आवश्यक है मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण 

बिहार विधानसभा का चुनाव मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (स्पेशल इंटेंसिव रिवीज़न यानी एस.आई.आर) के अंतर्गत हो रहा है। भारत का निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है जो भारतवर्ष के संघीय विधायिका एवं राज्यों के विधानमंडलों के स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराव कर देश के लोकतंत्र को मज़बूती प्रदान करता है। निर्वाचन आयोग के निवेदन पर केंद्र सरकार एवं राज्यों की सरकारें आवश्यकता अनुसार कर्मचारी उपलब्ध कराती हैं। गहन पुनरीक्षण मौलिक स्तर पर मतदाता सूची में दो बार आए एवं मृत मतदाताओं के और अवैध ढंग से देश में आए लोगों के नामों को हटाने के लिए हो रहा है।विशेष गहन पुनरीक्षण राष्ट्रहित से जुड़ा विषय है। वर्तमान में वोट बैंक की राजनीति के लिए बहुत से राज्यों की सरकारों ने अवैध तरीके से बारही लोगों को भारत में रहने हेतु संरक्षण दे रखा है। बांग्लादेश, पाकिस्तान एवं नेपाल से घुसपैठ करके आए लोग भारत में रह रहे हैं और जो देश में शांति एवं स्थिरता के लिए चुनौती हैं। विपक्षी दलों के प्रत्याशियों एवं समर्थकों का कहना है कि सत्तारूढ़ राजनीतिक दल ने बहुत बड़ी संख्या में वैध मतदाताओं, अल्पसंख्यकों एवं वंचित वर्गों के नाम मतदाता सूची से हटवाए हैं। उन सभी का कहना है कि विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान आधार कार्ड या अन्य दस्तावेजों की मांग से बहुत लोग मताधिकार से वंचित हो चुके हैं। इसलिए यह मनमाना, भेदभावपूर्ण एवं अवैज्ञानिक कार्य है। लेकिन यह सभी आरोप निराधार हैं। विशेष गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य उनका नाम हटाना है जो दो जगह मतदाता सूची में है एवं उनके नाम को हटाना जो मृत हो चुके हैं। चुनाव आयोग लोकतंत्र की रीढ़ है एवं इसकी दृष्टि में सभी मतदाता एक समान है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद-324 में निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया के अधीक्षण, नियंत्रण एवं निर्देशन का विशेष अधिकार है। इसलिए निर्वाचन आयोग आवश्यकता के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण करता है ताकि नए मतदाताओं का नाम सूची में शामिल कर सके एवं जो मतदाता नहीं रहे, उनका नाम हटाया जा सके। यह कार्य लोकतंत्र की मज़बूती के लिए ज़रूरी है। 
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है एवं स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है। यह अनवरत चलती रहनी चाहिए। पूर्व निर्वाचन आयुक्त ओ.पी. रावतजी ने कहा था कि विशेष गहन पुनरीक्षण करना निर्वाचन आयोग का विशेषाधिकार है। लोकतंत्र में लोकतांत्रिक मूल्यों के उन्नयन एवं सबको राजनीतिक प्रक्रिया एवं राजनीतिक संस्कृति में सहभागिता के लिए अद्यतन मतदाता सूची आवश्यक है। भारत में लगभग 2 करोड़ बांग्लादेशी अवैध रूप से रह रहे हैं। इसलिए विशेष गहन पुनरीक्षण आवश्यक है।
 इस प्रक्रिया के कारण निर्वाचन आयोग यह  सुनिश्चित करता है कि ऐसे लोगों का नाम मतदाता सूची में शामिल न हो सके जो देश के नागरिक नहीं हैं। लोकतंत्र के मौलिक आदर्श ‘एक व्यक्ति-एक मतदान’ की सार्थकता के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता है।
लोकतंत्र का मौलिक सिद्धांत ‘वयस्क मताधिकार’ है। इसके अंतर्गत शासक शासित के प्रति ज़िम्मेदार एवं उत्तरदाई होता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद-326 में उपबंधित है कि लोकसभा एवं राज्यों के विधायिकाओं का निर्वाचन  वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे। भारत का प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष की उम्र का हो चुका है, जो संघीय विधायिका (संसद) द्वारा बनाए गए किसी विधि के द्वारा अयोग्य नहीं हुआ हो, मतदान करने का पात्र है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची तैयार करने के व्यापक प्रावधान है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 16(1) (ए) में प्रावधान है कि जो व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं है, उसको मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं किया जा सकेगा। इसी अधिनियम की धारा 16(2) में कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है एवं मतदाता सूची में पंजीकृत कर लिया गया है तो निर्वाचन आयोग गहन प्रशिक्षण के दौरान सूची से निकाल सकता है। मतदाता का नाम देश में किसी एक स्थान पर ही पंजीकृत हो सकता है, क्योंकि इससे पता चल जाता है कि वह व्यक्ति उस स्थान का सामान्य निवासी है, जहां पर उसका नाम है।
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 के धारा-21 के अनुसार मतदाता सूची का पुनरीक्षण करते समय बूथ स्तर के अधिकारियों को तय करना होता है कि मतदाता भारत का नागरिक (सक्षम अधिकारी के द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र) एवं उस  निर्वाचन क्षेत्र का निवासी हो। लोकतंत्र की गरिमा, आदर्श एवं नैतिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण आवश्यक है। (अदिति)

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