बाढ़ प्रभावित ज़रूरतमंदों की सहायता के लिए आगे आएं

पंजाब तथा इसके पड़ोसी राज्यों हिमाचल, जम्मू-कश्मीर तथा उत्तराखंड में विगत कई दिनों से हो रही लगातार बारिश के कारण पैदा हुआ संताप कम होने की बजाय और भी बढ़ता दिखाई दे रहा है। बारिश अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही। इस कारण पहाड़ों से मैदानों की ओर पानी का बहाव बढ़ना लाज़िमी है। इसी कारण बांधों से भी अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। नि:संदेह उपरोक्त सभी राज्यों में लोगों का बहुत मानवीय तथा आर्थिक नुकसान हुआ है। इन राज्यों के आधारभूत ढांचे सड़कों, बांधों एवं पुलों तथा लोगों के घरों एवं व्यापारिक संस्थानों का भी व्यापक स्तर पर नुकसान हुआ है। 
यदि पंजाब की बात करें तो प्राप्त हुए ताज़ा समाचारों के अनुसार इसके प्रभावित हुए ज़िलों की संख्या 9 तक पहुंच गई है और 1300 से अधिक गांव पानी में डूब गए हैं। बाढ़ के कारण मरने वालों लोगों की संख्या भी दो दर्जन से अधिक हो गई है। स्थानीय प्रशासन के अतिरिक्त थल सेना, नौसेना, एनडीआरएफ  द्वारा बाढ़ में घिरे लोगों को सुरक्षित निकालने के निरन्तर यत्न किये जा रहे हैं। धांिर्मक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलग-अलग बाढ़ प्रभावित ज़िलों में बनाए गए कैम्पों में लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। जिन लोगों को अभी तक बाढ़ से प्रभावित गांवों से नहीं निकाला जा सका या वे अपने घरों की छतों पर बैठे हैं, उन तक भी राहत सामग्री पहुंचाने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा यत्न किये जा रहे हैं। अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि यह नुकसान 1988 में आई बाढ़ से भी अधिक व्यापक हो गया है। प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने तथा उनके पुनर्वास के लिए आगामी समय में सभी को मिल कर लम्बे समय तक यत्न करने पड़ेंगे। 
इसी दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के कारण हुए नुकसान का जायज़ा लेने के लिए केन्द्रीय टीमों का गठन करने की घोषणा की है। आगामी दिनों में गठित की गईं ये केन्द्रीय टीमें अलग-अलग राज्यों का दौरा करके हुए नुकसान संबंधी केन्द्र सरकार को रिपोर्टें देंगी। श्री अमित शाह ने स्वयं भी जम्मू-कश्मीर का दौरा करने की घोषणा की है। दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिख कर पंजाब सरकार के केन्द्र द्वारा अलग-अलग कारणों से पहले रोके गये 60,000 करोड़ के फंड, जिनमें ग्रामीण विकास फंड (आर.डी.एफ.), मार्किट विकास फंड (एम.डी.एफ.) तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के पैसे शामिल हैं, जारी करने की विनती की है। इससे पहले पंजाब भाजपा के अध्यक्ष श्री सुनील जाखड़ ने भी प्रधानमंत्री को पंजाब में बाढ़ से हुए नुकसान के दृष्टिगत केन्द्रीय टीमें भेजने तथा लोगों की सहायता करने के लिए एक पत्र भी लिखा था। 
इस संदर्भ में हमारा भी यह विचार है कि केन्द्र सरकार को पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड तथा जम्मू-कश्मीर में आई बाढ़ तथा इस कारण हुए भारी नुकसान को पूरी गम्भीरता से लेना चाहिए। इन राज्यों की सरकारों से सम्पर्क में रह कर प्रत्येक ढंग से इनकी सहायता करनी चाहिए। बेहतर यह होगा कि केन्द्र सरकार इन राज्यों में आई बाढ़ को राष्ट्रीय संकट घोषित करने का फैसला करे ताकि बाढ़ पीड़ित राज्यों को सहायता देने की राह में किसी भी तरह की कोई तकनीकी बाधा न आए और पीड़ित लोगों को अधिक से अधिक सहायता मिल सके। विगत दिवस हिमाचल विधानसभा ने भी सर्व-सम्मति से प्रस्ताव पारित करके ऐसी ही मांग की थी। 
इस समय बाढ़ प्रभावित लोगों को जहां प्रत्येक पक्ष से राहत तथा सहायता दिये जाने की ज़रूरत है, वहीं उनका मनोबल ऊंचा बनाए रखने के लिए भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा विशेष तौर पर बयान जारी करके प्रभावित लोगों को यह आश्वासन दिलाना चाहिए कि केन्द्र सरकार पूरी तरह उनके साथ है और हर सम्भव तरीके से उनकी मदद की जाएगी। ऐसा करना इसलिए बेहद ज़रूरी है क्योंकि सैकड़ों गांव जहां पानी में डूब गए हैं, वहां बहुत-से लोग अपना ज़रूरी सामान तथा पशु-धन भी बचा नहीं सके। उन्हें खाली हाथ वहां से निकलना पड़ा है। इस व्यापक नुकसान के कारण वे एक बार फिर लक्खां तों कक्खां के होकर रह गए हैं।
ऐसी स्थिति में फंसे लोगों की मानसिक्ता को वही समझ सकते हैं, जो इस संकट में से गुज़रते हैं। इसलिए लोगों को न सिर्फ प्रत्योक तरह की सहायता की ज़रूरत है, अपितु अपनत्व के एहसास से उनके हौसले को बढ़ाया जाना भी बेहद ज़रूरी है। यह अच्छी बात है कि अलग-अलग संस्थाओं तथा संस्थानों द्वारा लोगों को सहायता देने के लिए राहत फंड शुरू करने के फैसले किये गये हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि आगामी समय में भी न सिर्फ बाढ़ प्रभावित राज्यों के लोग, अपितु समूचे रूप में पूरा देश बाढ़ के कारण मुसीबत में फंसे लोगों की सहायता करने के लिए तत्पर रहेगा। संकट में घिरे अपने बहन-भाइयों के साथ एकजुटता दिखाते हुए खड़े होने का यह उचित अवसर है। 

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