामाबाद के साथ एक नए व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह घोषणा भारतीय आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त दंड के पहले दौर की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद हुई थी। दिलचस्प बात यह है कि ट्रम्प ने दावा किया कि किसी दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेच सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ट्रम्प ने कहा, ‘हमने अभी-अभी पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत पाकिस्तान और अमरीका अपने विशाल तेल भंडार को विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे। कौन जाने, शायद वे किसी दिन भारत को भी तेल बेचेंगे।’
बलोचिस्तान वह इलाका है जो पाकिस्तान को ईरान और अफगानिस्तान से जोड़ता है। बलोचिस्तान को अलग देश बनाने की मांग होती रही है, और हो रही है। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा हिस्सा है। पाकिस्तान में बलोचों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता रहा है। 
पाकिस्तानी सेना की दमनकारी नीति, आर्थिक और सामाजिक शोषण की वजह से बलोचिस्तानी की आज़ादी की मांग को लेकर बलोच लिबरेशन आर्मी का गठन किया गया। इससे जुड़ा माजिद ब्रिगेड भी है। 1948 में पाकिस्तान ने इस प्रांत को जबरन अपने में मिला लिया था। 2023 की जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान की आबादी करीब 24 करोड़ है, लेकिन बलोचिस्तान की आबादी मात्र 1.5 करोड़ है। बलोचों की माने तो पाकिस्तानी सरकार ने अब तक सिर्फ इस प्रांत को लूटा है और स्थानीय लोगों की उपेक्षा की है। खनिज से भरपूर इस प्रांत में कोयला, सोना, तांबा, गैस की बहुतायत है। फिर भी पाकिस्तान का यह सबसे गरीब इलाका है। आज भी पाकिस्तान की सबसे बड़ी बंदरगाह ग्वादर इसी क्षेत्र में है। यह क्षेत्र चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी के लिए बेहद अहम है।
 बलोचिस्तान के सुई इलाके में 1950 के ही दशक में गैस का पता चला था। इस गैस की लूट मचा दी गई। पाकिस्तान ने बलोचिस्तान में इस गैस की सप्लाई नहीं दी बल्कि पंजाब और सिंध तक पहुंचाई। यहां तक कि 1990 का दशक आते-आते यह गैस लगभग खत्म हो गई। इसके बाद पाकिस्तान के शासकों ने बलोचिस्तान में ज़मीन बेच दी। वर्तमान में बलोचिस्तान की ग्वादर बंदरगाह और एयरपोर्ट चीन के अधीन हैं। स्थानीय लोग इसका विरोध करते हैं। बलोचिस्तान में अयस्क और खनिज भरे हुए हैं। पाकिस्तान ने यह भी चीन को लगभग बेच दिए हैं। इससे भी बलोच लोगों में गुस्सा है। बलोचिस्तान में स्कूल, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पाकिस्तान ने नहीं पहुंचाई हैं। ऐसे में विद्रोह के लिए लोग मजबूर हो रहे हैं। बलोच महिलाएं भी इस विद्रोह में शामिल हैं। पाकिस्तान द्वार कब्जा कर लिए जाने के बाद से ही बलोच अलग राष्ट्र की स्थापना के लिए संघर्षरत रहे हैं। 
बलोचिस्तान में विद्रोह को दबाने के लिए पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शन करने वाले निर्दाष बलोचों पर हवाई हमले किए। उन पर गोलियां बरसाईं। 2006 में बलूच के बड़े नेता नवाब अकबर बुगती की हत्या करवा दी गई। इसके बाद बलोच और भी भड़क गए। पाकिस्तानी शासक ने बीएलए पर प्रतिबंध लगा दिया।  बीएलए प्रतिबंध के बावजूद पूर्ण स्वतंत्रता की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा है। 
बीएलए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी सीपीईसी का विरोधी है। संगठन का मानना है कि यह आर्थिक शोषण के लिए बनाया गया है।  जानकारों की माने तो अमरीका का बलोचिस्तान में आना चीन कैसे बर्दास्त करेगा। वह अपने वर्चस्व के लिए नई चाल चलेगा यानी बलोचों के हमले पाकिस्तानी सेना पर होते रहेगें। (अदिति)

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