उप-राष्ट्रपति चुनाव : सीपी राधाकृष्णन होंगे एनडीए के प्रत्याशी
जगदीप धनकड़ के अचानक इस्तीफे के बाद अटकलों का बाज़ार गर्म था कि अगला उप-राष्ट्रपति कौन होगा और क्या उसका संबंध आरएसएस से होगा? आखिरकार इन बातों पर विराम लग गया है। भाजपा ने वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उप-राष्ट्रपति का प्रत्याशी बनाया है, जिनका आरएसएस से पांच दशक से भी अधिक का संबंध है। राधाकृष्णन की जीत मात्र औपचारिता प्रतीत हो रही है; क्योंकि संसद में भाजपा व एनडीए में उसके सहयोगी दलों के पास 427 सांसद हैं, जबकि ज़रूरत केवल 392 की है। शायद इसीलिए भाजपा चाहती है कि बतौर उप-राष्ट्रपति राधाकृष्णन का चयन सर्वसम्मति से हो जाये यानी विपक्ष मुकाबले पर अपना कोई उम्मीदवार न उतारे लेकिन इस समय जो देश में राजनीति चल रही है उसे देखते हुए लगता है कि प्रतीकात्मक चुनाव के लिए विपक्ष अपना प्रत्याशी मैदान में उतार सकता है। खबरें ऐसी भी हैं कि विपक्ष अपना विरोध जताते हुए इस चुनाव में हिस्सा ही न ले। वैसे औपचारिक रूप से विपक्ष ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।
चन्द्रपुरम पोन्नुसामी (सीपी) राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्तूबर 1957 को त्रिउप्पुर, तमिलनाडु में सीके पोन्नुसामी (पिता) व के जानकी (माता) के घर में हुआ था। उनका संबंध कोंगु वेल्लालर गौंडर समुदाय से है, इसका अर्थ यह है कि अगर उनका चयन हो जाता है, जिसकी प्रबल संभावनाएं हैं, तो वह जगदीप धनकड़ (जाट) के बाद देश के दूसरे ओबीसी उप-राष्ट्रपति होंगे और तमिलनाडु से इस पद पर बैठने वाले तीसरे व्यक्ति होंगे। एस. राधाकृष्णन व आर. वेंकटरमण के बाद। अपनी जवानी में राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन थे और थूठुकुदी, तमिलनाडु के वीओ चिदंबरम कॉलेज से उनके पास बीबीए (बैचलर ऑ़फ बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन) की डिग्री है। राधाकृष्णन जब 17 साल के थे तभी से वह आरएसएस और भारतीय जनसंघ (बाद में भाजपा) से जुड़े हुए हैं। राधाकृष्णन का राजनीतिक कॅरियर लम्बा रहा है। वह 1974 में जनसंघ की तमिलनाडु इकाई की एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य चुने गये? उन्होंने तमिलनाडु में भाजपा व अन्ना द्रमुक के बीच चुनावी गठजोड़ कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और इस समझौते की बदौलत तमिलनाडु में पहली बार भाजपा के जो तीन प्रत्याशी चुनाव जीते उनमें से एक राधाकृष्णन स्वयं थे। तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष (12 मई 2003 से 22 सितम्बर 2006) रहे राधाकृष्णन ने कोयंबटुर लोकसभा सीट को 1998 में 150,000 से भी अधिक मतों से जीता, लेकिन 1999 में उनका जीत का अंतर घटकर 55,000 रह गया और इस सीट से वह 2014 व 2019 में चुनाव हार गये। तमिलनाडु भाजपा का अध्यक्ष रहते हुए राधाकृष्णन ने 93 दिन की 19,000 किमी लम्बी रथ यात्रा निकाली, जिसमें उन्होंने भारतीय नदियों को जोड़ने, छुआछूत को खत्म करने और भारत में आतंकवाद के विरुद्ध अभियान चलाने की वकालत की।
