हॉकी टीम की जीत के अर्थ

यदि भारतीय खेलों के इतिहास पर एक नज़र डाली जाए तो यह बात उभर कर सामने आती है कि देश में दशकों तक हॉकी एक बहुत लोकप्रिय खेल रहा है। खासतौर पर देश के विभाजन से पहले तो विश्व स्तर पर ही हॉकी को भारत का खेल समझा जाता था। इस संदर्भ में ध्यानचंद का नाम आज भी बहुत सम्मान से लिया जाता है। हॉकी में शुरुआत से लेकर वर्तमान समय में भी पंजाब के खिलाड़ियों की विशेष दिलचस्पी रही है और इसी कारण भारतीय हॉकी टीम में बड़ी संख्या में पंजाबी खिलाड़ी शामिल होते रहे हैं। भारतीय हॉकी टीम में जितना पंजाबी खिलाड़ियों ने अपने समय में अच्छा खेल दिखाया है, उनमें बलबीर सिंह सीनियर, अजीत पाल सिंह, सुरजीत सिंह, प्रिथीपाल सिंह, ऊधम सिंह और परगट सिंह आदि शामिल हैं। वर्तमान हॉकी टीम में भी 10 पंजाबी खिलाड़ी खेल रहे हैं परन्तु भारत हॉकी के खेल में विश्व स्तर पर अपना दबदबा निरंतर बना कर नहीं रख सका। इसके स्थान पर धीरे-धीरे देश में क्रिकेट का खेल लोकप्रिय होता गया और उसको व्यापारिक और औद्योगिक क्षेत्र का भी बड़ा समर्थन मिलने लगा है। आज क्रिकेट के खेल में विश्व स्तर पर भारत की टीम की विशेष पहचान है। नि:संदेह इसको भी भारत की बड़ी संख्या में जनसंख्या, खासतौर पर नौजवान बहुत पसंद करते हैं।
लेकिन धीरे-धीरे अब भारत की हॉकी टीम एक बार फिर न केवल देश में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी दोबारा से अपनी विशेष पहचान बनाती नज़र आ रही है। इस संदर्भ में ही बिहार के राजगीर खेल काम्पलैक्स में हॉकी एशिया कप के लिए हुए मुकाबले में भारतीय हॉकी टीम की कारगुज़ारी को देखा जा सकता है। इस हॉकी एशिया कप मुकाबले के फाईनल मैच में भारतीय हॉकी टीम ने दक्षिण कोरिया की टीम को 4-1 से हराकर चौथी बार एशिया कप जीता है और इस मैच की विशेष बात यह भी रही कि उसने पांच बार की विजेता दक्षिण कोरिया की टीम को हराया है। इस प्रकार भारतीय हॉकी टीम ने अगले वर्ष अगस्त में होने वाले विश्व कप के लिए भी क्वालीफाई कर लिया है। वर्णननीय है कि अगला विश्व हॉकी कप बैल्जियम और नीदरलैंड के मैदानों पर खेला जाएगा। यदि दक्षिण कोरिया के साथ एशिया कप के फाईनल मैच के हुए मुकाबले की बात करें तो भारत के लिए पहला गोल सुखजीत सिंह ने मैच शुरू होते ही कर दिया था। इसके बाद दिलप्रीत ने दो गोल किए और इस मैच के अंत में अमित रोहीदास ने टीम की ओर से चौथा गोल किया। पांच बार की चैम्पियन दक्षिण कोरिया की टीम सिर्फ एक गोल ही कर सकी। उसकी ओर से यह गोल उसके खिलाड़ी डैन सोन द्वारा किया गया। इस मैच में दोनों टीमों के खिलाड़ियों द्वारा दिखाये गये खेल पर एक नज़र डालें तो यह स्पष्ट नज़र आता है कि शुरू से लेकर अंत तक भारतीय हॉकी टीम ने अपना दबदबा बनाए रखा और दक्षिण कोरिया की टीम रक्षात्मक खेल खेलते हुए नज़र आई। इस फाइनल मैच में चाहे कप्तान हरमनप्रीत सिंह कोई गोल नहीं कर सके, परन्तु समूचे रूप में उन्होंने टीम का बेहतर नेतृत्व किया। इस टूर्नामैंट में समूचे रूप में भी भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतर रहा। उसने कुल 39 गोल किए और उसके खिलाफ दूसरी टीमें सिर्फ 9 गोल ही कर सकीं। इस प्रदर्शन के आधार पर भी अभी हम यह नहीं कह सकते कि भारतीय हॉकी टीम अपने पुराने रंग में लौट आई है। अभी इसे विश्व स्तर पर अपनी धाक जमाने के लिए लम्बा तथा कठिन सफर तय करना पड़ेगा, क्योंकि विगत दो ओलम्पिक खेलों 2020 तथा 2024 में इसे कांस्य के पदकों से ही संतोष करना पड़ा था। 