टीचर्स-डे क्यों मनाया जाता है ?

‘दीदी, हमारे देश में टीचर्स डे 5 सितम्बर को ही क्यों मनाया जाता है?’
‘दरअसल, हमारे देश के दूसरे राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर को हुआ था। जब वह राष्ट्रपति बने तो उन्होंने सुझाव दिया कि उनके जन्मदिन को टीचर्स डे के रूप में मनाया जाये।’
‘उन्होंने यह सुझाव क्यों दिया?’
‘एस. राधाकृष्णन शिक्षा व उसकी सकारात्मक परिवर्तन शक्ति के ज़बरदस्त समर्थक थे। उनका मानना था कि युवा दिमागों को दिशा देने व समाज को बेहतर बनाने में अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वह जीवनभर स्वयं समर्पित अध्यापक व दार्शनिक रहे और वह विभिन्न विश्वविद्यालयों में उच्च पदों पर रहे।’
‘वह किन विश्वविद्यालयों से जुड़े रहे?’
‘मुख्य रूप से मैसूर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से।’ 
‘वैसे सरकार ने उनके जन्मदिन को टीचर्स डे के रूप में मान्यता क्यों दी?’
‘इसके अनेक कारण हैं। एक तो एस राधाकृष्णन स्वयं अति सम्मानित दार्शनिक, शिक्षाविद व स्टेट्समैन थे। वह अध्यापकों को समाज की रीढ़ मानते थे। वह अध्यापकों के सम्मान व मूल्यों के महत्व पर यह कहते हुए बल देते थे कि अध्यापकों का प्रेम अर्जित किया जाना चाहिए, उसकी मांग नहीं करनी चाहिए। इससे भी अहम बात यह है कि एस राधाकृष्णन का शिक्षा के क्षेत्र में ज़बरदस्त योगदान है, जिसे स्वीकार करते हुए उनके जन्मदिन को टीचर्स डे के रूप में मनाने का फैसला किया गया।’
‘टीचर्स डे मनाया किस तरह से जाता है?’
‘इस दिन स्कूलों व शिक्षा संस्थानों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, अध्यापकों की कड़ी मेहनत व समर्पण को स्वीकार करते हुए।’
‘क्या किसी अन्य देश में भी टीचर्स डे मनाया जाता है?’
‘दरअसल, दुनियाभर में वर्ल्ड टीचर्स डे 5 अक्तूबर को मनाया जाता है, जिसका हर साल एक अलग थीम होता है।’
‘वर्ल्ड टीचर्स डे 2025 का थीम क्या है?’
‘टीचर्स लीडिंग इन क्राइसिस, रीइमेजिनिंग द फ्यूचर, जिसका अर्थ है कि भविष्य की पुन: कल्पना करते हुए अध्यापक संकट में भी नेतृत्व करते हैं। यह थीम अध्यापकों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है कि वह किस तरह अनजानी चुनौतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शिक्षा के भविष्य को दिशा देते हैं।’-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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