रोहतक रैली पर लगी हैं प्रदेश के लोगों की नज़र
25 सितम्बर को चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर इनेलो की ओर से रोहतक में एक राज्य-स्तरीय सम्मान दिवस रैली का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेशभर के लोगों की नजरें रोहतक रैली पर लगी हुई हैं। रैली का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद इनेलो की ओर से यह पहली रैली आयोजित की जा रही है। इस रैली के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गृह क्षेत्र रोहतक को चुना गया है। रोहतक भूपेंद्र हुड्डा का गढ़ माना जाता है और भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा रोहतक से सांसद हैं और खुद भूपेंद्र हुड्डा इसी संसदीय क्षेत्र की किलोई सीट से विधायक हैं। इस रैली के जरिए इनेलो न सिर्फ अपनी खोई हुई राजनीतिक ज़मीन वापस पाना चाहता है बल्कि हुड्डा को उनके गढ़ में जाकर चुनौती देने के मकसद से यह रैली रोहतक में रखी गई है। रोहतक को हरियाणा की राजनीतिक राजधानी भी माना जाता रहा है।
संघर्षरत है इनेलो
इनेलो पिछले कुछ समय से सत्ता से बाहर है और इस समय अपने अस्तित्व के लिए संघर्षरत है। चौधरी देवीलाल व चौधरी ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी प्रदेश में कभी सत्ता में हुआ करती थी और कभी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाती थी। 2005 में इनेलो सत्ता से बाहर हो गई और 2019 तक प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी रही। 2013 में इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला व उनके बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में सीबीआई अदालत द्वारा 10-10 साल की सजा सुनाए जाने के बाद पार्टी के सामने काफी मुश्किलें आईं। 2005 में इनेलो के स्थान पर कांग्रेस पार्टी भारी बहुमत के साथ सत्ता में आई और भूपेंद्र हुड्डा को पहली बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला। 2009 में इनेलो के 31 विधायक चुने गए थे और कांग्रेस पार्टी के 40 विधायक चुनाव जीते थे। उस समय मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निर्दलीय व हजकां विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई और 2014 तक मुख्यमंत्री रहे। 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 7, इनेलो ने 2 व कांग्रेस ने 1 लोकसभा सीट जीती। लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 47 सीटें जीतीं और इनेलो 19 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी। कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। स्पष्ट बहुमत पाकर भाजपा प्रदेश में पहली बार सरकार बनाने में सफल रही।
देवीलाल परिवार में बिखराव
2018 में चौधरी देवीलाल के परिवार में बिखराव हो गया और गोहाना रैली में हुई नारेबाजी से नाराज़ होकर पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अपने बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला और अपने पौत्र दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निकाल दिया। इसी के साथ ही इनेलो में बिखराव हो गया और 2019 के चुनाव से पहले पार्टी के अनेक विधायक, पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद व बड़े नेता इनेलो छोड़ गए। इनमें से कुछेक नेता कांग्रेस व भाजपा में चले गए और कुछेक नेता अजय चौटाला के साथ जेजेपी में चले गए। इनेलो से निकाले जाने के बाद डॉ. अजय सिंह चौटाला व दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी। 2018 में पार्टी व परिवार में हुए इस बिखराव से पहले हर कोई मान रहा था कि 2019 के चुनाव में निश्चित तौर पर इनेलो सत्ता में आएगी। उस समय इनेलो का हरियाणा में बसपा के साथ गठबंधन था, लेकिन 2018 में परिवार व पार्टी टूटने के बाद हालात पूरी तरह से बदल गए।
भाजपा सरकार को सहयोग
