पंजाब में जीवन को फिर पटरी पर लाना बड़ी चुनौती होगा
देश का अन्नपूर्णा प्रांत पंजाब वर्तमान में भयावह बाढ़ से जूझ रहा हैं। 1900 से अधिक गांव बाढ़ की ज़द में आ गए, घरों में कुछ नहीं बचा, खेतों में फसल बर्बाद हो गई। देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब के यह दुखद हालात केवल पानी उतरने तक ही सीमित नहीं हैं। पानी उतरने के बाद राज्य को पटरी पर लाने और प्रभावित लोगों का पुनर्वास एक बड़ी चुनौती होगी। इस राज्य की दिक्ततें और बढेंगे वाली हैं। अतीत में देखें तो जब-जब देश के किसी हिस्से में कोई आपदा आई तो प्रभावति लोगों के सहयोग के लिए सामान जुटाया तो उसमें से अधिकांश सामग्री लोगों के काम ही नहीं आई। भले ही देने वाले उनकी भावना अच्छी हो लेकिन यह जानने का कोई प्रयास नहीं किया गया कि वहां तत्काल किस चीज की ज़रूरत है और आने वाले महीनों या सालों में कब क्या अनिवार्य होगा।
पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब में नदियों-नालों में आये उफान के कारण तीन लाख एकड़ (लगभग 1.2 लाख हेक्टेयर) से ज्यादा फसली जमीन को नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा असर धान, मक्का, सब्जियां और अन्य खरीफ फसलों का नुकसान हुआ है। गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, जालंधर, फाज़िल्का, कपूरथला व आसपास के गांवों में घर, सड़कें और दुकानें पानी में डूब गई हैं। अब तक 40 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और तीन लाख 84 हज़ार से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। राज्य में हुई तबाही को देखते हुए बड़ी मात्र में इमदाद ज़रूरी है। कई हज़ार वर्ग किलोमीटर का इलाका ऐसा है जहां आने वाले लम्बे तक पानी व उसके साथ आई रेत व गाद जमा रहेगी। पानी में फंसे लोगों के लिए भोजन तो ज़रूरी है ही और उसकी व्यवस्था स्थानीय सरकार व कई संगठन कर रहे हैं। आरओ, बैटरी, इन्वर्टर व आम लोगों के लिए मोमबत्तियां व माचिस की वहां बेहद ज़रूरत है। कारण, वहां बिजली की सप्लाई सामान्य करने में देर लग सकती है। ऐसे में छोटे जनरेटर, इन्वर्टर बेहद अनिवार्य हैं। इसके अलावा पानी भरे इलाकों मेें किसी महामारी को रोकने के लिए फिनाइल, क्लोरीन पाउडर, मच्छर मारने के स्प्रे और क्रीम आदि की भी ज़रूरत होगी।
जब बारिश रुकेगी तो उन गलियों-मोहल्लों में भरे पानी को निकालना, कीचड़ हटाना, मृत पशुओं का निस्तारण करना और सफाई करना सबसे ज़रूरी कार्य होगा। इसके लिए तत्काल जरूरत है पानी के बड़े पम्पों की, जेसीबी मशीनों, टिप्परों व डम्परों की होगी। जब तक गंदगी, मलबा और पानी हटेगा नहीं, तब तक जीवन को फिर से पटरी पर लाना मुश्किल है। यह भी तय है कि किसी भी सरकारी सिस्टम में इतनी भारी व महंगी मशीनें तत्काल खरीदना संभव नहीं होता। इसके लिए समाज सेवी संगठनों और आम लोगों की सहायता की भी ज़रूरत भी पड़ेगी।
ऐसा नहीं है कि बड़ी व्यवस्थाएं जुटाने के लिए पीड़ित लोगों का ध्यान ही नहीं रखा जाए। हज़ारों लोग ऐसे भी होंगे जो विभिन्न बीमारियों से पीड़ित होंगे, जिन्हें नियमित दवाई लेनी होती है। इन लोगों के लिए उनकी नियमित ली जाने वाली दवाइयों का प्रबंध करना भी आवश्यक है। यदि हकीकत में ही कोई कुछ बड़ी मदद करना चाहता है तो दूरस्थ अंचलों में नव-निर्माण के लिए सीमेंट, लोहा जैसी निर्माण सामग्री के ट्रक भेजने के संकल्प लेना होगा। फिलहाल तो पंजाब के आंचलिक गांवों में लाखों लोग अपने घर से पूरी तरह विस्थापित हुए हैं। वहां के बाज़ार बह गए हैं। वाहन नष्ट हो गए हैं। ऐसे में हुए जान-माल के नुकसान के बीमा दावों का तत्काल व सही निपटारा भी उनके लिए एक बड़ी राहत हो सकती है। पानी उतरने पर पुनर्वास गंभीर समस्या होगी क्योंकि सरकारी राहत का पैसा बैंक खाते में जाएगा और उसी खाते में जाएगा जिनके पास आधार कार्ड है। इसके लिए कोई फार्म भरा जाएगा। जिसका सारा सामान बाढ़ में बह गया या नष्ट हो गया, उसके पास आधार तो होने से रहा, फिर जब भूख आज लगी है, ज़रूरत आज है तो राहत का एक महीने बाद मिला पैसा किस काम आएगा। ऐसे में लोगों को उनकी पहचान के कागज़ात उपलब्ध कराने के कार्य के लिए ढेर सारे स्वयं सेवकों को आगे आना होगा।
जब हालात कुछ सुधरेंगे तो स्कूल व शिक्षा की याद आएगी और तब पता चलेगा कि सैलाब में स्कूल को भी नुकसान पहंचा है, बच्चों के बस्ते, किताबें सब कुछ बह गया है। इस समय लाखों बच्चों को बस्ते, कापी-किताबों की ज़रूरत है। इस बार यदि त्योहारों पर बाढ़ प्रभावित बच्चों को तोहफे के रूप में में बस्ता, पुस्तकें, कापियां, टिफिन बाक्स, वाटर बोटल आदि जाएं तो उन्हें काफी राहत मिल सकती है। इसके साथ उनके पौष्टिक आहार के लिए बिस्किट, सूखे मेवे जैसे खराब न होने वाले खाद्य पदार्थ की व्यवस्था की जा सकती है।
यदि आवश्यकता के अनुरूप बाढ़ पीड़ितों को मदद न मिले तो यह उन लोगों के साथ अन्याय होगा। यह सही है कि हमारे यहां आज तक इस बात पर कोई दिशा-निर्देश बनाए ही नहीं गए कि आपदा की स्थिति में किस तरह की तात्कालिक तथा दीर्घकालिक सहयोग की आवश्यकता होती है। असल में यह कोई दान या मदद नहीं है, हम एक देश के नागरिक होने का अपना फज़र् अदा करने के लिए अपने संकट ग्रस्त लोगों के साथ खड़े होते हैं। ऐसे में यदि हम ज़रूरत के मुताबिक काम करें तो हमारा सहयोग सार्थक होगा।