प्रदेश की समूची त्रासदी के भागीदार

प्रदेश में आई विनाशकारी बाढ़ से पैदा हुए दु:खांत को कम करने के लिए सरकार सहित सभी वर्गों द्वारा अपने-अपने ढंग से योगदान डालने का यत्न मन को ढांढस बंधाने वाला है। आनंदपुर साहिब से कैबिनेट मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने आगामी दिनों में कम वर्षा होने के दृष्टिगत कुछ सन्तुष्टि व्यक्त करते हुए यह कहा है कि इस कठिन समय में कार सेवा वाले महापुरुष, धार्मिक शख्सियतें, समाज सेवी संगठन, पंच-सरपंच, यूथ क्लब और भारी संख्या में युवा राहत और बचाव कार्यों में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।  इसी तरह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रधान हरजिन्दर सिंह धामी ने कमेटी की ओर से योगदान हेतु दी जाने वाली बड़ी धन-राशि का घोषणा करते हुए यह कहा है कि प्रदेश का जितना नुक्सान हुआ है भाव फसलों, पशुओं और घरों के नुक्सान की पूर्ति  की जानी ज़रूरी है। इसके लिए इस बात का भी ध्यान रखा जाना ज़रूरी है कि राहत सामग्री स्थानीय लोगों की ज़रूरतों के अनुसार वितरित की जाए।
केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश का एक दिवसीय दौरा किया है। उन्होंने एक बार फिर कहा कि केन्द्र सरकार पंजाब की जनता और किसानों के साथ खड़ी है और यह भी कि अब योजनाबद्ध ढंग से पंजाब को इस संकट से बाहर निकालने के लिए छोटी, मध्यम और लम्बे समय की अनुकूल योजनाएं बनाने की ज़रूरत है। आगामी दिनों में प्रधानमंत्री भी पंजाब, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे प्रदेशों का दौरा कर रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा भेजी गई टीमें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के हुए नुक्सान का जायज़ा ले रही हैं। ज़िला कपूरथला के वे गांव जो पानी में घिर गए हैं, तक भी इन टीमों ने पहुंच करने का यत्न किया है। ये टीमें प्रदेश सरकारों के अलग-अलग विभागों के अधिकारियों के साथ बैठकें करके बाढ़ से हुए नुक्सान संबंधी जानकारी प्राप्त कर रही हैं। बाढ़ प्रभावित ज़िलों कपूरथला, ़फाज़िल्का, फिरोज़पुर और तरनतारन आदि में हुए नुक्सान का जायज़ा लेने के बाद ये प्रदेश के मुख्य सचिव के साथ भेंट भी कर रही हैं।
उम्मीद की जानी बनती है कि लगातार किए जा रहे इन सामूहिक यत्नों से पैदा हुए इस संताप को काफी सीमा तक कम करने में सफलता मिलेगी। इसी दौरान कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आई बाढ़ के लिए अवैध खनन को ज़िम्मेदार बताया है। जहां तक इस भयावह बाढ़ का संबंध है, बड़ी सीमा तक पहाड़ों में हुई भारी वर्षा और तूफान के कारण पानी का बहाव इस सीमा तक बढ़ गया, जिसका अनुमान नहीं     लगाया जा सकता। तीनों नदियां सतलुज, ब्यास और रावी के इस बढ़े हुए पानी को कम करने के लिए फ्लड गेट खोलने पड़े, जिसने मैदानी क्षेत्रों में एक तरह से तबाही ला दी। इस बार पहाड़ों के अतिरिक्त मैदानों में भी भारी वर्षा हुई, जिसने इस संताप को और भी बढ़ा दिया जिस कारण यह दु:खांत पैदा हो गया। केन्द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि पिछली केन्द्र और पंजाब की सरकारों के समय फसलों को बाढ़ से बचाने के लिए सतलुज, रावी, ब्यास और घग्गर नदियों के किनारों के बांध मज़बूत और ऊंचे किए गए थे परन्तु रेत के अवैध खनन के कारण वह कमज़ोर हो गए हैं। कुछ सीमा तक यह भी बाढ़ का एक कारण हो सकता है, परन्तु हम समझते हैं कि भारी वर्षा बाढ़ के लिए बड़ा कारण बनी है।
फिर भी जहां तक प्रदेश में अवैध खनन के कारण रेत की निकासी का संबंध है, हम इसके लिए पिछले लम्बे समय से, पहले अकाली-भाजपा सरकार, फिर कांग्रेस सरकार और अब आम आदमी पार्टी की सरकार, तीनों को ही दोषी मानते हैं। चाहे ये सरकारें दावे और वायदे कुछ भी करती रही हों परन्तु इनके लालच ने प्रदेश के मूलभूत ढांचे को बेहद कमज़ोर कर दिया है। दशकों से ़गैर-कानूनी रेत और बजरी की निकासी की बात प्रत्येक स्तर पर चलती रही है, परन्तु ये सभी सरकारें ही लालच के चलते इस काले धंधे को बंद नहीं करवा सकीं, अपितु इनके प्रत्येक स्तर पर राजनीतिज्ञ और कार्यकर्ता इस काले धंधे में  शामिल होते रहे।
हमारी सूचना के अनुसार आज भी इस दु:खांत के समय में यह धंधा जारी है। तत्कालीन सरकारों की कमियों और विफलताओं ने आज प्रदेश को प्रत्येक पक्ष से उस तबाही के किनारे ला खड़ा किया है, जिसमें से बच निकलने की उम्मीद नाउम्मीद में बदलती जा रही है। प्रदेश में पैदा हुई ऐसी त्रासदी के हल के लिए लोगों का किसी भी पार्टी पर ज्यादा विश्वास नहीं बन रहा। स्थिति यह है कि जैसे प्रदेश का कोई वारिस न हो। 

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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