सेमीकंडक्टर क्षेत्र में मज़बूत केन्द्र बन कर उभरेगा भारत
शुरुआती दिनों में कंप्यूटर भारी-भरकम मशीनें हुआ करती थीं, जो लगभग एक कमरे के आकार जितनी होती थीं। उनमें हज़ारों वैक्यूम ट्यूब लगती थीं, जो उस समय ‘ऑन-ऑफ’ स्विच की तरह काम करती थीं। वे आज के आधुनिक और आकर्षक उपकरणों की बजाए पुराने टेलीफोन एक्सचेंज जैसे दिखते थे। आज समय बदल चुका है। अब अरबों ट्रांजिस्टर वाले, एक नाखून से भी छोटे चिप में कहीं अधिक शक्ति समाई हुई है। ये चिप आपके मोबाइल फोन, कार, ट्रेन, फ्रिज, टीवी, स्कूटी, फैक्ट्री मशीनों, हवाई जहाज़ों को चलाते हैं और अंतरिक्ष में उपग्रहों को भी दिशा दिखाते हैं। ये इतने छोटे हो गए हैं कि अब आपकी उंगली में पहनी जाने वाली स्मार्ट रिंग में भी फिट होकर आपके दिल की सेहत तक नाप सकते हैं। यही तो सेमीकंडक्टर का जादू है।
विकास का इंजन : किसी भी राष्ट्र की तरक्की के लिए ज़रूरी है कि वह अपने विकास के प्रमुख क्षेत्रों में महारत हासिल करे। इन प्रमुख क्षेत्रों में स्टील, बिजली, दूरसंचार, रसायन और परिवहन शामिल हैं। सेमीकंडक्टर भी एक ऐसा ही अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है। जिस तरह से स्टील के बिना कारखाने, पुल और रेल मार्ग नहीं बन सकते, उसी तरह से सेमीकंडक्टर के बिना डिजिटल अर्थव्यवस्था संभव नहीं है। इनके बिना आधुनिक संचारए डेटा प्रोसेसिंग, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा या सुरक्षित रक्षा प्रणाली की कल्पना नहीं की जा सकती। जो देश सेमीकंडक्टर का डिज़ाइन और उत्पादन नहीं कर सकता, वह स्वास्थ्य से लेकर सुरक्षा तक अपनी आवश्यक सेवाओं के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है। इसलिए सेमीकंडक्टर में मज़बूती पाना सिर्फ उद्योग की बात नहीं है, बल्कि अपने भविष्य को आकार देने का भी सवाल है।
रणनीतिक और वैश्विक राजनीतिक ज़रूरत : कोविड-19 महामारी के समय जब चिप की ग्लोबल सप्लाई चेन डगमगाई तो तमाम उद्योगों का उत्पादन प्रभावित होने से अरबों का नुकसान हुआ। सबसे ज़्यादा असर ऑटोमोबाइल, नेटवर्किंग डिवाइस और कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स पर पड़ा। आज सेमीकंडक्टर वैश्विक राजनीति के केंद्र में हैं। चिप बनाने का काम अभी सिर्फ कुछ गिने-चुने देशों में ही होता है। इसलिए ज़रा-सी रुकावट पूरी दुनिया को प्रभावित कर सकती है। कहीं बिजली गुल हो जाए या किसी फैक्ट्री में हादसा हो जाए, तो सप्लाई ठप पड़ सकती है और उद्योग, अर्थव्यवस्था व सुरक्षा सब प्रभावित हो जाते हैं। हाल में रेयर अर्थ मैग्नेट पर बढ़ता ध्यान हमें याद दिलाता है कि किस तरह महत्वपूर्ण संसाधनों पर नियंत्रण वैश्विक शक्ति का स्वरूप तय करता है। उसी तरहए सेमीकंडक्टर भी आज के डिजिटल युग का सबसे अहम संसाधन बन चुके हैं।
भारत की ताकत : भारत की असली ताकत उसके लोग हैं। इस ताकत का सही उपयोग करने के लिए नीतियां और निवेश बेहद ज़रूरी हैं। भारत के पास आज वैश्विक सेमीकंडक्टर डिज़ाइन कार्यबल का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा है। अनुमान है कि अगले दशक की शुरुआत तक दुनिया को 10 लाख से ज़्यादा सेमीकंडक्टर प्रोफेशनल्स की कमी होगी। भारत इस कमी को पूरा करने की तैयारी कर रहा है।
सरकार के सपोर्ट से स्टार्टअप्स भारत के चिप डिज़ाइन इकोसिस्टम को नई ऊर्जा दे रहे हैं। माइंडग्रोव टेक्नोलॉजी ऐसी आईओटी चिप्स बना रही हैए जो आईआईटी मद्रास में विकसित किए गए स्वदेशी ‘शक्ति प्रोसेसर’ पर आधारित हैं। नेत्रसेमी नामक स्टार्टअप ने हाल ही में 107 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड फंडिंग हासिल की है, जो अब तक भारत के डिज़ाइन स्पेस में सबसे बड़ा निवेश है। कई ऐसे स्टार्टअप सरकार की डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत विकसित हो रहे हैं।
सेमिकॉन इंडिया : भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बड़े विज़न का हिस्सा है। अब हम सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स और उपकरणों के निर्माण का इकोसिस्टम बना रहे हैं। इस साल 48 देशों से 500 से ज़्यादा ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर इसमें भाग ले रहे हैं जबकि पिछले साल केवल लगभग 100 नेता शामिल हुए थे। पूरी दुनिया हमारे दरवाज़े पर इसलिए आ रही है क्योंकि अनिश्चितताओं से जूझ रही दुनिया के लिए स्थिर भारत ही आशा की किरण है।
उत्पाद राष्ट्र : हमारा लक्ष्य भारत को उत्पाद राष्ट्र (प्रोडक्ट नेशन) बनाना है। हमारी सेमीकंडक्टर फैक्ट्रियों से निकलने वाले चिप न केवल भारत बल्कि दुनिया के टेलीकॉम, ऑटोमोबाइल, डाटा सेंटर, कंज़्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अहम क्षेत्रों की ज़रूरत पूरी करेंगे। आने वाले दशक में, जैसे-जैसे हमारी सेमीकंडक्टर इकाइयां विकसित होकर बड़े पैमाने पर उत्पादन करने लगेंगी, भारत पूरे सेमीकंडक्टर सेक्टर में एक मज़बूत और प्रतिस्पर्धी केंद्र बनकर उभरेगा।
-लेखक भारत सरकार के रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री हैं।



