हंगामे की बजाय ठोस नीति की ज़रूरत
पिछले काफी समय से कांग्रेसी नेता राहुल गांधी लगातार भारतीय चुनाव आयोग और भाजपा के आपस में मिले होने का सार्वजनिक रूप में आरोप लगाते रहे हैं। इस 31 जलाई को कर्नाटक की महादेवपुरा सीट को लेकर उन्होंने एक लाख वोट चोरी होने का आरोप भी लगाया है। सूचियों का जो विस्तार सार्वजनिक किया गया है, उस संबंधी चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा है कि यह सूचियां चुनाव आयोग की नहीं हैं परन्तु राहुल गांधी इस मामले पर लगातार हमलावर रुख अपना रहे हैं। अब उन्होंने बिहार में ‘वोट अधिकार यात्रा’ भी शुरू कर दी है और बार-बार यह फिर आरोप लगाया है कि बिहार में वोटर सूचियों के विशेष संशोधन द्वारा आयोग वोटें चोरी करने की साज़िश रच रहा है। ऐसे संशोधन में लाखों ही अधिकारी और कर्मचारी लगे हुए हैं। इतने विशाल प्रबंध में वोटें चोरी किए जाने की कोई सम्भावना नहीं हो सकती। राहुल गांधी लोकसभा में एक ज़िम्मेदारी वाला फज़र् निभा रहे हैं। उनको अपनी हर बात सोच समझ कर और तथ्यों सहित रखने के साथ-साथ संवैधानिक प्रक्रिया को भी ध्यान में रखना चाहिए।
पिछले विधानसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत हुई थी और पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें तीन गुणा बढ़ गई थीं और भाजपा की सीटें पहले से कम हो गई थीं और उनको सरकार बनाने के लिए अन्य पार्टियों का सहारा लेना पड़ा था। भारतीय चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है। यदि किसी पार्टी या नेता को किसी भी चुनाव क्षेत्र में कोई शिकायत होती है तो उसके द्वारा लिखित रूप में आयोग के पास शिकायत की जानी चाहिए या आयोग के सदस्यों को मिलकर हुई गलती या किए गए घोटाले की जानकारी देनी चाहिए। राहुल ने यह संवैधानिक रास्ता अपनाने के स्थान पर सार्वजनिक मंचों को चुना है या महज इस संबंध में बयानबाज़ी की है, जबकि किसी भी अन्य विपक्षी पार्टी या उसके नेता ने आयोग के पास मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की कोई विस्तारपूर्वक शिकायत नहीं की, परन्तु सरकार से अपना विरोध जताने के लिए कुछ विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर गलियों तथा बाज़ारों में प्रदर्शन करने की नीति पर चलते हुए लगातार ऊंची आवाज़ में ऐसी बयानबाज़ी करके राजनीतिक लाभ लेने का यत्न करती दिखाई दे रही हैं। इस संबंध में अब चुनाव आयोग ने एक प्रैस कांफ्रैंस में अपना स्पष्टीकरण दिया है और वोट चोरी करने के आरोपों को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण कहा है तथा बिहार मतदाता सूचियों संबंधी पूरी दृढ़ता से यह कहा है कि उनकी ओर से किया जा रहा यह कार्य पूरी तरह सही एवं पारदर्शी है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मतदाता सूची बारे लगाए गए आरोपों को पूरी तरह झूठे और निराधार कहा है और यह भी कि राहुल गांधी ने महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र की जो सूची दिखाई है, वह आयोग की नहीं है। उन्होंने फिर दोहराया कि राहुल इस संबंध में लिखित रूप में उन्हेें इस दिखाई गई रिपोर्ट की प्रति दें, यदि उन्होंने लिखित रूप में 7 दिन के भीतर ऐसी सूची नहीं भेजी तो उनके ये आरोप निराधार माने जाएंगे। ज्ञानेश कुमार ने यह भी कहा कि राहुल लगातार देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्न-चिन्ह खड़े कर रहे हैं। इस संबंध में आयोग मूकदर्शक नहीं बन सकता और यह भी कि कोई झूठ यदि बार-बार बोला जाए तो वह सच नहीं बन जाता। उन्होंने यह भी कहा कि कानून के अनुसार यदि समय पर मतदाता सूचियों की गलतियों को साझा नहीं किया जाए और मतदाताओं द्वारा अपने उम्मीदवार चुनने के 45 दिनों के भीतर यदि उच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर न की जाए तो समय व्यतीत हो जाने के बाद वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति द्वारा नहीं किया जाना चाहिए।
हम समझते हैं कि राहुल गांधी ऐसा हंगामा करके लोगों को भ्रमित करने का ही यत्न कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि इसके निपटान के लिए सर्वोच्च न्यायालय अपनी भूमिका अदा करे ताकि सही संदर्भ में पूरी स्थिति स्पष्ट हो सके।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द