बाल पहेलियां

मध्य हटे तो ‘गला’ बनूँ मैं,
   अंत हटे तो ‘गम’।
 मुझ पर फूल सजाओ बच्चों!,
   रख लो तुम हरदम।।
2.  नाम सुने तो सब थर्राते,
    नहीं है मेरे कान।
   कंपन से दुश्मन पहचानूँ,
    ये मेरी पहचान।।
3. मध्य हटे ‘कम’ हो जाती,
   अंत हटे तो ‘कल’।
   तीन अक्षर का नाम है मेरा,
  बोलो राज विकल।।  
4.उड़ता हूँ पक्षी न मानो, 
  रात-रात भर उड़ता जाऊं।
  बड़ी प्रखर है दृष्टि हमारी,  
बोलो बच्चों क्या कहलाऊं?

5. दो अक्षर का मेरा नाम,
 मुझ पर लिखते भोलूराम।
 रवि पवन भी लिखते मुझ पर,
बोलो प्यारे मोहन श्याम।।
6. कटर पेंसिल पटरी कॉपी,
  और किताबें रखना तुम।
  पड़ लिखकर विद्वान बनो अब,
  नहीं किसी से डरना तुम।।
7.मध्य हटे तो ‘परी’ बनूं मैं,
  तीन अक्षर का नाम।
 जरा बताओ रामू चंदन,
 और बोलो घनश्याम।।                                                                      
8. रात का पंछी लोग कहें,
    जरा लगाओ ध्यान। 
   पूरी गर्दन मैं घुमाता,
     ये मेरी पहचान।।
9. सबको मंजिल तक पहुंचाऊं,
    लेकिन चल ना पाऊँ।
   तीन अक्षर का नाम हमारा,
    बोलो क्या कहलाऊं?
10. तीन अक्षर का नाम हमारा
     खट्टा मीठा स्वाद।
     प्रथम हटे तो ‘मली’ बनूँ मैं,
      कर लो मुझको याद।

 -डा. कमलेन्द्र कुमार
मो. 9451318138

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