2019 के चुनाव में भाजपा को 40, कांग्रेस को 31, अजय चौटाला की पार्टी जजपा को 10 सीटें और इनेलो को 1 सीट हासिल हुई। इसके अलावा एक सीट गोपाल कांडा की पार्टी को व 7 सीटें निर्दलीय विधायकों ने जीतीं। जजपा के सहयोग से भाजपा ने सरकार बनाई और जजपा की ओर से दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इसके अलावा जजपा कोटे से देवेंद्र बबली कैबिनेट मंत्री और अनूप धानक राज्य मंत्री बनाए गए। जजपा के कुछ नेताओं को प्रदेश स्तरीय चेयरमैन पद भी हासिल हुए। इनेलो की ओर से एकमात्र चुनाव जीतने वाले अभय चौटाला ऐलनाबाद से विधायक चुने गए थे। ऐलनाबाद चौटाला परिवार का लम्बे समय से गढ़ रहा है। केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए कृषि बिलों के विरोध में किसानों द्वारा दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा तक आन्दोलन चलाया गया और कृषि बिल वापस लिए जाने की मांग की गई।
अभय चौटाला का त्याग-पत्र
किसानों के इस आन्दोलन के समर्थन में अभय चौटाला ने अपने विधायक पद से त्याग-पत्र दे दिया था। पूरे देश में वह इकलौते विधायक थे, जिन्होंने कृषि बिलाें के विरोध में विधायक पद छोड़ा था। कुछ समय बाद ऐलनाबाद सीट से हुए उपचुनाव में उन्होंने कृषि बिलों के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा और कहा कि अगर किसान वर्ग कृषि बिलों के खिलाफ है तो उन्हें उपचुनाव में सहयोग दे। अभय चौटाला इस मुद्दे पर चुनाव जीत गए और वह 5 साल तक विधानसभा में इनेलो के इकलौते विधायक थे। इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में इनेलो की ओर से अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला रानियां से और उनके चचेरे छोटे भाई आदित्य देवीलाल डबवाली से विधायक चुने गए। अभय चौटाला ने खुद ऐलनाबाद से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह चुनाव हार गए।
चौटाला के निधन के बाद पहली रैली
करीब 10 महीने पहले पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला का निधन हो गया था। ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद उनके छोटे बेटे अभय चौटाला को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली। उनके सामने पार्टी को फिर से खड़ा करने और राजनीति की मुख्य धारा में लाने की बड़ी चुनौती है। इस चुनौती को पार पाने के लिए उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा के गढ़ रोहतक में चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर सम्मान दिवस रैली करने का निर्णय लिया है। इनेलो में बिखराव होने से पहले पार्टी के पास समर्पित कार्यकर्त्ताओं का एक बहुत बड़ा संगठन हुआ करता था। इस संगठन के बारे में यह कहा जाता था कि इनेलो कार्यकर्त्ता कहीं भी बड़ी से बड़ी रैली करने में सक्षम हैं। पार्टी व परिवार में बिखराव के बाद इनेलो को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। 2024 के विधानसभा चुनाव मेें पूरे प्रदेश में यह माना जा रहा था कि चुनावी हवा कांग्रेस के पक्ष में है और प्रदेश में भाजपा के स्थान पर कांग्रेस सरकार बना सकती है। पूरे प्रदेश में कांग्रेस की ज्यादातर टिकटें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की सिफारिश पर दी गई थीं।
विरोधियों के निशाने पर हुड्डा
चुनावी नतीजे आने के बाद हुड्डा के विरोधियों ने जम कर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की आलोचना की और यहां तक कहा कि हुड्डा की गलतियों से प्रदेश में कांग्रेस के स्थान पर भाजपा की तीसरी बार सरकार बनी है। इनेलो प्रमुख अभय चौटाला तो पिछले कई महीनों से यह आरोप लगा रहे हैं कि हरियाणा में भाजपा सरकार बनवाने में पूरी तरह से भूपेंद्र हुड्डा का हाथ है। अब रोहतक रैली की तैयारियों को लेकर अभय चौटाला सहित अनेक नेताओं ने रोहतक व झज्जर जिलों सहित आसपास के इलाकों में खूब बैठकें आयोजित की हैं और अनेक कांग्रेस समर्थक इनेलो में शामिल भी हुए हैं। अब सभी की नजरें 25 सितम्बर को होने वाली इनेलो की रैली पर लगी हुई हैं और रैली की सफलता ही अभय चौटाला व इनेलो का भविष्य तय करेगी।
-मो.-9855465946



