अपने ही घर में घिरते जा रहे डोनाल्ड ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प एक व्यापारी हैं और अपनी इस मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं। सिर्फ सात महीनों के कार्यकाल में ही अपने फैसलों से वह न केवल विदेशों में बल्कि अपने ही देश में घिरते जा रहे हैं। बेशक वह एक व्यापारी हैं लेकिन वहां भी कोई बड़ी उपलब्धि उनके नाम नहीं है। वह केवल अपने पारिवारिक व्यापार को आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी वर्तमान हालत को देखते हुए कहा जा सकता है कि उन्हें न तो घरेलू राजनीति की समझ है और न ही वह वैश्विक राजनीति को समझ पा रहे हैं। अभी तक सिर्फ उनकी नीतियों को लेकर सवाल उठाया जा रहा था, लेकिन अब उनकी नीयत पर भी सवाल उठा दिया गया है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने डोनाल्ड ट्रम्प पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने पाकिस्तान के साथ अपने परिवार के व्यापारिक हितों के कारण भारत के साथ दशकों पुराने रिश्तों को खतरे में डाल दिया है ।
सुलिवन का कहना है कि ट्रम्प ने निजी फायदे के लिए विदेश नीति का दुरुपयोग किया है जो अमरीका के दीर्घकालिक हितों के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने इसे अमरीका के लिए बड़ा रणनीतिक दुस्साहस बताया है। भारत के प्रति उनकी बेरुखी और सख्ती पर यह आरोप सवालिया निशान लगाते हैं। भारत तो पहले ही पूरी दुनिया में यह बता रहा है कि वह अमरीका के खिलाफ कुछ नहीं कर रहा है, डोनाल्ड ट्रम्प ही बेवजह उसे निशाना बना रहे हैं। अभी तक तो यह माना जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रम्प अमरीकी हितों के लिए भारत को झुका कर समझौता करना चाहते हैं लेकिन जेक सुलिवन के आरोप कुछ और ही कहानी सुना रहे हैं । ऐसा नहीं है कि यह बात पहले नहीं कही गई है, लेकिन इस तरीके से खुलकर किसी प्रतिष्ठित अमरीकी ने ट्रम्पको निशाने पर नहीं लिया है।
यह आरोप उस समय लगाया गया है, जब पूरे अमरीकी मीडिया में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन की खबरें चल रही हैं। इस समय पूरा अमरीकी मीडिया डोनाल्ड ट्रम्प को खलनायक साबित करने पर लगा हुआ है। यह तब हो रहा है जब अमरीकी मीडिया को भारत विरोधी रवैये के लिए जाना जाता है। जेक सुलिवन ने कहा है कि भारत अमरीका का विश्वसनीय और मजबूत सहयोगी है, विशेष तौर पर तकनीक, प्रतिभा और आर्थिक क्षमता की दृष्टि से भारत महत्वपूर्ण देश है। उनका कहना है कि भारत के साथ मजबूत संबंध चीन और अन्य वैश्विक खतरों से निपटने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने कहा है कि ट्रम्प की नीतियों का असर केवल भारत तक सीमित नहीं है बल्कि उनकी नीतियों के कारण अमरीका के अन्य मित्र देशों में भी यह संदेश चला गया है कि अमरीका पर भरोसा करना जोखिम भरा कदम हो सकता है। देखा जाए तो उनकी इस बात में सच्चाई है क्योंकि जापान और आस्ट्रेलिया ने डोनाल्ड ट्रम्प की परवाह न करते हुए भारत से अपने संबंधों को बढ़ाने की बात कही है। यूरोपीय देश भी भारत से सहयोग बढ़ाने की बात कर रहे हैं जबकि ट्रम्प चाहते हैं कि यूरोपीय देश भारत पर अमरीका की तरह टैरिफ लगा दें ।
अमरीका के मशहूर अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर जॉन मियशीर्मर ने ट्रम्प प्रशासन की भारत नीति को बड़ी गलती माना है। उनका कहना है कि तेल खरीदने पर लगाए गए टैरिफ काम करने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि अमरीका के इस कदम से भारत के साथ रिश्तों को बड़ा नुकसान हुआ है और अब भारत अमरीका से दूर जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह हमारी बहुत बड़ी गलती है, यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर यहां क्या हो रहा है। उन्होंने ट्रम्प पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत के साथ मजबूत रिश्तों को कटु बना दिया है। उनका कहना है कि चीन को रोकना अमरीका की सबसे बड़ी प्राथमिकता है और इसमें भारत अहम साझेदार है। ट्रम्प के कारण भारत हमसे बहुत नाराज है, मोदी न सिर्फ रूस बल्कि चीन के भी करीब आ रहे हैं। उन्होंने इसके लिए ट्रेड सलाहकार नवारो को जिम्मेदार बताते हुए कहा है कि उनकी नीतियों का विपरीत असर हो रहा है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन का कहना है कि सोवियत संघ से नज़दीकी और चीन से बढ़ते खतरे के बावजूद पश्चिमी देशों ने भारत के साथ रिश्ते मज़बूत किए थे, लेकिन ट्रम्प के टैरिफ ने दशकों पुरानी सारी मेहनत बर्बाद कर दी है।
सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स, ब्लूमबर्ग समेत ज्यादातर अखबारों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ट्रम्प ने अमीरीका की 25 सालों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। अमरीकी मीडिया का कहना है कि ट्रम्प ने एक झटके में भारत को रूस और चीन के खेमे में खड़ा कर दिया है।
द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि ट्रम्प के बेमतलब फैसलों ने भारत को अमरीका से दूर कर दिया है। वॉल स्ट्रीट ने लिखा है कि ट्रम्प की नीतियों ने दुनिया को हिला दिया है। चीन इस मौके पर खुद को वैश्विक नेता के रूप में पेश कर रहा है। अमरीकी मीडिया का ट्रम्प के खिलाफ यह अभियान शायद ही उन्हें सोचने के लिए मजबूर करे। (युवराज)