हिन्द दी चादर गुरु तेग बहादुर जी
अमृतसर में जन्म लिया,
त्याग मल था नाम।
सिखों के नौवें गुरु बने,
अच्छे किए काम ॥
गुरु हरिगोबिंद जी के पुत्र,
भाई गुरदास जी से पाया शिक्षा का दान।
बाबा बुड्ढा जी से शस्त्र विद्या सीख,
किया अधर्म के विरुद्ध संग्राम ॥
मक्खन शाह का बेड़ा पार लगा कर,
उसे दिया मानवता का ज्ञान ।
फिर उसने नकली साधों में से,
सच्चे गुरु को लिया पहचान ॥
बने सच्चाई, साहस और त्याग के प्रतीक,
पंडितों ने भी आ किया प्रणाम।
धर्म की रक्षा करने हेतु,
दे दिया अपना बलिदान॥
अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाकर,
न्याय का दिया प़ैगाम।
धर्म, सत्य के मार्ग दर्शक बनकर,
मानव जाति का किया कल्याण ॥
औरंगज़ेब के अत्याचारों से,
मुक्त कराया सारे अवाम को।
‘हिन्द दी चादर’-गुरु तेग़ बहादुर,
सारी सृष्टि करे झुक कर प्रणाम ॥
-इंचार्ज इलैक्ट्रोनिक्स एंड कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट,
मेहर चंद पॉलिटैक्निक कालेज, जालंधर