2022 के एशियाई खेलों में यह टीम अवश्य स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही थी। 
भारतीय टीम की एशिया हॉकी कप में ताज़ा जीत पर टीम के मुख्य कोच क्रेग फुल्टोन ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस टूर्नामैंट में समूचे रूप में टीम का प्रदर्शन प्रशंसनीय रहा है। हमने अच्छी तैयारी की थी और अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आगामी समय में भारतीय टीम को सुल्तान अजलान शाह कप खेलना पड़ेगा और दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर भी जाना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त हॉकी टीम को हॉकी टीम इंडिया लीग तथा प्रो-लीग के मैच भी खेलने पडें़गे। उनके अनुसार आगामी 12 से 14 माह के दौरान ही हमें पता चलेगा कि हमारी हॉकी टीम कहां खड़ी है।
इस संदर्भ में हमारा भी यह विचार है कि देश में जिस स्तर पर क्रिकेट के खेल को व्यापारिक तथा औद्योगिक क्षेत्रों द्वारा समर्थन मिलता है, उसी स्तर पर हॉकी के खेल को भी मिलना चाहिए। हमारी केन्द्र सरकार तथा अलग-अलग राज्यों की सरकारों को भी इस खेल में विशेष रूप से दिलचस्पी लेनी चाहिए। हॉकी को पुन: आगे लेकर आने तथा लोकप्रिय बनाने में ओड़िशा की पिछली प्रदेश सरकार तथा विशेष रूप से नवीन पटनायक का विशेष योगदान रहा है। वह समूची भारतीय हॉकी टीम की ज़िम्मेदारी भी उठाते रहे हैं। एशिया हॉकी कप के अब बिहार में होने के कारण वहां की युवा पीढ़ी भी इस खेल की ओर काफी हद तक आकर्षित हुई है। हॉकी एशिया कप के दौरान व्यापक स्तर पर बिहार के युवा यह टूर्नामैंट देखने आते रहे हैं।   
हमारी केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों तथा हॉकी से जुड़ी खेल संस्थाओं को यह देखना चाहिए कि किस प्रकार विकसित देश हॉकी तथा अन्य खेलों के लिए अपने खिलाड़ियों को आरम्भ से ही तैयारी करवाते हैं और उन्हें खेल अभ्यास के लिए प्रत्येक तरह की सुविधा दी जाती है। इसके अतिरिक्त उनकी खुराक तथा उनके आर्थिक भविष्य का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। नि:संदेह ओलम्पिक तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय खेल टूर्नामैंटों में शामिल होने वाले भारतीय खिलाड़ी पहले से अधिक जीत हासिल कर रहे हैं। भारत की लड़कियों की हॉकी टीम का प्रदर्शन भी सुधर रहा है। व्यक्तिगत खेलों में भी भारत का प्रदर्शन पहले से बेहतर होता जा रहा है, परन्तु खेलों के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अमरीका, चीन, जापान, रूस तथा फ्रांस जैसे विकसित देशों का मुकाबला करने के लिए भारत को अभी भी लम्बा सफर तय करना पड़ेगा।

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