बहरहाल, 12 फरवरी, 2023 को राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और टी. सौंदर्यराजन के इस्तीफे के बाद उन्हें 19 मार्च, 2024 को तेलंगाना के राज्यपाल और पोड्डुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया। इसके बाद 27 जुलाई 2024 को राधाकृष्णन को महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त किया गया। अब 17 अगस्त, 2025 को भाजपा ने राधाकृष्णन को अपना उप-राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाया है। भाजपा का कहना है कि राधाकृष्णन का सर्वसम्मति से चयन कराने के लिए उसने पिछले सप्ताह विपक्षी दलों से बात की है और वार्ता जारी रहेगी। विपक्षी दल अगर राधाकृष्णन के नाम पर सहमत नहीं भी होते हैं, तो भी उनका उप-राष्ट्रपति बनना लगभग तय ही है, क्योंकि एनडीए के पास पर्याप्त संख्या बल है। अगर राधाकृष्णन के व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उन्होंने 25 नवम्बर, 1985 को आर सुमाथि से शादी की और उनके दो बच्चे हैं। वह लायंस क्लब इंटरनेशनल के सदस्य हैं और उन्हें क्रिकेट व वॉलीबॉल खेलने के अतिरिक्त दौड़ना पसंद है, जबकि अपने कॉलेज के दिनों में वह टेबल टेनिस चैंपियन थे।
दरअसल, राधाकृष्णन को अपना उप-राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाकर भाजपा एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास कर रही है। एक, आरएसएस को उसकी पसंद का उप-राष्ट्रपति देकर भाजपा आलाकमान ने अपने लिए पार्टी का अध्यक्ष पद आरक्षित कर लिया है। आरएसएस जेपी नड्डा के केंद्र में मंत्री बनाये जाने के बाद से ही इस बात पर बल दे रहा था कि उसकी पसंद के व्यक्ति को भाजपा का अध्यक्ष बनाया जाये और इस सिलसिले में संजय जोशी का नाम बार-बार आगे बढ़ाया जा रहा था। भाजपा आलाकमान को यह स्वीकार नहीं था, इसलिए नड्डा ही अध्यक्ष बने हुए थे। इस गतिरोध को दूर करने के लिए रास्ता यह निकाला गया कि उप-राष्ट्रपति पद पर आरएसएस की पसंद के व्यक्ति को आसीन कर दिया जाये और भाजपा अध्यक्ष पद को भाजपा आलाकमान (नरेंद्र मोदी व अमित शाह) की पसंद पर छोड़ दिया जाये, जो किसी भी सूरत में यह नहीं चाहते कि पार्टी पर उनकी पकड़ ढीली पड़े। जगदीप धनकड़ से इस्तीफा कराने की यही प्रमुख वजह थी। धनकड़ भी इस बात को समझते थे, इसलिए आरएसएस का सदस्य न होते हुए भी वह इस संगठन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते रहते थे, इस उम्मीद में कि संघ की तरफ से उनका कोई विरोध न हो लेकिन उनकी यह रणनीति कुछ काम न आयी और राजनीतिक बिसात पर उनकी कुर्बानी दे दी गई। प्रधानमंत्री ने लाल किले से स्वतंत्रता दिवस पर जो आरएसएस की तारीफ की उसे इसी पृष्ठभूमि में समझना चाहिए कि भाजपा आलाकमान व आरएसएस के बीच ‘समझौता’ हो गया है, वर्ना इससे पहले नड्डा व अन्य नेता खुलकर कह रहे थे कि भाजपा को संघ की ज़रूरत नहीं है। बहरहाल, नामांकन भरने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। उप-राष्ट्रपति का चुनाव रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की निगरानी में होगा और संसदीय मामलों के मंत्री किरण रिजीजू पोलिंग एजेंट होंगे। अगर विपक्ष भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारता है, तो 9 सितम्बर को मतदान होगा।
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